-उत्तराखंड की कुल 693 प्रजातियों में से 330 प्रजातियों के प¨रदे आते हैं आसन क्षेत्र में

देहरादून,

देश के पहले कंजरवेशन रिजर्व आसन वेटलैंड में नन्हे प¨रदे उड़ान भरने लायक हो गए हैं। सितंबर में नीले आसमान में अपने बूते उड़ान भरना शुरू कर देंगे। आसन रामसर साइट में वर्तमान में नन्हे प¨रदों का संसार होने के चलते चकराता वन प्रभाग ने शिकारियों पर अंकुश को चौकसी बढ़ाई हुई है।

हजारों परिंदों का प्रवास स्थल

-उत्तराखंड की कुल 693 प्रजातियों में से 330 प्रजातियों के प¨रदे आते हैं आसन नमभूमि क्षेत्र में

-वर्तमान में करीब 25 लोकल प्रजातियों के प¨रदे हैं मौजूद।

-आसन नमभूमि में हर साल अक्टूबर से मार्च तक विदेशी प¨रदों का रहता है प्रवास।

-अप्रैल से सितंबर तक आसन नमभूमि में लोकल प्रजातियों का चलता है राज।

-आसन वेटलैंड में गुलजार रहता है प¨रदों का संसार

-लोकल प्रजातियों के प¨रदे आसन नमभूमि में ब्री¨डग से लेकर ने¨स्टग व चूजों की तक करते हैं परवरिश

नन्हे प¨रदे सितंबर में अपने बूते उड़ान भरना कर देंगे शुरू

आसन वेटलैंड में परिंदों का संसार भी देखने लायक रहता है। जैसे ही विदेशी प¨रदों के प्रवास का समय नजदीक आता है, नन्हे प¨रदे आसमान में खुली उड़ान भरने लगते हैं। लोकल प्रजातियों की ब्री¨डग व ने¨स्टग मई-जून में समाप्त हो जाती है और जुलाई में नन्हे प¨रदे दिखाई देने लगते हैं। आसन नमभूमि में टाइफा ग्रास व घोसलों से चूजों की चहचहाहट अदभुत नजारा होता है। जुलाई व अगस्त में व्यस्क प¨रदे अपने चूजों को परवरिश कर बड़ा करते है, साथ ही उड़ना, शत्रुओं से बचने के हर वह गुर सिखाते हैं। आसन में सबसे मनमोहक नजारा स्पाट बिल्ड डक का दिखाई देता है। मादा स्पाट बिल्ड डक के पीछे चलते नन्हे प¨रदों की लाइन देखना काफी आकर्षक लगता है। चकराता वन प्रभाग की आसन रेंज के वन दारोगा प्रदीप सक्सेना के अनुसार हजार से अधिक नन्हे प¨रदे सितंबर में नीले आसमान में अपने बूते उड़ान भरना शुरू कर देंगे।

आसन में ये प्रजातियां हैं मौजूद

444 हेक्टेयर में फैली 25 हजार क्यूसेक पानी की क्षमता वाली आसन नमभूमि की झील में स्पाट बिल डक, लिटिल इग्रेट, लिटिल कोरमोरेंट, स्पोटेड ओवलेट, हिमालयन बुलबुल, पेंटेड स्टार्क, प्रीनिया, ग्रीन बी इटर, व्हाइट ब्रोड वेक्टेल, स्विप्ट स्वैलो, रोबिन, फ्लाईकेचर, रीवर लेप¨वग, रेड वेंटेड लेप¨वग, रेड स्टार्ट, इंडियन कोरमोरेंट, नाइट हेरोन, पर्पल हेरोन, ¨कगफिशर, व्हाइड थ्रोटेड ¨कगफिशर, कामन मोरहेन, लिटिल ग्रेब, इंडियन रोलर, राबिन आदि प्रजातियों के प¨रदे दिखाई दे रहे हैं।

मिल चुका है रामसर साइट का दर्जा

आसन वेटलैंड को वर्ष 2005 में राष्ट्रपति रहे एपीजे अब्दुल कलाम ने देश का पहला कंजरवेशन रिजर्व घोषित किया था। वेटलैंड उस दलदले भूखंड को कहा जाता है, जिसमें करीब 6 मीटर गहरा पानी हो और वह वर्ष भर जमा रहे। वेटलैंड में उगने वाले जलीय पेड़-पौधों की विशेषता भी अलग होती है। इनके अलावा कई अन्य खूबियों के कारण नमभूमि को तालाब व झीलों से अलग करती है। चकराता वन प्रभाग के प्रभागीय वनाधिकारी रहे धीरज पांडे ने आसन वेटलैंड को रामसर साइटस पर स्थान दिलाने की कोशिश की शुरुआत की थी, जिसके चलते आसन नमभूमि को रामसर साइट का दर्जा भी मिल चुका है।