-जेडएसआई में डा.अनिल कुमार कर रहे शोध

-अब तक 230 पक्षियों की आवाज का नमूना जुटा चुके हैं डा.अनिल

-अगले साल तक तैयार हो जाएगा 250 पक्षियों की आवाज का डाटा

-भविष्य में पक्षियों की पहचान में मददगार सिद्ध होगा प्रोजेक्ट

>DEHRADUN: आने वाले समय में पक्षियों की पहचान और आसान हो जाएगी। पक्षी की आवाज ही उसकी पहचान बनेगी। इसके लिए जेडएसआई के पक्षी वैज्ञानिक डा.अनिल कुमार पक्षियों की आवाज का डाटा तैयार कर रहे हैं। अब तक ख्फ्0 पक्षियों की आवाज का डाटा तैयार किया जा चुका है। अगले साल तक ख्भ्0 पक्षी की आवाज की रिकॉर्डिग कर उसका पूरा डाटा हेडक्वॉर्टर जेडएसआई में जमा कराया जाएगा।

बीस साल से चल रहा प्रोजेक्ट पर काम

जेडएसआई के वरिष्ठ पक्षी वैज्ञानिक डा.अनिल कुमार पक्षियों की आवाज के नमूने पिछले बीस साल से जुटा रहे हैं। इस प्रोजेक्ट पर काम वर्ष क्99ब् से कर रहे हैं। इसके बाद से लगातार वह पक्षियों की आवाज रिकॉर्ड कर उसकी पूरी डिटेल जुटा रहे हैं।

आसान नहीं आवाज रिकॉर्ड करना

यह प्रोजेक्ट सुनने में जितना आसान लगता है, उतना ही मुश्किल है। पक्षियों के झुंड से पक्षियों की आवाज रिकॉर्ड करना, इसके बाद उस पक्षी की पहचान और उसकी क्वालिटी का रिकॉर्ड जुटाना होता है। ऐसे में सबसे बड़ी मुश्किल पक्षियों की आवाज मिक्स होने की होती है। ऐसे में जिस पक्षी की पहचान उसकी आवाज के आधार पर लिखी जा रही है, उसकी सही पहचान भी जरूरी है।

इन राज्यों में जाकर िकया शोध

वरिष्ठ पक्षी वैज्ञानिक डा.अनिल कुमार पक्षियों की आवाज के नमूने एकत्रित करने के लिए कई राज्यों में जाकर शोध कर चुके हैं। इन राज्यों में राजस्थान, यूपी, हिमाचल, हरियाणा, उत्तराखंड, अरुणांचल, जम्मू कश्मीर का लद्दाख क्षेत्र आदि शामिल है। यह प्रोजेक्ट अब उत्तराखंड में चल रहा है और इसे अंतिम रूप यहीं पर दिया जाना है।

मैदान से पहाड़ तक के सारे पक्षी

इस शोध में पक्षी वैज्ञानिक डा.अनिल कुमार ने देश में पाए जाने वाले अधिकांश पक्षियों को शामिल किया है। इसमें मैदानी इलाकों से लेकर पहाड़ी इलाकों जैसे लद्दाख तक के पक्षी शामिल किए हैं। अब उत्तराखंड में सोना नदी कार्बेट पार्क, राजाजी नेशनल पार्क, फूलों की घाटी, आसन बैराज सहित मुख्य स्थानों पर शोध किया है। अभी लगभग ख्0 और प्रजाति के पक्षियों की आवाज की रिकॉर्डिग होना बाकी है।

मैं लगभग बीस साल से इस प्रोजेक्ट पर काम कर रहा हूं। अब तक ख्फ्0 पक्षियों की आवाज के नमने जुटाए गए हैं। ख्भ्0 की संख्या पूरी होने पर अगले वर्ष यह प्रोजेक्ट पूरा हो जाएगा। इस प्रोजेक्ट के बाद पक्षियों की आवाज को एक खास सॉफ्टवेयर में डालकर पक्षियों की आवाज से पहचान करना आसान हो जाएगा।

--डा.अनिल कुमार, वरिष्ठ पक्षी वैज्ञानिक, जेडएसआइर् देहरादून