दस रुपए से लेकर दो हजार तक की चुनरी

सिटी के हनुमान चौक में थर्सडे को खूब रौनक रही। दुकानें नवरात्र की पूजन सामग्री से अटी हुई नजर आई। सैटरडे से शुरू होने वाले मां के नवरात्र को लेकर लोगों ने खरीदारी भी शुरू कर दी हैं। दुकानों में माता की चुनरी दो रुपए से लेकर दो हजार रुपए तक में बिक रही हैं। हनुमान चौक स्थित गुप्ता पूजा स्टोर के राजेश गुप्ता ने बताया कि उनकी दुकान में 10 रुपए से लेकर एक हजार रुपये तक मां के श्रृंगार का सामान उपलब्ध है। उनके अनुसार फ्राइडे को अंतिम श्राद्ध होने के कारण लोगों की भारी भीड़ खरीदारी के लिए पहुंचेगी।

American diamond की पोशाक

इस नवरात्र पर मां के लिए मार्केट में खास अमेरिकन डायमंड की पोशाक आई है। सांई परफ्यूमरी हाउस के विपिन मित्तल ने बताया कि खास मथुरा से यह डे्रस लाई गई है। उनके पास अलग-अलग साइजेस में 20 से लेकर 250 रुपए ग्राम तक डे्रस उपलब्ध है। मार्केट में पूजा के लिए  धूप कप भी एक नया आइटम आया है। छोटे-छोटे कप साइज में धूप है। इसके अंदर हर्बल, गूगल, जारामासी है। जो बेहद सुंगधित है। 45 रुपए के इस पैकेट में कुल 9 धूप कप हैं।

ऐसे करें घट स्थापना

गणेश पूजा से पूजा आरंभ करें। इसके बाद एक बर्तन में सप्तधान यानी जौ, गेहूं, बाजरा, चना इत्यादि लेकर बोएं। इसके बाद उस पर कलश रखें। कलश में पंचपल्लव जैसे आम, पीपल, गूलर, वट और पाकड़ के पत्ते रखें। इसके बाद भगवान विष्णु का स्मरण करते हुए उसमें जल डालें और सभी तीर्थों, नदियों, गायत्री व सभी देवी-देवताओं का आह्वान करें। क्योंकि शास्त्रों के अनुसार कलश के मुख में विष्णु, कंठ में रुद्र और मूल में ब्रह्मा निवास करते हैं। पंडित ज्ञानेंद्र पांडे ने बताया कि सैटरडे को सूर्योदय 6 बजकर 27 मिनट पर होगा। सूर्योदय के बाद से सुबह 10.27 मिनट तक घट स्थापना का शुभ मुहूर्त है, लेकिन सुबह 9 बजे से 10.30 बजे तक राहु काल है। इस कारण घट स्थापना के लिए शुभ मुहूर्त सूर्योदय से लेकर सुबह 9 बजे तक ही रहेगा।

माता की आराधना की तैयारी

कलश स्थापना के लिए मिट्टी, तांबे व स्वर्ण के कलश का प्रयोग करना चाहिए। लोहे व स्टील के कलश शुभ नहीं माना जाता है। पंडित ज्ञानेंद्र शास्त्री बताते हैं कि नवरात्र पर हमेशा मां दुर्गा की नई मिट्टी की मूर्ति की स्थापना करनी चाहिए। क्योंकि नवरात्र एक रूटीन पूजा नहीं है। नवरात्र पर भक्तों को नौ दिनों तक सप्तसती पाठ करना चाहिए। इसमें कुल 13 अध्याय होते हैं। व्रतधारियों के अलावा मां के जिन भक्तों ने व्रत नहीं भी रखा है, वह भी पाठ कर सकते हैं। बिना शक्ति के कुछ भी संभव नहीं होता है। मां दुर्गा सर्वपूज्य हैं। 33 करोड़ देवी-देवता भी मां की उपासना करते हैं।

मां को प्रिय है अनार का भोग

नवरात्र के दौरान मां दुर्गा की उपासना से धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष चारों पुरुषार्थ सिद्ध होते हैं। नौ दिन मां की उपासना से भक्तों की सभी कामनाएं पूरी होती हैं। मां के लिए कुछ भी अदेय नहीं है। शास्त्री जी के अनुसार मां दुर्गा को अनार फल विशेष प्रिय है। मान्यता है कि नवरात्र पर मां को यह फल चढ़ाने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। इसके अलावा मां को लाल रंग बेहद पसंद है, इसलिए उन्हें सिंदूर भी अर्पण कर सकते हैं।

नवमी को करें विसर्जन

जिस तरह गणेश विसर्जन होता है। उसी तरह से नवरात्र संपन्न होने पर विजयदशमीं को मां की प्रतिमा को भी शुद्ध जल में प्रवाहित करें।

शास्त्रों में अष्टमी को सिर्फ कन्या पूजन का विधान है। इस दिन भक्तों को एक कन्या को देवी का रूप मानकर उसका पूजन करना चाहिए। उसके पैर धोकर, तिलक लगाकर उसे दक्षिणा देनी चाहिए। कई भक्त अष्टमी को ही व्रत की शांति कर देते हैं,जबकि नवमी को ही व्रत की शांति करने से ही पूजा संपूर्ण मानी जाती है।

-पंडित ज्ञानेंद्र पांडे, श्री नर्मदेश्वर मंदिर, इंदिरापुरम