आई-स्पेशल
-पिछली बार कांग्रेस ने की आधी अधूरी बात, बीजेपी रही थी चुप।
-गैरसैंण पर बदली परिस्थितियों के बीच फैसला करना चुनौतीपूर्ण
-घोषणापत्र से असल में साफ हो पाएगी राजनीतिक दलों की नीयत
DEHRADUN: गैरसैंण को लेकर पिछले पांच साल में बहुत कुछ बदल गया है। न सिर्फ गैरसैंण क्षेत्र में तस्वीर बदली है, बल्कि राजनीतिक दलों के स्टैंड में भी बड़ा बदलाव आया है। इन स्थितियों के बीच राजनीतिक दलों के सामने अब ये सबसे बड़ी चुनौती है कि उनके चुनावी घोषणापत्र में इस बार गैरसैंण किस तरह मौजूद रहेगा। पिछली बार की बात करें, तो कांग्रेस ने गोल-मोल बात की थी, जबकि तो बीजेपी तो पूरी तरह इस मामले में चुप्पी साध गई थी।
जिक्र तक नहीं हुआ था गैरसैंण का
आज दोनों प्रमुख दल गैरसैंण के सबसे बडे़ हितैषी बनने के लिए प्रयासरत हैं, लेकिन ख्0क्ख् के विधानसभा चुनाव के दौरान जारी घोषणापत्र में गैरसैंण का जिक्र तक नहीं किया गया था। कांग्रेस के घोषणापत्र में जनभावनाओं के अनुरूप राजधानी बनाने की बात जरूर की गई थी, लेकिन गैरसैंण को राजधानी बनाया जाएगा, ऐसा नहीं कहा गया था। इधर, बीजेपी के घोषणापत्र में गैरसैंण राजधानी के सवाल पर सिर्फ मौन रहा था।
अबकी बार दोनों के सामने चुनौती
बीजेपी और कांग्रेस ख्0क्7 के लिए घोषणापत्र को जब भी फाइनल करेंगे, उसके सामने गैरसैंण का मुद्दा एक चुनौती के तौर पर रहेगा। चुनौती ये रहेगी कि भले ही भाषणों में दोनों दल काफी आगे तक बढ़ गए हों, लेकिन दस्तावेजी तौर पर वह गैरसैंण को लेकर क्या सोचते हैं, ये उन्हें जाहिर करना होगा।
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राजधानी के सवाल पर हमारे सीएम हरीश रावत सारी स्थिति स्पष्ट कर चुके हैं कि जनभावनाओं के अनुरूप फैसला किया जाएगा। गैरसैंण के मामले को कांग्रेस सरकार ही सामने लाई है, इसलिए इस पर ठोस फैसला ही किया जाएगा।
-मथुरा दत्त जोशी, प्रदेश मुख्य प्रवक्ता, कांगे्रस।
-गैरसैंण राजधानी के सवाल पर हमारी पार्टी ने अपना दृष्टिकोण एकदम साफ किया है। अभी विजन डाक्यूमेंट बनाने पर काम चल रहा है। दिसंबर तक हमें रिपोर्ट सौंपनी है। जनभावनाओं के हिसाब से ही पार्टी फैसला करेगी।
-मधु भट्ट, सदस्य, विजन डॉक्यूमेंट कमेटी, बीजेपी।