- 12 इंटरनेशनल व 60 नेशनल गोल्ड मेडल हैं विजय के नाम

- उत्तराखंड पुलिस में बाकी लोगों को भी ट्रेंड करने का करेंगी प्रयास

DEHRADUN

'मंजिल उन्ही को मिलती है जिनके सपनों में जान होती है, पंखों से कुछ नहीं होता हौसलों से उड़ान होती है' मूल रूप से यूपी बुलंद शहर की रहने वाली विजय चौधरी पर ये कहावत एकदम सटीक बैठती है। बचपन से ही पिता के साथ प्रैक्टिस करते हुए विजय ने स्कूल के दिनों से ही चैंपियन बनने का ख्वाब देखा। विजय की कड़ी मेहनत का ही नतीजा रहा कि विजय के नाम आज ट्रिपल जंपिंग और रेस में क्ख् इंटरनेशनल और म्0 नेशनल गोल्ड मेडल हैं। विजय दूसरी लड़कियों के लिए भी प्रेरणा बन गई हैं। विजय का अगला प्लान बालिकाओं को एथलेटिक्स की ट्रेनिंग देने का है।

उत्तराखंड पुलिस की एसआई हैं विजय

विजय चौधरी बताती हैं कि देश और दुनियां में खेल के प्रति कुछ करने की प्रेरणा उनको अपने पिता और यूपी पुलिस के सूबेदार लहरी सिंह से मिली। छोटी उम्र से ही वे अपने पिता को आदर्श के रूप में देखती थीं, जो कि ख्म् मील रेस के चैम्पियन रहे हैं। लगभग ख्0 साल पहले वे देहरादून आ गई थी। यहां से उन्होनें तत्कालीन यूपी पुलिस के लिए खेलना शुरू किया। क्00 मीटर ट्रिपल जम्पिंग हर्डल रेस में ऑल इंडिया पुलिस में बेस्ट ऐथलीट के रूप में अपनी जगह बना ली। फिर क्या था लगातार एक के बाद एक नेशनल खिताब उन्होंने अपने नाम किए। साल ख्000 से ख्00फ् तक विजय लगातार चैम्पियन बनी रहीं।

थाईलैंड में बढाया देश का मान

विजय ने वर्ष ख्00क् में थाईलैंड में हुए एशियन गेम्स में क्00 मीटर हर्डल ट्रिपल जम्प चैम्पियनशिप में उत्तराखंड पुलिस की ओर से प्रतिभाग किया। यहां विजय ने चैम्पियनशिप को जीतकर गोल्ड मेडल लेते हुए देश का नाम रोशन किया है। इसके बाद सिंगापुर और पुणें में भी एशियाई खेलों के दौरान विजय ने गोल्ड मेडल प्राप्त किया। इसके बाद ख्0क्0 में कॉमनवैल्थ गेम में ऑफिशिएट ऑफिसर के रूप में काम किया। विजय का कहना है कि उत्तराखंड में ट्रिपल जंपिंग को लेकर लोगों में ज्यादा जानकारी नहीं है इसलिए वे भविष्य में लड़कियों को इसकी कोचिंग देने के लिए तैयारी करेंगी।

गंभीर बीमारी से भी नहीं डिगे हौसले

विजय ने बताया कि पिछले क् साल से उनका शरीर उनका साथ नहीं दे रहा है, यही कारण है कि वे इन दिनों प्रैक्टिस से बाहर हैं। क्भ् मई को विजय को हॉर्ट अटैक पड़ गया था यही नहीं क्म् अक्टूबर को पेरालिसिस और इस साल 8 फरवरी को ब्रेन स्ट्रोक से वे परेशान रही, लेकिन इसके बावजूद भी विजय जून में अमेरिका में होनी वाली इंटरनेशनल चैम्पियनशिप की तैयारी में जुट गई हैं।

स्पो‌र्ट्स मेरी जिंदगी का अहम हिस्सा बन गया है। मेरी हमेशा कोशिश रहेगी कि मैं नए लोगों को चैम्पियन बनाने में मदद कर सकूं।

विजय चौधरी