- शहर के मुख्य तालाबों के साथ कई जगह डाली गई थी गंबूजिया फिश

- डेंगू के लार्वा के खात्मे के लिए डाली गई थीं गंबूजिया लापता

देहरादून,

सिटी में डेंगू के लार्वा के खात्मे के लिए शहर के तालाबों और फाउंटेन में प्रशासन की ओर से डाली गई गंबूजिया मछली को बरसाती के पानी की तरह गायब हो गई। जुलाई माह के शुरुआत में यह मछली विभाग की ओर से डाली गई थी। यह मछली तालाबों से गायब हो गई। शहर के कई तालाबों और फाउंटेन में जब दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की टीम ने मुआयना किया तो मामला सामने आया। इन फाउंटेन और तालाबों से ये मछली गायब मिली।

खा जाती है मछली का लार्वा

गंबूजिया मछली मॉस्क्यूटो फिश व गटर गप्पी मछली होती है। इसका आकार बहुत ही छोटा होता है। जो कहीं भी रुके हुए पानी, नाली या गटर में डाली जा सकती हैं, यह मछली मच्छर के लार्वा को खाती है। इन मछली का खाना मच्छरों का लार्वा होता है। लेकिन लार्वा खाने वाली यह मछली खुद गायब हो गई है।

20 हजार गंबूजिया मछली

डेंगू के बचाव के लिए प्रशासन की ओर से जुलाई 2020 में कलकत्ता से 30 हजार से ज्यादा गंबूजिया मछली मंगाई गई थी। जिसकी कुल कीमत 55 हजार रुपये बताई जा रही है। बीते साल कुछ मछली को बचाकर रख लिया गया था। जिससे करीब 20 हजार गंबूजिया मछली को ब्रीड किया गया। इसी मछली को यहां डाला गया। एक्सप‌र्ट्स के अनुसार यह गंबूजियां मछली 24 घंटे में 100 से 300 लार्वा को खा जाती है।

यहां-यहां किया सर्वे

दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की टीम ने शहर के मुख्य फाउंटेन घंटाघर में पहुंची। कई देर तक फाउंटेन के पानी में झांकने के बाद भी यहां गंबूजिया मछली नहीं मिली। इसके बाद सर्वे चौक स्थित फाउंटेन में पहुंची। लेकिन यहां पानी ही नही था। इसके बाद नेहरू कॉलोनी स्थित फव्वारा चौक में गई। यहां भी कई देर तक रुकने के बाद भी यहां एक भी मछली नहीं दिखी।

गांधी पार्क में भी नहीं मिली मछली

गांधी पार्क स्थित फाउंटेन चौक में जब टीम ने जांचा तो यहां भी गंबूजिया मछली कई देर तक देखने के बाद भी नहीं दिखी। लेकिन यहां पानी में काई जरुर देखने को मिली।

यहां-यहां डाली गई थी यह मछली

-मिंयावाला

- मालदेवता

-गांधी पार्क के सभी फांउटेन

-महाराणा प्रताप चौक स्थित फाउंटेन

- शहनशाही आश्रम स्थित तालाब

- सर्वे चौक स्थित फांउटेन

-फव्वारा चौक स्थित फाउंटेन

बीते साल से गंबूजिया मछली को तालाब में डाला गया था। इन मछली को तालाबों में डाले हुए एक माह का समय हो गया। अगर मछली गायब हुई तो इसकी जांच कराई जाएगी।

- एचके पुरोहित, मत्स्य प्रभारी देहरादून

यह मछली काफी छोटी होती है। हो सकता है इसे बड़ी मछलियों ने खा लिया हो। लेकिन यह मछली गलियों और बस्तियों के डेंगू के लार्वा को नष्ट नहीं करती।

- डॉ सुभाष जोशी, जिला वेक्टर जोन अधिकारी, देहरादून