देहरादून (ब्यूरो) : अक्सर कहा जाता रहा है कि उत्तराखंड परिवहन निगम हमेशा घाटे का सौदा रहा है। लेकिन, सरकार व निगम की खास रणनीति के तहत अब रोडवेज प्रॉफिट में है। सीएम पुष्कर सिंह धामी ने सरकार के गुड गवर्नेंस को उत्तराखंड रोडवेज ने धरातल पर उतारकर राज्य में नजीर पेश की है। निगम ने धामी सरकार के ढाई साल में न केवल 20 साल के घाटे को मात दी। बल्कि, पहली मर्तबा रिकॉर्ड 56 करोड़ का मुनाफा कमाकर रोडवेज को नई रफ्तार दी है।

2003 में अस्तित्व में आया रोडवेज

राज्य बनने के करीब 3 साल बाद यानी 2003 में उत्तराखंड परिवहन निगम यूपी से अलग होकर अस्तित्व में आया था। इस दौरान रोडवेज के हिस्से यूपी से नई, पुरानी करीब 957 बसें आईं। नए राज्य में नई व्यवस्था से रोडवेज का संचालन शुरू हुआ। लेकिन, खटारा बसें, खराब सड़कें, मिसमैनेजमेंट व यूपी की देनदारी से परिवहन निगम लगातार घाटे में चलता रहा। इससे परिवहन निगम के सामने नई बसों की खरीद, संचालन और कर्मचारियों को वेतन देने तक के लाले पड़ गए।

रोडवेज पर एक नजर

-राज्य गठन के बाद वर्ष 2003 में अस्तित्व में आया उत्तराखंड रोडवेज।
-अपने डेढ़ दशक के दौरान रोडवेज ने देखे कई उतार-चढ़ाव।
-मार्च 2020-21 में कोरोनाकाल ने रोडवेज की कमर तोड़ डाली।
-निगम का घाटा 2020 से पहले 250 करोड़ से 2022 तक सीधे 520 करोड़ तक पहुंच गया।

कोरोनाकाल रहा बुरा दौर

सबसे बुरे दौर से उत्तराखंड रोडवेज मार्च 2020-21 में गुजरा। इस दौरान कोरोनाकाल में बसें न चल पाने के कारण लगातार हो रहे घाटे ने निगम की कमर तोड़ कर रख दी। इस दौरान निगम का घाटा 2020 से पहले 250 करोड़ से 2022 तक करीब 520 करोड़ तक पहुंच गया। उसके बाद निगम की हालत खराब होते गई। इसके बाद सीएम पुष्कर सिंह धामी सरकार ने कमान संभाली और सभी विभागों को गुड गवर्नेंस के साथ काम करने का फरमान दिया।

2 साल में कमाए 56 करोड़

परिवहन निगम हमेशा आमजनों से जुड़ी महत्वपूर्ण सेवा मानी जाती रही है। इसको देखते हुए सीएम ने इसकी खुद समीक्षा की और सुधार की जिम्मेदारी सौंपी। नतीजतन, 2022 में परिवहन निगम ने 520 करोड़ के घाटे और सभी खर्चों को पूरा कर रिकॉर्ड 29 करोड़ का मुनाफा कमाया। निगम की ये रफ्तार यहीं नहीं अटकी, धामी सरकार के दूसरे कार्यकाल में भी निगम ने करीब 27 करोड़ का मुनाफा कमाते हुए राज्य में गुड गवर्नेंस का उदाहरण दिया। अब धामी सरकार के ढाई साल में निगम ने सभी खर्चों की पूर्ति कर करीब 56 करोड़ की कमाई की है, जो उत्तराखंड रोडवेज के इतिहास में बड़ा रिकॉर्ड है। सरकार मान रही है कि रोडवेज की इस सफलता से दूसरे विभागों को भी प्रेरणा मिलेंगी।

नगम के बेड़े पर एक नजर

-उत्तराखंड परिवहन निगम के पास वर्तमान में 1350 बसें।
-इनका संचालन राज्य के भीतर और दूसरे राज्यों में हो रहा है।
-दिल्ली रूट पर चल रही 151 सीएनजी युक्त बसें।
-200 सीएनजी बसें पहाड़ व मैदानी रूट के लिए खरीदने की योजना।
-पहाड़ी मार्गों के लिए 130 बसों को खरीदने की प्रक्रिया आखिरी चरणों में।

8 स्टेशन तैयार, 13 पर काम

स्टेट में बेहतर परिवहन व्यवस्था को लेकर निगम प्रयासरत है। घाटे से बाहर आने के बाद निगम ने 8 बस स्टेशन तैयार किए हैं, जबकि, 13 बस स्टेशन का काम चल रहा है। हरिद्वार, ऋ षिकेश, हल्द्वानी व काठगोदाम में 4 आईएसबीटी प्रस्तावित हैं। वहीं, श्रीनगर, कोटद्वार, रुड़की, रानीखेत, काशीपुर में पांच वर्कशॉप बनाने के प्रस्ताव हैं।

स्टेट में फस्र्ट टाइम परिवहन निगम घाटे से उभरा है। लगातार दो साल से निगम प्रॉफिट में है। इससे कर्मचारियों के वेतन से लेकर सेवाओं में सुधार और व्यवस्थाओं को सुदृढ़ करने में हेल्प मिल रही है। अब जल्द नए रूट पर नई बसें संचालित की जाएंगी।
-डॉ आनंद श्रीवास्तव, एमडी, परिवहन निगम।

सरकार फस्र्ट डे से ही गुड गवर्नेंस पर काम कर रही है। 20 साल के इतिहास में परिवहन निगम घाटे से उभरा है। ये गुड गवर्नेंस का बड़ा उदाहरण है। वैसे भी निगम सीधे लोगों से जुड़ा विभाग है। सरकार आमजनों की सुविधाओं को देखते हुए इसमें सुधार ला रही है।
-पुष्कर सिंह धामी, सीएम।

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