- गर्मी शुरू होते ही शहर में घूमने लगे टैंकर, कई इलाकों में गहराया जल संकट
- अंडर ग्राउंड वाटर रिचार्जिंग के लिए धरातल पर ठोस कार्ययोजना जरूरी

देहरादून:
पानी को लेकर सरकार कतई गंभीर नहीं दिख रही है। लगातार दोहन से अंडर ग्राउंड वाटर नीचे खिसक रहा है। वाटर रिचार्जिंग के लिए गंभीर प्रयास नहीं हो रह हैं। योजनाएं भी बनाई जा रही हैं वह भी 10 परसेंट जमीन पर नहीं उतर पा रही हैं। पांच ऐसे बड़े कारण हैं, जो भूजल पर विपरीत प्रभाव डाल रहे हैं। इनमें सबसे बड़ा तेजी से होता अर्बनाइजेशन है। जिस तेजी के साथ शहर कंक्रीट के जंगल में तब्दील हो रहा है उसी अनुपात में पानी की क्राइसिस भी बढ़ रही है। जहां पहले खेती होती थी, वहां आज आवासीय कॉलोनियां और ऊंची-ऊंची बहुमंजिला अपार्टमेंट और कॉम्पलेक्स खड़े हो गए हैं। भूजल रिचार्ज न होने से वाटर लेवल लगातार गिर रहा है, जो भविष्य में सबसे बड़ी समस्या बन सकता है।

ये हैैं पांच बड़े कारण
- बढ़ता अर्बनाइजेशन
- इलीगल बोरिंग
- रेन वाटर हार्वेस्टिंग नहीं
- पेड़ों का कटान
- खत्म होती खेती

वाटर क्राइसिस के 5 बड़े कारण
1. कंक्रीट का जंगल हो रहा खड़ा
वैज्ञानिकों का कहना है कि नेचुरल जंगल खत्म हो रहे हैं और कंक्रीट के जंगल तेजी से उग रहे हैं। तेजी से अवैध कॉलोनियां बस रही हैं। कंक्रीटिंग के निर्माण पर कंट्रोल किए जाने की जरूरत है। दून में इलीगल तरीके से प्लॉटिंग कर कॉलोनियों बसाने से भी बड़ा असर हो रहा है। शहर जितना फैलेगा वाटर लेवल उतना नीचे जाएगा।

2. अवैध दोहन पर लगे रोक
पानी का बड़ी मात्रा में इलीगल दोहन किया जा रहा है। बड़े-बड़े आवासीय प्रोजेक्ट््स, अपार्टमेंट, कॉम्लेक्स बोरिंग करके निजी ट्यूबवेल लगा कर पानी का दोहन कर रहा हैं। लेकिन रिचार्जिंग के लिए एक पेड़ तक नहीं लगाया जा रहा है। कई जगह पर पानी की लाइन न होने से लोग सबमर्सिबल लगा रहे हैं, ये भी भूजल पर इफेक्ट डाल रहा है।

3. रेन वाटर हार्वेस्टिंग पर काम नहीं
रेन वाटर हार्वेस्टिंग को लेकर सरकार अपने आदेशों का पालन नहीं करा पा रही है। सभी नई पुराने सरकारी बिल्डिंग में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाने के आदेश फाइलों में ही दबकर रह गए। बगैर रेन वाटर हार्वेस्टिंग के नक्शा स्वीकृत करने नियम है, लेकिन एमडीडी भी इसको लेकर महज औपचारिकता निभा रहा है।

4. पेड़ों का अंधाधुंध कटान
पेड़ों के अंधाधुंध कटान से भी वाटर लेवल गिर रहा है। सड़कों के किनारे सारे पेड़ काट लिए गए। प्लॉटिंग के लिए भी बाग-बागीचे काटे जा रहे हैं। लगातार पेड़ काटे जा रहे हैं, लेकिन उस अनुपात में लगाए नहीं जा रहे हैं। लगाए भी जा रहे हैं, तो उनकी ठीक तरीके से देखभाल नहीं की जा रही है। जिससे वह कुछ ही दिन में मृतप्राय: हो रहे हैं। इस पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है।

5. खेती का दायरा सिमटा
वर्तमान में खेती निरंतर कम होती जा रही है। शहरी क्षेत्रों में बिल्डिंग््स का निर्माण से कम होती खेती की जमीन इफेक्ट डाल रही है और पर्वतीय क्षेत्रों में पलायन के चलते बंजर होते खेत। खेत बंजर होने से नमी खत्म हो रही है, जिससे ठहराव न होने से बरसात का पानी सीधे नदियों में पहुंच रहा है। खेती को बचाने की आवश्यकता है।

