-ग्लोबल टाइगर फोरम ने पहली बार दी जिम्मेदारी

-मलेशिया में आयोजित होगा विशेष सेमिनार

pavan.nautiyal@inext.co.in

DEHRADUN: देहरादून स्थित वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया विश्व के 9 देशों को बाघों की गिनती का तरीका सिखाएगा और इसके लिए बाकायदा प्रोटोकