- लगातार बढ़ रहे वाहनों के कारण दून की हवा में घुल रहा जहर

- साल-दर-साल वाहनों की संख्या बढ़ने से प्रदूषण का खतरा बढ़ा

DEHRADUN: दिल्ली में डीजल के दस साल पुराने वाहनों पर एनजीटी द्वारा रोक लगाए जाने के बाद अब दून के ट्रैफिक को लेकर भी सवाल उठने लगे हैं। जानकार बताते हैं कि जिस रफ्तार से दून की संकरी सड़कों पर वाहन रेंग रहे हैं, आने वाले समय में दून देश के बाकी शहरों को भी प्रदूषण के मामले में पीछे छोड़ देगा। यह वक्त फैसला लेने का है कि किस तरह दून में बढ़ते प्रदूषण पर लगाम कसी जा सके।

पॉल्युशन के कई कारण

प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों की मानें तो किसी भी शहर में प्रदूषण बढ़ने के कई कारण होते हैं। उनमें से सबसे बड़ी वजह वाहनों की लगातार बढ़ती संख्या है, इसके बाद कंस्ट्रक्शन वर्क प्रदूषण के लिए जिम्मेदार है। हरे पेड़ों के ताबड़तोड़ कटान को भी प्रदूषण की एक वजह माना जा सकता है।

3 स्थानों पर प्रदूषण मापक यंत्र

उत्तराखंड पॉल्युशन कंट्रोल बोर्ड ने राजधानी में फिलहाल तीन स्थानों पर प्रदूषण मापने के संयंत्र स्थापित किए हैं, जिसमें एक घंटाघर के पास दर्शन लाल चौक पर स्थित है। दूसरा राजपुर रोड और तीसरा आईएसबीटी के पास स्थापित किया गया है।

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आंकड़ों पर एक नजर

वर्ष---घंटाघर

2014--152.42ख्(P.M.10)

--25.78((SO2)

--29.31 ((NO2)

वर्ष---राजपुर रोड

2014--145.11((P.M.10)

--26.16((SO2)

--29.38 ((NO2)

वर्ष---आईएसबीटी

2014--185.51((P.M.10)

--26.30((SO2)

--29.53 ((NO2)

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वर्ष---घंटाघर

2015--159.54((P.M.10)

--26.48((SO2)

--29.92 ((NO2)

वर्ष---राजपुर रोड

2015--155.35((P.M.10)

--26.33((SO2)

--29.53 ((NO2)

वर्ष---आईएसबीटी

ख्0क्भ्--ख्फ्7.7भ्(<द्गठ्ठद्द>क्क.रू.10)

--27.45((SO2)

--30.43 ((NO2)

(पीएमम- पार्टीकुलेट मैटर यानि धूल के कणा), सल्फर डाई ऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड के मानक माइक्रो ग्राम प्रति नॉर्मल घन मीटर है.)

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दून में कितने वाहन

वाहन---संख्या

पेट्रोल--626961

डीजल--91131

पेट्रोल, सीएनजी--183

सीएनजी--165

पेट्रोल, एलपीजी-05

एलपीजी--1913

(आंकड़े परिवहन विभाग के हैं.)

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ख्80 तक पहुंची आरएसपीएम की मात्रा

जानकारों के अनुसार वाहनों से होने वाला प्रदूषण वातावरण से आसानी से नहीं हटता। यह लंबे समय तक हवा में घुला रहता है। हवा में आरएसपीएम की मात्रा अधिकतम क्00 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर होनी चाहिए, लेकिन दून शहर में आरएसपीएम की मात्रा ख्म्0 से लेकर ख्80 तक पहुंच चुकी है।

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शहर में साल-दर-साल प्रदूषण बढ़ रहा है। परिवहन विभाग को इस पर नजर रखनी चाहिए, जिससे प्रदूषण पर नियंत्रण पाया जा सके। वाहनों के चलते लगातार प्रदूषण का लेवल बढ़ता जाएगा।

- अमरजीत ओबरॉय, पर्यावरण अधिकारी, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड

देहरादून में लगातार हरियाली कम हो रही है, पिछले डेढ़ दशक में ख्0 हजार से अधिक पेड़ कट चुके हैं। जाहिर है इसका असर सीधे तौर पर पर्यावरण पर पड़ेगा।

डॉ। नितिन पांडे, पर्यावरण प्रेमी, सिटीजन फॉर ग्रीन दून।