कागजों तक सिमटी वाटर पॉलिसी
सरकार ने पानी के प्रबंधन और अवैध तरीके से दोहन के लिए वाटर पॉलिसी बनाई है। वाटर पॉलिसी बनाने में 20 साल से अधिक समय लगा। 2021-22 में कैबिनेट से पास होने के बाद वाटर पॉलिसी लागू भी की गई, लेकिन आज तक इसका इम्प्लीमेंट नहीं किया गया है। जिससे पानी के प्रयोग को लेकर ठोस कार्रवाई नहीं हो पा रही है। पॉलिसी इम्प्लीमेंट होने से इलीगल दोहर पर लगाम लग सकती है।

20 फुट खिसका वाटर लेवल
पिछले 10 साल की बात करें तो दून में अंडर ग्राउंड वाटर 20 फुट तक नीचे खिसक गया है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि अभी गंभीर प्रयास नहीं किए गए, तो आने वाले समय में हालात बेकाबू हो जाएंगे। वैज्ञानिकों का कहना है कि बदलता मौसम चक्र और कम बारिश भी इसके लिए कहीं न कहीं जिम्मेदार है, लेकिन रिजार्जिंग के वैज्ञानिक तौर-तरीके बढ़ाने के प्रयास होने चाहिए।

80 परसेंट सप्लाई ट्यूबवेल से
सिंचाई के अलावा शहर की पेयजल आपूर्ति पूरी तरह ट्यूबवेल पर आधारित है। 80 परसेंट ट्यूबवेल और 20 परसेंट ग्रेविटी वाटर से जलापूर्ति होती है। जल संस्थान के अफसरों के मुताबिक डिमांड ज्यादा होने के कारण कुछ क्षेत्रों में दिक्कत हो रही है।

इन इलाकों में ज्यादा दिक्कत
- राजपुर रोड
- डीएल रोड
- मसूरी रोड
- गढ़ी कैंट
- वसंत विहार
- आईटी पार्क
- सहस्रधारा रोड
- कृषाली गांव
- कुल्हान मानसिंह
- जीएमएस रोड
- राजेंद्र नगर
- शांति विहार
- कारगी

वैज्ञानिकों ने सुझाए टिप्स
- ज्यादा से ज्यादा खेती के लिए किसानों को प्रोत्साहित किया जाए
- अधिक से अधिक पेड़ लगाए जाएं
- शहरीकरण को गति को कम किया जाए।
- बंजर भूमि पर ही बिल्डिंग व उद्योग धंधे लगाए जाएं।
- जल स्रोतों को संरक्षित किया जाए
- रूफ टॉप रेन वाटर हार्वेस्टिंग अनिवार्य किया जाए।

अंडर ग्राउंड वाटर में आ रही कमी के लिए सरकार पूरी तरह जिम्मेदार है। तीन साल बाद भी वाटर पॉलिसी लागू नहीं की गई है। रेन वाटर हार्वेस्टिंग के आदेश भी फाइलों में कैद है। पानी के अवैध दोहन को रोकने के लिए ठोस प्रयास नहीं किए जा रहे।
नवीन सडाना, एक्टिविस्ट

सरकारी भवनों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग की योजना है। यमुना कालोनी मंत्री आवासों में आरडब्ल्यूएच काम पूरा कर लिया गया है। कुछ समय से शासन से बजट उपलब्ध नहीं हो पाया है। बजट मिलते ही योजना पर काम तेजी से शुरू किया जाएगा।
नीलिमा गर्ग, सीजीएम, जल संस्थान

पानी वाली खबर का टेबल

दून में पानी की खपत और उपलब्धता पर एक नजर
ट्यूबवेल से यूज ग्राउंड वाटर भविष्य में उपलब्धता
ब्लाक की उपलब्धता
रायपुर 9139.59 27623.47 12168
डोईवाला 8733.26 34455.57 6506
सहसपुर 7036.46 31856.31 6852
विकासनगर 11113.76 21604.39 3785
टोटल 36023.07 34307.70 29311

(नोट: यूज और उपलब्धता हेक्टेयर मीटर में)

नेचुरल वाटर लेवल लगतार गिर रहा है। इसके कई कारण हैं। यह चिंता का विषय है। इसके लिए सबसे पहले रिचार्जिंग सिस्टम को बढ़ावा देना होगा। अन्यथा भविष्य में स्थिति अनकंट्रोल हो जाएगी, कहा नहीं जा सकता।
डॉ। प्रशांत राय, क्षेत्रीय निदेशक, सीजीडब्ल्यूबी, दून

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