- ईएसआई डिस्पेंसरी में सोशल डिस्टेंसिंग गायब

- डिस्पेंसरी के साथ खाली प्लॉट में भरा पानी दे रहा डेंगू को दावत

- बिना पर्सनल व्हीकल के डिस्पेंसरी पहुंच पाना असंभव

देहरादून

ईएसआई कॉरपोरेशन इम्पलॉय से इलाज के नाम पर पैसे लेकर उन्हें बीमारी बांट रहा है। टीएचडीसी कॉलोनी स्थित ईएसआई डिस्पेंसरी के हालात को देखकर तो यही लगता है। बहुत छोटे भवन में चल रही इस डिस्पेंसरी में कोविड-19 के दौरान फिजिकल डिस्टेंसिंग रखना किसी भी हाल में संभव नहीं हो पा रहा है। इससे यहां हर समय लोगों के संक्रमित होने का खतरा है। इस डिस्पेंसरी में बुजुर्ग और प्रेगनेंट महिलाएं भी आते हैं। फिजिकल डिस्टेंसिंग न होना इनके लिए ज्यादा खतरा पैदा कर रहा है। इसके अलावा डिस्पेंसरी से साथ के खाली प्लॉट में जमा गंदगी और पानी मलेरिया और डेंगू जैसी बीमारियों का कारण बन सकता है। व्यवस्था के नाम पर इस डिस्पेंसरी में तो लाइन में खड़े होने वाले मरीजों के लिए शेड की व्यवस्था है और न ही गाड़ी पार्क करने की जगह। इस क्षेत्र में पब्लिक ट्रांसपोर्ट की व्यवस्था न होने से पर्सनल व्हीकल के बिना डिस्पेंसरी पहुंचना संभव नहीं है।

सोशल डिस्टेंसिंग नहीं

बंजारावाला की टीएचडीसी कॉलोनी में स्थित डिस्पेंसरी में हर रोग 100 से ज्यादा पेसेंट आते हैं। लेकिन डिस्पेंसरी एक छोटे से रिहायशी भवन में चल रही है। इतने पेशेंट्स के लिए इस छोटी से जगह में फिजिकल डिस्टेंसिंग मेंटेन करना संभव नहीं है। डिस्पेंसरी के अंदर जाने और बाहर निकलने का एक ही दरवाजा है। अंदर भी कम जगह है। ऐसे में लोगों को एक-दूसरे के बहुत पास खड़े होना पड़ रह है। पर्ची बनाने की लाइन में भी फिजिकल डिस्टेंसिंग नहीं हो पा रही है।

प्रेगनेंट लेडीज को ज्यादा दिक्कत

कोविड-19 के इस दौर में ओल्ड ऐज और प्रेगनेंट महिलाओं को विशेष एहतियात बरतने की हिदायत दी गई है। लेकिन, दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने रियलिटी चेक के दौरान ईएसआई प्रेगनेंट लेडीज और बुजुर्गो को भी लाइन में खड़े देखा। बिना फिजिकल डिस्टेंसिंग मेंटेन किये इन लोगों के लिए यह स्थिति खतरनाक साबित हो सकती है।

लंबी लाइन, शेड नहीं

डिस्पेंसरी में रजिस्ट्रेशन करवाने के लिए अक्सर लंबी लाइन लगती है। पेशेंट्स या उनके अटेंडेंट को कई बार रजिस्ट्रेशन काउंटर तक पहुंचने में एक घंटा तक लग जाता है। इस दौरान उन्हें खुले आसमान के नीचे लाइन में खड़ा रहना पड़ता है। लाइन में लगे लोगों को धूप और बारिश के बचने के लिए शेड तक की व्यवस्था नहीं है।

डेंगू मलेरिया का भी खतरा

डिस्पेंसरी के साथ खाली प्लॉट भी यहां आने वाले मरीजों के लिए खतरा बना हुआ है। इस प्लॉट में झाडि़यां उगी हैं और प्लॉट गंदगी व पानी से भरा हुआ है। प्लॉट में बड़ी संख्या में मच्छर पनप रहे हैं, जिससे डेंगू, मलेरिया और चिकनगुनिया सहित कई बीमारियां फैलने का खतरा बना हुआ है।

वर्कशॉप से भी दिक्कत

डिस्पेंसरी के एक तरफ खाली प्लॉट है तो दूसरी तरफ लोहा काटने की वर्कशॉप है। इस वर्कशॉप में लगातार मशीनें चलने से शोर होता है। स्थिति यहां ऐसी हो जाती है कि एक-दूसरे से बातचीत करने के लिए भी जोर-जोर से बोलना पड़ता है। इससे यहां मरीजों की स्थिति और खराब हो जाती है।

पार्किंग ने व्यवस्था नहीं

डिस्पेंसरी तक पहुंचने के लिए कार्गी चौक के बाद कोई पब्लिक ट्रांसपोर्ट नहीं है। ऐसे में यहां केवल वही ईएसआई कार्ड होल्डर पहुंच पाते हैं, जिनका पास पर्सनल व्हीकल हो। डिस्पेंसरी में पार्किंग की भी व्यवस्था नहीं है। ऐसे में यहां आने वालों को अपने व्हीकल्स बाहर सड़क पर ही खड़े करने पड़ते हैं। इससे सड़क से गुजरने वालों के साथ ही आसपास के दुकानदारों को भी परेशानी हो रही है।

दो डॉक्टर, सौ से ज्यादा पेशेंट

डिस्पेंसरी में तीन डॉक्टर नियुक्त हैं, लेकिन यहां दो ही डॉक्टर बैठे थे। कई पेशेंट्स का कहना है कि ज्यादातर दिन दो ही डॉक्टर बैठते हैं, जबकि हर दिन डिस्पेंसरी में आने वाले पेशेंट्स की संख्या एक सौ से ज्यादा होती है। ऐसे में पेशेंट्स को अपनी बारी के इंतजार में यहां घंटों बैठे रहना पड़ता है।