- राज्य सरकार और निर्वाचन आयोग को हाईकोर्ट से मिली बड़ी राहत

NAINITAL: हाईकोर्ट ने पंचायत चुनाव में आरक्षण निर्धारण को चुनौती देने वाली जनहित याचिका खारिज कर दी है। कोर्ट ने सरकार द्वारा अपनाई गई आरक्षण प्रक्रिया को सही ठहराया और कहा कि यह चुनाव अधिसूचना जारी होने के कारण याचिका निरस्त होने योग्य है। इससे राज्य सरकार के साथ ही निर्वाचन आयोग को भी राहत मिली है।

हाईकोर्ट ने खारिज की याचिका

वेडनसडे को मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन व न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ में ऊधमसिंह नगर के किच्छा निवासी लाल बहादुर कुशवाहा की जनहित याचिका पर सुनवाई हुई, जिसमें सरकार की ओर से जारी आरक्षण अधिसूचना को चुनौती दी गई थी। याचिका में कहा गया था कि सरकार ने आरक्षण व्यवस्था को दो भागों में विभाजित किया है। पहला, जिन ग्राम पंचायतों में कोई बदलाव नहीं हुआ है, उसमें आरक्षण चौथे चक्र में लागू करने की व्यवस्था है। दूसरी, वे ग्राम पंचायतें जिनमें नए वार्ड बने हैं या 50 फीसद नए सदस्य जुड़े हैं या कोई नई ग्राम पंचायत बनी है, उसमें प्रथम चक्र में आरक्षण लागू करने की व्यवस्था की गई है। याचिकाकर्ता का कहना था कि यह आरक्षण व्यवस्था उत्तर प्रदेश पंचायती राज व्यवस्था-1994 के प्रावधानों का उल्लंघन है, लिहाजा सरकार का नोटिफिकेशन निरस्त होने योग्य है। खंडपीठ ने सरकार की आरक्षण प्रक्रिया को सही ठहराते हुए जनहित याचिका खारिज कर दी।

तीन बच्चे वालों ने मांगी चुनाव लड़ने की परमिशन

त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव लड़ने के इच्छुक तीन या इससे अधिक बच्चे वाले लोगों में असमंजस बरकरार है। इस संबंध में दाखिल की गई याचिकाओं पर हाई कोर्ट तीन सितंबर को सुनवाई पूरी कर चुका है, जिस पर अभी फैसला आना बाकी है। अब कोटाबाग ब्लॉक के नयागांव निवासी मनोहर लाल ने प्रार्थना पत्र दाखिल किया है। जिसमें उन्होंने मांग की है कि जब तक कोर्ट अपना फैसला नहीं सुनाती है, तब तक तीन बच्चे वाले लोगों को पंचायत चुनाव प्रक्रिया में भाग लेने की अनुमति दी जाए। सभी जिलाधिकारियों को आदेश दिया जाए कि उनके नामांकन पत्र स्वीकार किए जाएं। अब कोर्ट 19 सितंबर को इस संबंध में सुनवाई कर सकता है।