-सीएस ने टूरिज्म डिपार्टमेंट के अधिकारियों के साथ किया मंथन, हेली सेवाएं की भी संभावनाएं

देहरादून, 22 फरवरी:
चीफ सेक्रेटरी राधा रतूड़ी ने आदि कैलाश की यात्रा पर आने वाले टूरिस्ट के लिए सुविधाओं और कनेक्टिविटी को मजबूत करने को लेकर टूरिज्म डिपार्टमेंट के साथ मंथन किया। जानकारी दी गई कि पीएम की परिकल्पना के अनुरूप टूरिज्म डिपार्टमेंट की ओर से पिथौरागढ़ जिले के धारचूला क्षेत्र में स्थित आदि कैलाश या छोटा कैलाश, ओम पर्वत, पार्वती सरोवर पवित्र धार्मिक स्थलों में दर्शनों के लिए हेली सेवाएं शुरू की जा रही हैं।

इन धार्मिक स्थलों के लिए हेली सेवाएं
आदि कैलाश
छोटा कैलाश
ओम पर्वत
पार्वती सरोवर

आदि कैलाश व ओम पर्वत के दर्शन
बताया गया कि आदि कैलाश व ओम पर्वत के दर्शन पर्यटकों को ज्योलिंगकोंग व नाबीढांग से कराये जाने की योजना है। सीएस राधा रतूड़ी ने कहा कि विषम मौसम व उच्च हिमालयी क्षेत्रों के ज्यादा ठंड और विषम मौसम की परिस्थितियों के दौरान छह माह में यहां के नागरिकों के पास कोई कॉमर्शियल एक्टिविटीज नहीं होती है। जिस कारण उन्हें मजबूर होकर निचले क्षेत्रों में आजीविका के लिए पलायन करना पड़ता है। जबकि, सामरिक दृष्टिकोण, रिलीजियस व एडवेंचर टूरिज्म की दृष्टि से ये क्षेत्र काफी महत्वपूर्ण माना जाता है।

लोकल प्रोडक्ट्स भी होंगे तैयार
बताया गया है कि ऐसे में इस क्षेत्र में विंटर टूरिज्म को बढ़ावा देकर एक ओर जहां इस क्षेत्र में वर्षभर लोगों की उपस्थिति रहेगी। बल्कि, वह सामरिक दृष्टिकोण से भी बेहतर साबित होगा। इसके अलावा ये क्षेत्र एक नया विंटर टूरिज्म डेस्टीनेशन के तौर पर उभर कर सामने आएगा। ऐसे ही एक्टिविटीज बढऩे से स्थानीय लोग लोकल प्रोडक्ट्स भी तैयार कर सकेंगे। जिससे आजीविका को भी रफ्तार मिलेगी।

6 माह के लिए हेली सेवाएं
बताया गया कि हेली सेवाएं प्रारंभिक रूप से छह माह के लिए संचालित किये जाने का प्रस्ताव है। उसके बाद यात्रा संचालन का व्यापक परीक्षण कर भविष्य में इस योजना को नियमित रूप से यात्रियों व टूरिस्ट के लिए संचालित किया जा सकेगा। सीएस ने टूरिज्म विभाग को आदि कैलाश क्षेत्र में टूरिस्ट के लिए मूलभूत सुविधाओं को डेवलेप करने के लिए वर्कप्लान पर काम करने के लिए कहा है। इस दौरान सचिव सचिन कुर्वे, अपर सचिव पूजा गब्र्याल मौजूद रहे।

दरअसल, अक्टूबर 2023 में पीएम नरेंद्र मोदी आदि कैलाश यात्रा पर आए थे। स्टेट गवर्नमेंट का दावा है कि इसके बाद यात्रा को इंटरनेशनल लेवल पर पहचान मिली है। आदि कैलाश को कैलाश के ही बराबर माना जाता है। कैलाश मानसरोवर के लिए जहां चीन सरकार के वीजा की आवश्यकता होती है। वहीं, आदि कैलाश के देश में ही होने से मात्र इनर लाइन परमिट की जरूरत होती है। इसके बाद अब राज्य सरकार ने भी इस पर कदम बढ़ाने शुरू कर दिए हैं।
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