- घर लौटे लोगों में 58 परसेंट करते थे प्राइवेट नौकरी
- कुल 2.15 लाख उत्तराखंडी प्रवासी लौटे अपने गांव
DEHRADUN: कोरोना लॉकडाउन ने दो लाख 15 हजार से ज्यादा उत्तराखंडियों का रोजगार छीन लिया है। ये सभी लोग बेरोजगार होकर अपने घरों को लौट आए हैं। इनमें सबसे ज्यादा 58.17 परसेंट लोग प्राइवेट नौकरियां करते थे। घर लौटने वालों में 1.90 परसेंट लोग ऐसे हैं, जो सरकारी क्षेत्र में विभिन्न काम कर रहे थे। उत्तराखंड पलायन आयोग की ओर से वेडनसडे को जारी एक रिपोर्ट में ये आंकड़े मुहैया कराए गए हैं।
दो लाख से ज्यादा लौटे
रिपोर्ट के अनुसार कोरोना काल में उत्तराखंड में 2 लाख 15 हजार, 875 लोग अपने मूल गांवों को लौटे हैं। सबसे ज्यादा 60 हजार 440 प्रवासी पौड़ी गढ़वाल जिले में लौटे, जबकि सबसे कम 1 हजार 925 लोग बागेश्वर जिले में लौटे। घर लौटने वालों में 80.68 परसेंट लोग देश के दूसरे राज्यों में रह रहे थे, जबकि 18.11 लोग राज्य के दूसरे जिलों से लौटे। 0.92 परसेंट लोग अपने ही जिले में दूसरी जगह रह रहे थे, जबकि 0.29 परसेंट विदेशों से लौटे।
कहां कितने लौटे
अल्मोड़ा 43784
नैनीताल 96500
पिथौरागढ़ 5451
चम्पावत 15097
बागेश्वर 1925
पौड़ी 60440
चमोली 5877
देहरादून 2254
हरिद्वार 3136
उत्तरकाशी 19405
टिहरी 19242
रुद्रप्रयाग 7656
यूएस नगर 21958
कुल 215875
प्राइवेट नौकरी वालों पर गाज
महामारी से सबसे ज्यादा गाज प्राइवेट नौकरी करने वालों पर गिरी। वापस लौटने वालों में 58.17 परसेंट लोग देश-विदेश में प्राइवेट नौकरियां कर रहे थे। प्राइवेट नौकरियां छूटने के कारण घर लौटने वालों की कुल संख्या पलायन आयोग ने 1 लाख, 12 हजार 794 बताई है। सरकारी विभागों में काम करने वाले भी 3643 लोग वापस लौटे। 17 हजार 6 स्टूडेंट्स भी घर लौटे हैं। बाहर रहकर स्वरोजगार करने वालों की संख्या 2844 है। 5965 लोग बाहर रहकर मजदूरी करते थे, जबकि 1103 टेक्निकल काम और 348 पंडिताई कर रहे थे। वापस लौटने वालों में 14027 हाउस वाइव्स, 2920 बेरोजगार और 33267 अन्य काम करने वाले लोग शामिल हैं।
पेशेवार लौटने वालों का विवरण
सरकारी क्षेत्र 3643
प्राइवेट जॉब 112794
पंडिताई 348
टेक्नीशियन 1103
हाउस वाइव्स 14027
स्टूडेंट्स 17006
लेबर 5965
बेरोजगार 2920
सेल्फ इंप्लॉय 2844
अन्य 33267
कुल 215875
आयोग की ओर से कोविड-19 के प्रकोप के दौरान राज्य के विभिन्न जिलों में लौटे प्रवासियों का पेशेवार आकलन किया है। इन आंकड़ों के आधार पर वापस लौटने वालों के पुनर्वास के लिए सिफारिशें की जा रही हैं।
- डॉ। एसएस नेगी, अध्यक्ष
उत्तराखंड पलायन आयोग।