- खटीमा गोलीकांड की 22 वीं बरसी पर राज्य आंदोलनकरियों का फिर सामने आया दर्द

- उत्तराखंड बनने के 15 साल बाद भी खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं आंदोलनकारी

DEHRADUN: जिस प्रदेश को पाने के लिए राज्य आंदोलनकारियों ने अपना सब कुछ न्यौछावर कर दिया, वे आज खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं। अपने साथियों को खोने का दर्द और राज्य सरकारों का राज्य आंदोलनकारियों के प्रति व्यवहार से आंदोलनकारियों में आक्रोश बढ़ता जा रहा है। आंदोलनकारियों का कहना है कि एक आंदोलन तो राज्य को पाने के लिए करना पड़ा और लगता है एक आंदोलन अब सिस्टम को दुरुस्त करने के लिए भी करना पड़ेगा।

विचार गोष्ठी का आयोजन

खटीमा गोलीकांड की ख्ख्वीं बरसी पर उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी मंच और उत्तराखंड राज्य कर्मचारी कल्याण परिषद ने तहसील स्थित शहीद स्मारक पर शहीदों को याद करते हुए श्रद्वांजलि दी। राज्य आंदोलनकारियों ने एक सुर में राज्य सरकारों पर अनदेखी का आरोप लगाया। इस दौरान उत्तराखंड राज्य की वर्तमान परिवेश में दशा विषय पर विचार गोष्ठी का आयोजन किया। गोष्ठी की अध्यक्षता पूर्व विधायक रणजीत सिंह वर्मा ने की। गोष्ठी में वक्ताओं ने पलायन पर चिंता व्यक्त की। साथ ही निर्णय लिया गया कि राज्य आंदोलनकारियों का शिष्टमंडल सरकार से मिलकर अपनी बात रखेंगा। इस दौरान गैरसैंण को राजधानी बनाए जाने, मुजफ्फरनगर, खटीमा, मसूरी कांड के दोषियों को सजा दिलवाने के लिए मजबूत पैरवी करने की बात कही।

7 आंदोलनकारी हुए थे शहीद

क् सितंबर क्99ब् को तत्कालीन सपा की मुलायम सरकार के दौरान उत्तराखंड को अलग राज्य बनाने की मांग को लेकर खटीमा में प्रदर्शन कर रहे प्रदर्शनकारियों पर प्रशासन ने लाठीचार्ज और फायरिंग कर दी थी। फायरिंग में 7 आंदोलनकारी शहीद हो गए थे, वहीं क् सितंबर क्99ब् को ही छात्रों का आंदोलन पौड़ी से शुरू हुआ, जिसके बाद अगले दिन ख् सितंबर को मसूरी में आंदोलन ने उग्र रूप ले लिया, जिसमें म् से 7 आंदोलनकारी शहीद हो गए।

आंकड़ों पर एक नजर

अभी तक भ्ख्0 राज्य आंदोलनकारी सरकारी नौक री में लग चुके हैं।

प्रदेश में कुल क्0,भ्भ्0 चिन्हित राज्य आंदोलनकारी हैं।

प्रदेश के ख्भ्0 राज्य आंदोलनकारी पेंशन पा रहे हैं।

(ये सभी आंकड़े विधानसभा में सदन को बताए गए है)

राज्य आंदोलनकारियों की हमेशा सरकार ने नजरअंदाज किया। आज भी हम अपने अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं।

धर्मपाल सिंह रावत

समस्या ही समस्या है इस प्रदेश में। हम अपने लिए क्या मांगे। चिंता तो इस प्रदेश के युवाओं की है जिनका भविष्य अंधकार में है।

सुलोचना भट्ट

हम कब तक सहेंगे, हमारे साथी अपनी जंग हार गए। लेकिन उनका सपना हम पूरा करेंगे।

गणेश शाह

जिन सपनों के साथ आंदोलन लड़ा गया था। वो सपने अभी पूरे नहीं हुए। हमारी लड़ाई जारी है।

गुरदीप कौर