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पीडीएफ के सदस्य बनाने लगे हैं आपस में दूरियां, जुट रहे हैं चुनाव तैयारियों में

-साथियों के साथ दो पीडीएफ विधायक नहीं पहुंचे राजभवन

-प्रीतम पंवार और दिनेश धनै ने काटी कन्नी

देहरादून,

कहते हैं राजनीति में सब कुछ संभव है। सियासत में साथ वहीं तक निभाया जाता है जहां तक सियासी फायदें हों। राजनीति का रिश्ता कब बन जाए और कब बिगड़ जाए, कोई नहीं कह सकता। ऐसा ही अब उत्तराखंड में होने लगा है। सियासी संकट से जूझ रहे उत्तराखंड में हम सालों के हमसफर जुदा होते दिख रहे हैं। कल तक हरीश रावत की टीम में कदम से कदम मिलाने वाली पीडीएफ में अब बिखराव नजर आने लगा है। ये हकीकत शुक्रवार को उस वक्त देखने को मिली जब जब कांग्रेस और पीडीएफ के विधायकों ने गेस्ट शिक्षकों की नियुक्ति को लेकर राजभवन कूच किया। इस दौरान पीडीएफ के प्रमुख सदस्य व निवर्तमान दो-दो कैबिनेट मंत्री दिनेश धनै और प्रीतम सिंह पंवार नहीं दिखे। इसको लेकर राजनीतिक गलियारों में पीडीएफ को लेकर तरह तरह के कयास लगने शुरू हो गए हैं।

आखिर क्यों बनाई दूरी?

8 मार्च से प्रदेश में मचे सियासी घमासान के बावजूद पीडीएफ के सभी 6 विधायक कांग्रेस के हाथ से हाथ मिलाकर चलते रहे। यहां तक कि कांग्रेस में टूट न हो, इसे लेकर भी ये सभी विधायक कांग्रेसियों के साथ अज्ञातवास पर रहे, लेकिन अब सब अपने सियासी खेल में लग गए हैं। ये वही पीडीएफ के विधायक हैं जिनके सहारे पहले विजय बहुगुणा ने सरकार चलाई और फिर हरीश रावत ने। इन्हीं पीडीएफ के खिलाडि़यों के साथ मिलकर कांग्रेस ने सूबे में अपनी सरकार के चार साल पूरे किए। लेकिन अब अलग अलग दलों से बने इस पीडीएफ में खुद बिखराव नजर आने लगा है। शुक्रवार को गेस्ट शिक्षकों की नियुक्ति को लेकर राजभवन पहुंचे कुछ कांग्रेस व पीडीएफ के विधायकों के दौरान ऐसा ही नजारा रहा। पीडीएफ के दो सदस्य व पूर्व कैबिनेट मंत्री इस दौरान नहीं दिखे। चर्चाएं व कयासबाजियां तभी से शुरु हो चुकी थी। दिनभर पीडीएफ के सदस्य इस मामले पर अपना स्पष्टीकरण देते रहे। लेकिन राजनीतिक गलियारों में तो उड़ने वाली खबरों को भला कौन रोके।

सिरमौर में भी गायब रहे सदस्य

बताया गया है कि कुछ पीडीएफ सदस्यों के राजभवन पहुंचने से पहले पूर्व सीएम हरीश रावत के आवास पर उनके कुछ विधायक मौजूद थे। पहले यह दिखाने की कोशिश हुई कि पीडीएफ के सभी सदस्य एक साथ हैं। बताया जा रहा है कि मामले में खुद निवर्तमान शिक्षा मंत्री मंत्री प्रसाद नैथानी अगवानी कर रहे थे। लेकिन यहां भी दिनेश धनै नहीं पहुंचे। हालांकि यह भी बताया जा रहा है कि कई दिनों से हिमाचल के सिरमौर में रहने के कारण विधायक घर-परिवार व क्षेत्र से दूर रहने के कारण अपने क्षेत्रों में गए हैं। सिरमौर में पीडीएफ के दो सदस्य प्रीतम पंचार व हरीश चंद्र दुर्गापाल कुछ दिन ही रहे। इधर, शुक्रवार को राजभवन पहुंचे विधायकों ने जो ज्ञापन राज्यपाल को सौंपा, उसमें विधायक सरिता आर्य, गणेश गोदियाल, निर्वतमान मंत्री हरीश चंद्र दुर्गापाल, मंत्री प्रसाद नैथानी, विधायक सरवत करीम अंसारी व हरिदास के हस्ताक्षर शामिल हैं। जबकि दिनेश धनै व प्रीतम पंवार के हस्ताक्षर तक नहीं हैं।

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नाराजगी जता चुके थे

सूत्र बताते हैं कि कई दिनों से सिरमौर में जमे रहने के कारण खुद कांग्रेस व पीडीएफ के सदस्यों ने ज्यादा दिन तक वहां ठहरने के बावत नाराजगी भी जताई थी। इसीलिए पहले सीएम, पीछे-पीछे सभी विधायक दून के लिए वापस लौटे। विश्वस्त सूत्रों के मुताबिक पहले पीडीएफ के सदस्यों ने ही नाराजगी व्यक्त की थी।

::वर्जन:::

पीडीएफ एक साथ है। हम हरीश रावत व कांग्रेस के साथ हैं। इसमें कोई स्पष्टीकरण देने की जरूरत नहीं होनी चाहिए। चाहे कहने वाले कुछ भी कहते रहें। सब कुछ सबके सामने है।

हरीश चंद्र दुर्गापाल, पूर्व कैबिनेट मंत्री व पीडीएफ सदस्य।

विधायकों के राजभवन जाने से पहले सभी सीएम आवास पर थे। मेरे कुछ निजी काम थे, ऋषिकेश जाना था। इसलिए में विधायकों के साथ राजभवन नहीं जा पाया। लेकिन पीडीएफ हरीश रावत व कांग्रेस के साथ है।

प्रीतम पंवार, पूर्व कैबिनेट मंत्री व पीडीएफ सदस्य।