- वन्य जीव प्रेमियों की अपील, चाइनीज मांझे से चोटिल होते हैैं पशु-पक्षी

फोटो- चाइनीज मांझा व फोटो

देहरादून, 15 जनवरी (ब्यूरो)।
मकर संक्रांति पतंग जरूर उड़ाएं, लेकिन चाइनीज मांझे का यूज न करें। ये पशु-पक्षियों को चोटिल कर देता है। कई बार इस मांझे की चपेट में आकर परिंदों की मौतत तक हो जाती है। ये अपील पशु पक्षी प्रेमियों और संस्थाओं ने लोगों से की है। चाइजीन मांझा कांच लेपित होता है, ऐसे में इसका यूज खतरा पैदा करता है।

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चाइनीज माझा उपयोग न करने की सलाह
हयूमेन सोसाइटी इंटरनेशनल इंडिया के मैनेजिंग डायरेक्टर आलोकपर्णा सेनगुप्ता ने कहा कि यह निराशाजनक है कि जो उत्सव शुभ और आनंदमय होने चाहिए, वे जानवरों और पक्षियों के लिए मौत का जाल बन जाते हैं। प्रकृति को नुकसान पहुंचाए बिना लोगों और पशु-पक्षियों की सुरक्षा का ध्यान रखते हुए ही मकर संक्रांति मनाना एक खुशी का अवसर साबित हो सकता है। इसके लिए ध्यान रखे कि वे चाइनीज मांझे के इस्तेमाल से बचें।

इसलिए होते हैं हादसे
मकर संक्रांति पर पतंग उड़ाना इस त्योहार का एक अभिन्न अंग माना जाता है। परंपरागत रूप से पतंग उड़ाने के लिए सूती डोरी का उपयोग किया जाता था। लेकिन, समय के साथ सिंथेटिक, कांच-लेपित चाइनीज मांझे ने इसका स्थान ले लिया है। जिसके कारण चाइनीज मांझा बहुत तेज होने के कारण इंसानों और जानवरों दोनों को चोट पहुंचाने का एक बड़ा खतरा पैदा करता है।

करंट का भी रहता है खतरा
चाइनीज मांझो पर चढ़ा हुआ कांच और धातु इसमें बिजली को एक्टिव करते हैं। यह अक्सर बिजली के खंभों से टकराता है, जिससे करंट लगने का खतरा बढ़ जाता है, जिससे पक्षियों और मनुष्यों की मृत्यु तक हो जाती है।

प्रतिबंध के बाद बिक रहा
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने नायलॉन या सिंथेटिक प्रोडक्ट से बने मांझे की बिक्री पर 2017 में प्रतिबंध लगाया था। इस तरह का मांझा गैर बायोडिग्रेडेबल भी होता है। चाइनीज मांझे का उपयोग एक दंडनीय अपराध है। जिसके लिए 5 लाख रुपए का जुर्माना या कारावास हो सकता है। हालांकि, प्रतिबंध के 6 साल बाद भी देश भर में इसका उपयोग और बिक्री धड़ल्ले से जारी है।


चाइनीज मांझे से पंतग उड़ाने के दौरान अक्सर पक्षियों के साथ मनुष्यों को भी नुकसान पहुंचने की शिकायत मिलती है। चाइनीज मांझा काफी धारदार होता है जिसके लगने से चोट का खतरा बना रहता है। जिसे देखते हुए सभी को चाहिए कि वे पंतग उड़ाने के लिए चाइनीज मांझे के इस्तेमाल से बचें। -:
डॉ दिनेश चन्द्र तिवारी, वेटनेरी अफसर नगर निगम
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