देहरादून (ब्यूरो) ब्रेक फास्ट, लंच, चाइनीज फूड, चाय, कॉफी, राजमा चावल, कड़ी-चावल, यहां तक कि डिनर। कुछ ऐसे ही डिशेस परोसने को लेकर शहर के तमाम इलाकों में फूड वैन, फूड कार्ट संचालित हो रहे हैं। यहां तक कि ये फूड वैन संचालक कॉमर्शियल एक्टिविटीज को चलाकर रोजगार इन वैन से रोजगार प्राप्त कर रहे हैं। लेकिन, ये शहर में अधिकृत हैं या नहीं। क्या इनका आरटीओ में रजिस्ट्रेशन है या नहीं। इस बारे में खुद आरटीओ ऑफिस भी अनजान है। जैसे ही आरटीओ से इनके बारे में पूछा गया, उन्होंने इनके खिलाफ अभियान चलाने की बात कही।

फूड वैन शुरू करने के नियम
-आरटीओ में फूड व्हीकल का रजिस्ट्रेशन बदलवाना जरूरी।
-नगर निगम की ओर से जगह के लिए लाइसेंस लेना अनिवार्य।
-फूड सेफ्टी डिपार्टमेंट से लाइनेंस जरूरी।

मिनी बस, कार व वैन बन रहे फूड वैन
प्राइवेट व पुरानी हो चुकी गाडिय़ों को वाहन स्वामी या फूड व्यापारी मॉडिफाइड कर फूड वैन के तौर पर यूज कर रहे हैं। इनमें वैन से लेकर बड़े मिनी बस और कार भी शामिल हैं।

कोविडकाल के बाद बढ़ी संख्या
जानकारों के अनुसार कोविड महामारी का कई लोगों पर आर्थिक तौर पर असर दिखा। नतीजतन, बेरोजगारों ने फूड वैन को रोजगार का जरिया बनाना बेहतर पाया। इसके बाद इनमें अचानक बढ़ोत्तरी देखने को मिली है।

रजिस्ट्रेशन कराना है जरूरी
आरटीओ के अधिकारियों के अनुसार अक्सर लोग अपनी पुरानी गाडिय़ां जो स्क्रैप पॉलिसी के तहत कबाड़ हो चुकी होती हैं। उनको मॉडिफाइड कर उसमें मोबाइल कैंटीन चला रहे हैं। आरटीओ के अनुसार मोटर से संचालित होने वाले हर वाहन को आरटीओ ऑफिस में रजिस्टर्ड होना जरूरी है। इसके बाद इन्हें एफएसएसएआई के मानकों के आधार पर रजिस्ट्रेशन कराना जरूरी है। उसी के बाद ही इनका संचालन किया जा सकता है।

कॉमर्शियल गाड़ी का ही यूज
आरटीओ के मुताबिक कॉमर्शियल गाड़ी के यूज के साथ टैक्स-पे करना जरूरी है। ऐसा न होने पर इनके खिलाफ कार्रवाई की जाती है। वहीं, फूड सेफ्टी डिपार्टमेंट के मुताबिक ऐसे फूड संचालकों को हाईजीन मेंटेन करना भी जरूरी होता है।

इन नियमों का पालन जरूरी
-हाईजीन का रखेंगे ख्याल।
-प्राइवेट नहीं, कॉमर्शियल व्हीकल का हो यूज।
-फूड वैन ट्रैफिक में न बने बाधा।
-कॉमर्शियल यूज होने पर टैक्स पे जरूरी।
-वैन का फिटनेस सर्टिफिकेट जरूरी।
-पॉल्यूशन सर्टिफिकेट भी अनिवार्य।

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