देहरादून ब्यूरो। देहरादून में लगभग हर शाम हजारों लोग शराब पीकर ड्राइव करते देखे जा सकते हैं। शहरभर में दर्जनों बार हैं और हर बार में हर शाम दर्जनों लोग शराब पीते हैं। घरों में होने वाली पार्टियों में भी अक्सर शराब पी जाती है। बार और निजी पार्टियों में शामिल होने वाले ज्यादातर लोग खुद ही गाड़ी ड्राइव करते हैं। ऐसे में साफ है कि ये सभी लोग शराब पीने के बाद खुद गाड़ी ड्राइव करके घर पहुंचते हैं। लेकिन इस संख्या की तुलना में चालान बहुत कम होते हैं।

5 महीने में 225 चालान
बार और पार्टियों में शराब पीकर घर जाने वाले लोगों की संख्या के हिसाब से ड्रंक एंड ड्राइव के चालान बहुत कम हैं। साल के पहले पांच महीनों में सिर्फ 225 चालान किये गये। यानी हर महीने 25 चालान। एवरेज एक दिन में एक से कम चालान ड्रंक एंड ड्राइव के मामले में किये गये। पुलिस ने जनवरी से मई तक के ड्रंक एंड ड्राइव के मामलों के जो आंकड़े जारी किये हैं। उनके अनुसार इन पांच महीनों में देहरादून में इस मामलें में 41 वाहन सीज भी किये गये। राज्यभर में इस दौरान ड्रंक एंड ड्राइव के मामले में 734 लोगों के चालान किये गये और 198 वाहन सीज किये गये।

एक्सीडेंट का सबसे बड़ा कारण
यह बात आम तौर पर मानी जाती है कि रोड एक्सीडेंट का सबसे बड़ा कारण ड्रंक एंड ड्राइव ही है। वाहन में तकनीकी खराबी आना, सड़क खराब होना, ड्राइवर को नींद आ जाना, सामने से अचानक कोई जानवर आ जाना रोड एक्सीडेंट के अन्य कारण हैं। इसके बाजवूद इस तरफ ध्यान देने की जरूरत नहीं समझी जाती। हाल के दिनों में पुलिस एल्कोमीटर का भी इस्तेमाल नहीं कर रही है। कोविड संक्रमण को देखते हुए इनका इस्तेमाल बंद कर दिया गया था।

क्या कहते हैं दूनाइट्स
रोड एक्सीडेंट का सबसे बड़ा कारण शराब है। लोग शराब पीकर जब स्टेयरिंग थामते हैं तो उन्हें पता नहीं होता कि उनकी स्पीड क्या है। खासकर कम उम्र के लोगों के साथ ऐसा खतरा ज्यादा होता है। इस तरफ ज्यादा ध्यान दिया जाना चाहिए।
दीप्ति बिंजोला

जब कभी पुलिस ड्रंक एंड ड्राइव के खिलाफ अभियान चलाती है तो उस दौरान लोग काफी चौकन्ने रहते हैं। बिना शराब पिये घर पहुंचने का प्रयास करते हैं, या घर पहुंचने तक बहुत कम पीते हैं। लेकिन बाकी दिनों से लोग निश्चिंत हो जाते हैं।
अंबिका जुयाल

शराब पिया हुआ व्यक्ति यदि ड्राइव करता है तो वह अपने लिए ही नहीं, दूसरों के लिए भी खतरा पैदा करता है। किसी अन्य वाहन या पैदल चलने वालों को हिट कर देने के सबसे ज्यादा केस ड्रंक एंड ड्राइव के कारण ही सामने आते हैं। इसके खिलाफ हर शाम अभियान चलाया जाना चाहिए।
अनुज

दरअसल दिक्कत यह है कि देहरादून में जिस तेजी से पॉपुलेशन बढ़ी है, उस तेजी से पुलिस कर्मियों की संख्या नहीं बढ़ाई है। पुलिस के पास काम का इतना लोड है कि नियमित रूप में ड्रंक एंड ड्राइव के मामलों में नजर रखना संभव नहीं है। ऐसे में लोगों को खुद भी इस मामले में अवेयर होना होगा।
हरीशचंद्र