-गढ़वाली लोकगीतों ने लोगों को किया मंत्रमुग्ध

-होली छरोली कार्यक्रम में चौंफाल नृत्य पर झूमे लोग

DEHRADUN : मत मारो मोहन लाला पिचकारी, मेरा बाजू रंगा, खोलो किबाड़ चलो मठ भीतर होली को दाना स्वर्ण समान, घोला रंग जैसे गढ़वाली लोकगीतों ने लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया। मौका था धाद लोककला केंद्र द्वारा आयोजित होली छरोली कार्यक्रम का। थर्सडे को ओएनजीसी के कम्यूनिटी सेंटर में आयोजित कार्यक्रम की शुरुआत दैणा हुआ खोली का गणेशा हे गीत से की गई। दिव्यांक्षी व रक्षा ने इसी गीत पर मनमोहक नृत्य भी प्रस्तुत किया। इस मौके पर धाद के केंद्रीय अध्यक्ष हर्षमणि व्यास, धाद कलाकेंद्र की अध्यक्ष डा। माधुरी बड़थ्वाल, संयोजक रवीद्र सिंह नेगी, तन्मय मंमगई, संतोष डिमरी, रेखा उनियाल, डॉ। नूतन गैरोला, नीलम प्रभा वर्मा सहित धाद के सदस्य मौजूद रहे।

दिलाई पारंपरिक होली की याद

गढ़वाली लोक नृत्य चौंफाल ने हॉल में बैठे लोगों के दिलों में पारंपरिक होली की यादें ताजा कर दी। लोककला केंद्र के कलाकारों के साथ ऑडियंस भी चौंफाल नृत्य पर जमकर थिरकी। कलाकारों में रेखा उनियाल, शांति बिंजोला, शैव्या पंडित सहित कई अन्य कलाकारों ने अपनी मनमोहक प्रस्तुति से लोगों का मन मोह लिया। बीएस पॉलीटेक्निक कॉलेज की स्टूडेंट ने भी सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति दी।