- कैग की रिपोर्ट में खुलासा, लगातार बदतर हो रही राज्य की फाइनेंशियल स्थिति

- लगातार बढ़ रहे खर्च, लेकिन आमदनी बहुत कम

देहरादून

राज्य सरकार विकास के बेशक कितने ही बड़े दावे करे, लेकिन हकीकत यह है कि राज्य की आर्थिक हालात लगातार बद से बदतर होती जा रही है। वेतन और प्रशासनिक खर्चो में लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है, लेकिन आमदमी की कोई पुख्ता व्यवस्था राज्य सरकार नहीं कर पा रही है। हालात ये हो गये है कि राजस्व घाटा एक फाइनेंशियल ईयर के दौरान ही 15 परसेंट बढ़ गया है। इन सब बातों का जिक्र भारत के नियंत्रक-महालेखापरीक्षक (कैग) की रिपोर्ट में किया गया है। थर्सडे को कैग की रिपोर्ट विधानसभा के पटल पर रखी गई।

15 परसेंट बढ़ा घाटा

31 मार्च 2020 को समाप्त हुए वित्तीय वर्ष के आधार पर तैयार की गई कैग की रिपोर्ट के अनुसार राज्य में राजकोषीय और राजस्व घाटा लगातार बढ़ता जा रहा है। फाइनेशियल ईयर 2019-20 में राजकोषीय घाटा 7657 करोड़ रुपये हो गया, जबकि राजस्व घाटा 15 परसेंट बढ़कर 2136 करोड़ रुपये हो गया। फाइनेशियल ईयर 2018-19 में राजकोषीय घाटा 7320 करोड़ रुपये और राजस्व घाटा 980 करोड़ रुपये था।

घाटा दिखाया ही नहीं

राज्य सरकार की हालात यह है कि वह उसने राजस्व और राजकोषीय घाटे को कम करने के उपाय करने के बजाय, इसे छिपाने का प्रयास करने पर ज्यादा ध्यान दिया। रिपोर्ट के मुताबिक, राजकोषीय घाटा सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) का 3.02 परसेंट हो गया है, जबकि राजस्व घाटा जीएसडीपी का 0.84 परसेंट रहा। राजस्व घाटे में 273 करोड़ रुपये (12.78 परसेंट) दिखाए ही नहीं गए। राजकोषीय घाटे में भी 446 करोड़ रुपये (5.82 परसेंट) कम दिखाए गए। राजस्व व पूंजीगत खर्च के गलत वर्गीकरण व ब्याज की देयता को हस्तांतरित न किए जाने से यह अनियमितता पैदा हुई। हालांकि, सरकार इस बात पर राहत महसूस कर सकती है कि 7657 करोड़ रुपये का राजस्व घाटा 14वें वित्त आयोग की ओर से जीएसडीपी के मुकाबले निर्धारित 3.25 परसेंट की सीमा के भीतर रहा।

राजस्व प्राप्तियों में कमी

कैग ने कहा है कि चालू फाइनेशियल ईयर में उत्तराखंड राजस्व प्राप्तियां बढ़ाने में न सिर्फ असफल रहा, बल्कि साल-दर-साल भी इसमें गिरावट दर्ज की जा रही है। 2018-19 में राजस्व प्राप्तियां 31 हजार 218 करोड़ रुपये थी और 2019-20 में यह 1.58 परसेंट की कमी के साथ 30 हजार 723 करोड़ रुपये रही।

राजस्व घाटा (करोड़ रुपये में)

2015-16, 1852

2016-17, 383

2017-18, 1978

2018-19, 980

2019-20, 2136

बढ़ रहा खर्च

कैग के रिपोर्ट कहती है कि राज्य में वेतन व प्रशासनिक खर्चों वाले राजस्व व्यय का ग्राफ बढ़ रहा है। 2015 से 2020 की अवधि में राजस्व व्यय कुल व्यय का 83.89 परसेंट रहा। केवल 2019-20 में ही यह व्यय 85.57 परसेंट रहा। दूसरी तरफ विभिन्न विकास परियोजनाओं में खर्च के मामले में प्रदेश की चाल सुस्त रही। फाइनेशियल 2019-20 में पिछले साल की अपेक्षा पूंजीगत व्यय में 770 करोड़ रुपये की कमी आना इसका उदाहरण है। कैग ने 45 ऐसे काम पाए, जिनमें 2481 करोड़ रुपये के प्रवधान के बाद भी उपयोग नहीं किया जा सका। इसके अलावा विभिन्न एजेंसियों ने 259 करोड़ रुपये सरेंडर भी कर दिए।

ग्रामीण बैंक घाटे में

सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम, ग्रामीण बैंक, संयुक्त स्टाक कंपनियां और सहकारी संस्थाएं सरकार के लिए घाटे का सौदा साबित हो रही हैं। सरकार इन पर जो भी बजट खर्च कर रही है, उसका रिजल्ट नहीं मिल रहा है। इनसे लाभ के रूप में सरकार को 18.92 करोड़ रुपये मिले, जबकि बकाया ऋण 2033.40 करोड़ रुपये था।