10 फरवरी से खराब है सीटी स्कैन मशीन

2 अप्रैल से नहीं मिल पा रहे रेबीज के इंजेक्शन

2 जून से ईको मशीन बंद हैं।

वार्डो में मरीजों के लिए नहीं हैं रूम हीटर

निक्कू में 22 में से 15 वार्मर खराब

एक साल से अटका है निक्कू के वेंटीलेटर का मामला

देहरादून।

राज्य का सबसे बड़ा हॉस्पिटल इन दिनों वेंटीलेंटर में है। कभी स्टाफ की तो कभी दवाइयों की कमी के चलते दून हॉस्पिटल आने वाले पेशेन्ट्स को परेशानी झेलनी पड़ती है। कई महीनों से खराब पड़ी मशीनों को ठीक करवाने में भी अस्पताल प्रबंधन ने लगभग हाथ हाथ खड़े कर दिये हैं। कई बार शिकायत के बाद भी कार्रवाई नहीं हो पा रही हैं। वार्डो में स्टाफ की कमी के कारण भी पेशेंट्स को परेशानी हो रही है।

सीटी स्कैन मशीन खराब

दून हॉस्पिटल में 10 फरवरी से सीटी स्कैन मशीन खराब हैं। कई बार इस बारे में शिकायत भी की जा चुकी है। इसके बाद भी कार्रवाई के नाम पर केवल खानापूर्ति की जा रही हैं। कई बार नई मशीन मंगवाने की बात की जाती है, लेकिन हर बार शासन स्तर पर मामला पेंडिंग हो जाता है। इसका खामियाजा पेशेंट्स को भुगतना पड़ रहा हैं। पेशेंट्स को सीटी स्कैन कराने के लिए प्राइवेट हॉस्पिटल का रुख करना पड़ रहा है। जहां उन्हें दोगुनी से ज्यादा कीमत चुकानी पड़ रही हैं।

एंटी रेबीज इंजेक्शन बंद

दून हॉस्पिटल सहित राजधानी के सभी सरकारी हॉस्पिटल में एंटी रेबीज के इंजेक्शन का संकट हो रहा है। फ्री में लगने वाले इस इंजेक्शन को लोगों को बाहर से खरीदना पड़ रहा है। कंपनी ने रेट कम होने की बात करते हुए इंजेक्शन देने से मना कर दिया था। इसके बाद से कुछ समय तक जनऔषधि केन्द्र से इंजेक्शन मिला, लेकिन अब वहां भी नहीं मिल रहा है। दून हॉस्पिटल के साथ ही कोरोनेशन हॉस्पिटल और प्रेमनगर हॉस्पिटल में एंटी रेबीज इंजेक्शन नहीं मिल पा रहे हैं।

2 जून से ईको मशीन बंद

दो जून से दून हॉस्पिटल में कार्डियो संबधी जांच नहीं हो पा रही है। यहां पहले कॉर्डियो के स्पेशलिस्ट नहीं थे। अब यहां ईको मशीन भी खराब हो गई है। आईसीयू में रखी इस मशीन को भी हॉस्पिटल प्रबंधन ठीक नहीं करा रहा है।

वार्डो में नहीं हैं रूम हीटर

ठंड इन दिनों चरम पर है। लेकिन कड़ाके की इस ठंड में कई वार्डो में रूम हीटर तक नहीं हैं। इसके चलते मरीजों को ठंड की ठिठुरन में रहने को मजबुर होना पड़ रहा हैं।

निक्कू वार्ड में 10 वार्मर खराब

दून महिला हॉस्पिटल के निक्कू वार्ड में 22 वार्मर में से 12 ही ठीक कंडीशन में हैं। यह भी बार-बार खराब होते हैं। इसके अलावा अन्य 10 हमेशा खराब रहते हैं। यह सभी वार्मर पुराने हैं, इन्हें बार बार ठीक करने की जरूरत होती है। वहीं दूसरी ओर दून हॉस्पिटल में एक साल पहले वेंटीलेटर मंगवाने की घोषणा की गई थी, जो एक साल पूरा होने के बाद भी अब तक नहीं आई है। इसके चलते वेंटीलेंटर की जरूरत पड़ने पर नवजात को प्राइवेट क्लीनिक भेजना पड़ता है, जहां एक दिन का खर्च 8 हजार से लेकर 10 हजार रुपए तक आता है।

लिफ्ट भी खराब

हॉस्पिटल में पांच लिफ्ट हैं, जिनमें से तीन लिफ्ट खराब हैं। ये खराब लिफ्ट वार्ड नम्बर 12, 14, 16 को जोड़ती हैं। इस वार्ड में कई मरीज ऐसे हैं जो इस वार्ड में दिव्यांग हैं। लिफ्ट खराब होने पर दिव्यागों को सीढि़यों से चढ़ने में परेशानी का सामना करना पड़ता है।

सीटी स्कैन मशीन की डिमांड की गई है। इसके लिए टेंडर भी मंगवाए गए हैं। मामला पैसे को लेकर अटका हैं। रेबीज के इंजेक्शन की कंपनी द्वारा सप्लाई नहीं दी जा रही है। इसके लिए भी आवेदन मांगे गए थे।

डॉ। आशुतोष सयाना,

प्रिंसिपल, दून मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल