आई-स्पेशल

करेंसी चेंज पर पाबंदी ने तोड़ दी चार दिन में ही सहकारी बैंकों की कमर

-रोजाना होती थी एक लाख रुपए की औसतन रिकवरी, अब सब ठप

-आरबीआई ने 14 नवंबर से इन बैंकों में करेंसी चेंज पर रोक लगा दी है

DEHRADUN: नोटबंदी का असर आम आदमी अपने हिसाब से झेल रहा है, लेकिन चार दिन से को-ऑपरेटिव बैकों की लोन रिकवरी भी बुरी तरह प्रभावित हुई है। नेशनल और प्राइवेट बैंकों में लोगों की भीड़ है, तो एकदम उलटी तस्वीर को-ऑपरेटिव बैंकों में दिखाई दे रही है। यहां गिने-चुने खाताधारकों की आवाजाही है। लोन की किस्त भरने वालों ने तो बैंक से जैसे मुंह ही मोड़ लिया हो। बैंक प्रबंधन इससे असमंजस में है, कि करे तो क्या करे।

लोन रिकवरी पर सबसे बड़ी मार

डीसीबी देहरादून में लोन रिकवरी पर सबसे बड़ी मार पड़ी है। 8 नवंबर को नोटबंदी के फैसले के बाद क्फ् नवंबर तक डीसीबी करेंसी चेंज कर रहा था। मगर इसके बाद उस पर पाबंदी लग गई। अब हाल ये है कि जहां एक ब्रांच में रोजाना औसतन एक लाख रुपए लोन रिकवरी आती थी, वो अब ठप हो गई है। डीसीबी दून के जीएम एससी भटनागर इसकी पुष्टि कर रहे हैं। उनका कहना है कि अब लोन रिकवरी लगभग जीरो पर आ गई है।

खाताधारकों पर पैसा है, पर कैसे दें

को-ऑपरेटिव बैंक के खाताधारकों, खास तौर पर लोन लेने वालों के सामने मुश्किल ये है कि उनके पास पैसा तो है, लेकिन वह इसे अपने ही बैंक में जमा नहीं करा सकते। बैंक के लोगों का मानना है कि इससे बैंक की प्रतिष्ठा पर भी बुरा असर पड़ सकता है।

नोटबंदी की को-ऑपरेटिव बैंक पर मार

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करोड़ रुपए का लोन बंटा हुआ है डिस्ट्रिक कॉपरेटिव बैंक देहरादून के खाताधारकों के बीच।

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लाख रुपए औसतन रोजाना आता है लोन रिकवरी के रूप में डिस्ट्रिक को-ऑपरेटिव बैंक की शाखाओं में।

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ब्रांचेज और पैक्स हैं डिस्ट्रिक को-ऑपरेटिव बैंक देहरादून के। इसमें ख्0 ब्रांच हैं और फ्9 पैक्स यानी मिनी बैंक हैं।

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लाख से ज्यादा है प्रदेश में को-ऑपरेटिव बैंक के खाताधारक, डीसीबी दून के खातेधारकों की संख्या एक लाख।

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को-ऑपरेटिव बैंकों में लोन रिकवरी का सबसे बड़ा माध्यम नकद धनराशि ही थी। चेक के विकल्प हैं, लेकिन यह चलन में नहीं हैं। इस हिसाब से देखें, तो हमारी स्थिति बेहद खराब हो गई है। जल्द स्थिति न सुधरी तो, लोन एनपीए यानी नॉन प्रॉफिटेबल एसेस्ट में चला जाएगा, जो कि बेहद बुरी स्थिति होगी। केंद्र सरकार और आरबीआई को जल्द से जल्द कोई रास्ता निकालना चाहिए।

-मानवेंद्र सिंह, निदेशक, डीसीबी दून।