देहरादून(ब्यूरो) कार्तिक के परिजनों के अनुसार राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत बच्चे को बिना चीरा लगाए फ्री इलाज किया गया। सोमवार को उसे डिस्चार्ज भी कर दिया गया। कार्तिक मालसी का रहने वाला है। उसे सांस फूलने और चेस्ट में पेन की समस्या थी। जिसके बाद वे पास के प्राइवेट क्लीनिक में गए। यहां से उन्हें प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में रेफर किया गया। जिसके बाद उन्हें दून मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल रेफर किया गया।

दो चरणों में हुआ इलाज
दून मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल में डॉक्टर्स ने शुरुआती जांच की। यहां पता चला कि उसके दिल में छेद है और एक वाल्व में भी सिकुडऩ है, जो एक यह दुर्लभ बीमारी है, जिसको पेटेंट डक्ट्स आर्टेरियोसस विद बाइकस्पिड एओर्टिक वाल्व विद सिवियर एओर्टिक स्टेनोसिस कहा जाता है। जांच रिपोर्ट के आधार पर बच्चे का दो चरणों में इलाज का फैसला किया गया। प्रथम चरण में पेटेंट डक्ट्स आर्टेरियोसस का डिवाइस क्लोजर किया गया। इसके दो माह बाद एओर्टिक स्टेनोसिस को बलून वाल्वोटोमी विधि से ठीक किया गया।

जटिल था बच्चे का इलाज
डॉक्टर्स के अनुसार इस बच्चे के इलाज में बड़ी चुनौती थी एक बीमारी का दूसरे बीमारी पर हेमोडायनामिक इफेक्ट (रक्त संचार) को समझना। हार्ट के अलग चैंबर से प्रेशर और ऑक्सीजन सैचुरेशन डाटा लिए गए। कुछ गणना के बाद स्टेज ट्रीटमेंट प्लान किया गया। एक खास तरह के टेम्पररी पेसमेकर को चंडीगढ़ से डॉक्टर्स ने मंगाया। जिसके बाद अब बच्चा अब पूरी तरह स्वस्थ है।

सभी सुविधा होगी हाईटेक
मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डा आशुतोष सयाना व चिकित्सा अधीक्षक डा। अनुराग अग्रवाल ने चिकित्सक व सहयोगी स्टाफ को बधाई दी है। उनका कहना है कि अस्पताल में तमाम सुविधाएं व संसाधन बढ़ाए जा रहे हैैं। जिससे लोगों को एक छत के नीचे सभी तरह का हाइटेक इलाज मिल जाए।

20 बच्चों की हो चुकी सर्जरी
कार्डियोलॉजिस्ट के अनुसार हॉस्पिटल में अब तक कैथ लैब शुरू होने के बाद प्रदेश के अलग-अलग जिलों से बच्चे इलाज के लिए रेफर होते हैं। इससे पूर्व ये सुविधा फोर्टिस हॉस्पिटल में थी। लेकिन, फोर्टिस के बंद होने के कारण ये प्राइवेट हॉस्पिटल पर निर्भर थे। इस बीच दून मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल में कैथ लैब खुलने के बाद 20 बच्चों की सर्जरी की जा चुकी है। लेकिन, इस बच्चे की सर्जरी चुनौती पूर्ण रही। जिसका कारण इसका दो-दो बीमारी से ग्रसित होना था।

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