-तीन दिन के हड़ताल पर गई आशा वर्कर

-अनदेखी का लगाया आरोप।

देहरादून।

कोरोना अलर्ट और डेंगू से बचाव अभियान के बीच आशा वर्कर 3 दिन की हड़ताल पर चली गई हैं। ऐसे में डेंगू अभियान पर ब्रेक लग गया है। आशा वर्कर्स ने अपनी 11 सूत्रीय मांगें दोहराई हैं। हड़ताल के चलते डेंगू से बचाव अभियान के तहत कई इलाकों में सर्विलांस टीम नहीं पहुंच पाईं। हड़ताल जारी रही तो डेंगू से बचाव अभियान और डेंगू लार्वा को नष्ट करने की मुहिम रुक सकती है।

डीजी ऑफिस का घेराव

शुक्रवार से सीटू से संबद्ध आशा स्वास्थ्य कार्यकत्री यूनियन के बैनर तले दून समेत सभी जिलों में आशा वर्कर ने अपना विरोध जताया। वह तीन दिन के हड़ताल पर चली गई हैं। देहरादून में आशा वर्कर पहले सीएमओ ऑफिस पहुंची इसके बाद उन्होंने डीजी हेल्थ ऑफिस का भी घेराव कर मांगी पूरी न होने का विरोध जताया।

यह लगाए आरोप

- हाई रिस्क जोन में लिया जा रहा काम।

- सरकार का रवैया उपेक्षापूर्ण।

- एकमुश्त मिलने वाली प्रोत्साहन राशि का भुगतान अब तक नहीं।

- आशाओं पर कई कामों का बोझ, अतिरिक्त भुगतान नहीं।

21 हजार रुपए मिले सैलरी

हड़ताल पर गईं आशा वर्कर्स ने मांग की कि उन्हें सरकारी सेवक का दर्जा दिया जाए। काम के बदले में उन्हें 21 हजार रुपए सैलरी दी जाए। इसके साथ कुछ अन्य मदों में भी उन्होंने मांग की है। प्रोत्साहन राशि का बकाया भुगतान जल्द किया जाए। आशा वर्कर्स ने चेतावनी दी कि अगर उनकी मांगें जल्द पूरी न की गईं तो वे बड़ा आंदोलन करेंगी।

काम का लाद दिया बोझ

आशा स्वास्थ्य कार्यकारी यूनियन की अध्यक्ष शिवा दुबे ने बताया कि मातृ-शिशु मृत्यु दर को कम करने के लिए आशाओं की नियुक्ति की गई थी। उसके बाद आशाओं पर कई कायरें का बोझ लाद दिया गया। इसकी एवज में उन्हें कोई भुगतान नहीं किया जा रहा है।

कोरोना से लेकर डेंगू सर्विलांस में तैनाती

आशा वर्कर्स ने कहा कि कोरोना संक्रमण की शुरुआत से लेकर सíवलांस आदि कायरें के लिए आशाओं की ड्यूटी लगाई गई थी। इसके बात जब ड्यूटी के बदले भुगतान करने की बात की गई तो आई तो उन्हें ड्यूटी से हटा दिया गया। अब डेंगू मच्छर के खात्मे के लिए घर-घर सर्वे करने में आशाओं की ड्यूटी लगाई गई है वह भी न्यूनतम भुगतान पर मांग की तो कोई जवाब नहीं मिला है।

जब तक हमारी मांग पर सरकार कोई सकारात्मक रवैया नहीं अपनाती है तब तक हम अपना आंदोलन इसी प्रकार जारी रखेंगे। हर बार सर्विलांस में हमें आश्वासन दिया जाता है लेकिन कुछ भी सकारात्मक रवैया नहीं अपनाया जाता है।

- शिवा दुबे, अध्यक्ष आशा स्वास्थ्य कर्मचारी यूनियन, देहरादून।