-सीएम हरीश रावत ने लगाया अटकलों पर विराम

-कहा- एजेंडे में था नए जिलों का गठन, लेकिन अब भविष्य में होगा इस पर काम

देहरादून

प्रदेश में नए जिले बनाए जाने का मामला ठंडे बस्ते में चला गया है। सीएम हरीश रावत ने खुद इन अटकलों पर विराम लगा दिया है। दरअसल आरटीआई के जरिए खुलासा हुआ था कि सरकार चार नए जिले बनाने की दिशा में काम कर रही है। लेकिन शनिवार को सीएम हरीश रावत ने साफ कर दिया कि सरकार इस ओर काम तो कर रही थी, लेकिन अब ये मुद्दा पीछे छोड़ दिया गया है। नए जिले बनाए जाने के पक्ष में सरकार है, लेकिन अब इस पर भविष्य में ही काम किया जाएगा।

संगठन ने भी डाला था दबाव

प्रदेश में नए जिले बनाए जाने को लेकर प्रदेश कांग्रेस संगठन की तरफ से पीसीसी अध्यक्ष किशोर उपाध्याय ने सीएम पर खूब दबाव डाला था। किशोर ने यहां तक कहा था कि अगर सरकार नए जिलों का गठन नहीं करेगी तो किस मुंह से जनता के बीच चुनाव में उतरेगी। क्योंकि कांग्रेस ने 2012 में अपने चुनाव घोषणा पत्र में नए जिलों के गठन का वादा जनता से किया था। किशोर उपाध्याय ने तर्क दिया था कि सरकार को किसी भी हालत में नए जिलों का गठन करना होगा, भले ही एक-एक कर चरणबद्ध तरीके से नए जिले बनाए जाएं। तब भी सीएम हरीश रावत ने बजट की कमी बताकर नए जिले न बनाने की बात कही थी।

आरटीआई से क्या मिली जानकारी?

नए जिलों के गठन को लेकर काशीपुर निवासी नदीम उद्दीन ने सूचना के अधिकार के तहत जानकारी मांगी थी। उन्हें जानकारी उपलब्ध कराई गई कि कोटद्वार, यमनोत्री, रानीखेत और डीडीहाट को जिले बनाने की संस्तुति सरकार की तरफ से दी गई है। ये सूचना गढ़वाल मंडल के आयुक्त कार्यालय के लोक सूचना अधिकारी की तरफ से उपलब्ध कराई गई थी।

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आखिर क्या है डर?

दरअसल सरकार ने नए जिलों के गठन से हाथ पीछे इसलिए खींचे हैं क्योंकि आने वाले विधानसभा चुनावों में ये एक बड़ा मुद्दा बन सकता है। सूची में सरकार ने चार नए प्रस्तावित जिले जोड़े थे जबकि सूबे में थराली, घनसाली, बीरोंखाल आदि जिले बनाए जाने की भी मांग लगातार हो रही है। अगर कोटद्वार, यमनोत्री, डीडीहाट और रानीखेत को जिला बनाने की घोषणा होती है तो इससे कांग्रेस के भीतर ही विरोध की आग उपजेगी जिसका उसे चुनाव में भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है।