-मेडिकल कॉलेजों में तभी एडमिशन मिलेगा, जब पहाड़ी क्षेत्रों में देंगे पांच साल की सेवाएं

- अब बॉन्ड को लेकर सख्ती करेगी सरकार

DEHRADUN: सरकार की लाख कोशिशों के बाद भी राज्य के पहाड़ी इलाकों में डॉक्टरों की कमी दूर नहीं हो रही। दरअसल राज्य के दूरस्थ और दुर्गम इलाकों में काम करने में डॉक्टर्स रुचि नहीं ले रहे। प्रदेश के दो मेडिकल कॉलेजों से हर बैच में फिलहाल दो सौ डॉक्टर पास आउट हो रहे हैं। इनमें अधिकतर डॉक्टर अपना बॉन्ड तोड़कर पहाड़ में सेवाएं देने से मुंह मोड़ लेते हैं, लेकिन अब विभाग ने सख्ताई अपनाने के साथ स्पष्ट कर दिया है कि डॉक्टरी की पढ़ाई के लिए उन्हीं स्टूडेंट्स को एडमिशन दिया जाएगा, जो पहाड़ी क्षेत्र में अनिवार्य सेवाएं देने को तैयार होंगे।

अब तक हर प्रयास रहे असफल

राज्य गठन से लेकर अब तक प्रदेश में कई सरकारें अस्तित्व में आई। डॉक्टर्स पहाड़ में सेवाएं दें इसके लिए सरकारों ने काफी कोशिशें कीं लेकिन सारे प्रयास विफल साबित हुए। सरकार ने डॉक्टरों के लिए वॉक इन इंटरव्यू आयोजित कराए, दूसरे राज्यों से डॉक्टरों को अच्छे पैकेज के साथ तैनाती देने की कोशिशें कीं, लेकिन कुछ भी कारगर साबित नहीं हुआ। इसके बाद मेडिकल कॉलेजों से पास आउट होने वाले डॉक्टरों पर भरोसा जताया गया, लेकिन यह प्रयास भी सफल नहीं रहा। मेडिकल कॉलेजों से निकलने वालों डॉक्टरों ने बकायदा पांच साल व कुल फीस की लागत भी वापस कर बांड तोड़ दिए। अब प्रदेश सरकार इसका भी तोड़ निकालने की तैयारी के फिराक में है। चिकित्सा शिक्षा मंत्री दिनेश धनै ने कहा है कि उन्हें स्टूडेंट्स को एडमिशन दिए जाने पर विचार किया जा रहा है, जो पहाड़ में कम से कम पांच साल की सेवाएं देंगे।

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दो विभागों में उलझा मामला

राज्य में चिकित्सा शिक्षा व स्वास्थ्य विभाग दोनों अलग होने के कारण पहाड़ में डाक्टरों की तैनाती रणनीति के तहत अमलीजामा तक नहीं पहुंच पा रही है। मेडिकल कॉलेज से पास आउट होने के बाद पोस्टिंग का जिम्मा स्वास्थ्य विभाग के जिम्मे होता है। जबकि बांड की प्रक्रिया चिकित्सा शिक्षा के पास होती है।

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ज्वाइंट डाटा बैंक होगा तैयार

बताया जा रहा है कि अब स्वास्थ्य व चिकित्सा शिक्षा विभाग डाटा बैंक तैयार कर रहा है। जिलों के सीएमओ से पता करने की कोशिशें जारी हैं कि आखिर अब तक पास आउट होने वाले कितने डॉक्टरों ने पहाड़ में कितने वक्त तक सेवाएं दीं। कितनों ने ज्वाइंनिंग के बाद भी सेवाएं नहीं दी हैं। सूत्र बता रहे हैं कि इसके लिए इयरवाइज डाटा तैयार कर कार्रवाई भी की जा सकती है।

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हां, इस पर सख्ताई बरती जा रही है। चिकित्सा शिक्षा मंत्री ने भी इस पर निर्देश दिए हैं। डाटा बैंक तैयार किया जा रहा है। स्वास्थ्य व चिकित्सा शिक्षा विभाग इस पर मिलकर काम कर रहा है।

डॉ। आशुतोष सयाना, निदेशक, चिकित्सा शिक्षा।

हम बॉन्ड को सख्ताई से लागू करेंगे। जो डॉक्टर्स बांड को खत्म करने के लिए पैसा दे कर निकल जाते थे, अब वह नहीं चलेगा। राज्य के मेडिकल कॉलेजों से पास आउट होने वाले डाक्टरों को सेवाएं देनी ही होगी।

दिनेश धनै, चिकित्सा शिक्षा मंत्री।