देहरादून (ब्यूरो)। सहस्रधारा रोड निवासी अभिषेक बिष्ट ने संडे को थाना रायपुर में एक शिकायत दर्ज करवाई। शिकायत के अनुसार उन्होंने 15 दिसंबर 2021 को आजादनगर निवासी गाडिय़ों के डीलर अजहर पुत्र मुक्करम से 61 हजार रुपये में एक एक्टिवा खरीदी। 25 फरवरी को उनकी एक्टिवा रिकवरी एजेन्ट नवीन जैसवाल ने आईएसबीटी के यार्ड में खड़ी करवा दी। पूछने पर पता चला कि ग$ाड़ी के पुराने मालिक ओम प्रकाश ने गाड़ी का लोन बैंक चुकता नहीं किया है। पता चला कि अजहर त्रिशक्ति सर्विस रिकवरी एजेन्सी सहस्रधारा रोड में काम करता है। इसी एजेंसी में राहुल खरोला और दीपक धनै भी काम करते हैं। आनंद सिंह खरोला और रूपेश गौड़ इस ऐजेंसी के मालिक हैं। ये लोग लोन वाले वाहनों की फर्जी एनओसी बनाकर धोखाधड़ी कर रहे हैं। इस धंधे में मेहरबान सिंह खरोला नाम का व्यक्ति भी शामिल है, जो खुद को बैंक का मैनेजर बताता है।

पुलिस ने की कार्रवाई
पुलिस ने शिकायत दर्ज कर मामले में नामजद अजहर, राहुल खरोला, दीपक धनै और शाहरुख अहमद को गिरफ्तार कर लिया। पुलिस के अनुसार अजहर के मोबाइल फोन में 15 वाहनों की फर्जी बैंक एनओसी की पीडीएफ, 35 वाहनों की फोटो और कस्टमर्स की खरीद-फरोख्त की व्हाटसएप चैट, वाहनों की खरीद-फरोख्त से संबंधित लेन-देन की गूगल पे स्लिप मिली। अन्य तीन आरोपियों के मोबाइल से इसी तरह के कई साक्ष्य पुलिस को मिले हैं। उनकी निशादेही पर घटना में इस्तेमाल किये जाने वाले दो प्रिंटर, एक लैपटॉप, 15 अन्य वाहनों से सम्बन्धित फर्जी बैंक एनओसी आदि बरामद की गई।

आरटीओ से किया सत्यापन
पुलिस टीम ने आरटीओ देहरादून से आरोपियों शिकायतकर्ता को दी गई मूल फर्जी एनओसी हासिल की गयी। बैंक से लोन की डिटेल प्राप्त की गयी जिसमें पाया गया कि बैंक ने एक्टिवा से सम्बन्धित कोई भी एनओसी जारी नहीं की थी। बैंक में अब भी एक्टिवा के पुराने मालिक ओमप्रकाश के नाम लोन चल रहा है। फिलहाल पुलिस ने एक्टिवा रिकवरी एजेन्ट कुलदीप भारद्वाज से अपने कब्जे में ले ली है। पुलिस के अनुसार जांच के बाद आरोपियों के खिलाफ आईपीसी की धारा 420 के अलावा कई अन्य धाराएं भी जोड़ दी गई हैं।

रिकवरी करते-करते ठगी
आरोपियों से पूछताछ में पता चला कि ये लोग पहले लोन चुकता न करने वालों से रिकवरी का काम करते थे, लेकिन बाद में जालसाजी करने लगे और ठग बन गये। पुलिस के अनुसार राहुल खरोला, दीपक धनै और शाहरुख अहमद 3 वर्षों से त्रिशक्ति सर्विसेस रिकवरी एजेन्सी सहस्रधारा रोड रायपुर में काम कर रहे हैं। एजेंसी मालिक आनन्द सिंह खरोला हैं। एजेंसी के पास एचडीएफसी बैंक का कॉन्टेक्ट था। जिन गाडिय़ों का लोन या किस्त कस्टमर नहीं चुका पाते हैं, उन गाडियों की ऐजेेंसी रिकवरी करती है। शाहरूख अहमद का काम गाडिय़ों को उठाने का है। राहुल खरोला और दीपक धनै ऑफिस में बैठकर दस्तावेज तैयार करते हैं। अजहर रिकवरी गाडियों का सेल परचेज का काम करता है और कस्टमर ढूंढता है। ग्राहकों को गाड़ी पसन्द आने पर उनसे रुपये लेने का काम भी अजहर ही करता है। इसके बाद गाडियों के पुराने कागज और बैंक की एनओसी लेकर नये ग्राहक को आरटीओ जाकर वाहन के कागज ट्रांसफर कराने का काम भी अजहर करता है।

काम सीखते ही ठगी शुरू
आरोपियों ने बताया कि काफी समय से यह काम करने से उन्हें वाहन की रिकवरी से लेकर आरटीओ तक वाहन के कागजात बनाने की अच्छी जानकारी है। इसका लाभ उठाकर उन्होंने यह काम शुरू किया। राहुल खरोला और दीपक धनै बैंक से मिले मूल वाहनों की एनओसी की पीडीएफ बनाकर रिकवरी किये वाहनों की डिटेल भरकर फर्जी एनओसी तैयार करने लगे। ये फर्जी एनओसी अजहर को दी जाती थी, जो रिकवरी किये गये वाहनों को खरीदने आये कस्टमर को देता था और उसके साथ आरटीओ जाकर वाहन उनके नाम ट्रांसफर कर नई आरसी बनवा देता था। ग्राहक से मिले रुपयों को चारों आपस में बांट लेते हैं और एजेन्सी के मालिक आनन्द सिंह को कमीशन दे देते हैं। वे अब तक 80-90 वाहनों को इसी प्रकार फर्जी एनओसी बनाकर बेच चुके हैं।