आर्कटिक काउंसिल जैसा हो
सीएम ने स्वीकारा कि 300 विलेजेज का रि-हैबिलिटेशन किसी चैलेंज से कम नहीं है। इसमें एनवॉयरमेंट स्पेशलिस्ट्स व साइंटिस्ट्स की अहम भूमिका होगी। टेरी के डीजी डा। आर के पचौरी ने कहा कि जिस प्रकार से आर्कटिक क्षेत्र के लिए आर्कटिक काउंसिल है, वैसी ही आवश्यकता हिमालयी क्षेत्र के लिए भी है। ये प्रयास न केवल उत्तराखंड के लिए, बल्कि पूरे हिमालय के लिए फायदेमंद होगा। वही हेस्को के फाउंडर डा। अनिल जोशी ने कहा कि पर्यावरण सूचकांक से संतुलित विकास की दिशा में आगे बढ़ेंगे। इकोलॉजी व इकोनॉमी में बैलेंस होगा। खासकर आर्थिक विकास के लिए ग्लेशियर, फॉरेस्ट, नदी, वायु, स्वॉयल कंजर्वेशन से संबद्ध करने की जरूरत है। इस मौके पर नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हाइड्रोलॉजी रुड़की के ई.आरडी सिंह, वाडिया के डायरेक्टर प्रो। अनिल गुप्ता, एफआरआई के डायरेक्टर डा। डीपी भोजवैद, वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट के साइंटिस्ट, आईआईटी रुड़की सहित कई एनवॉयरमेंटलिस्ट मौजूद थे।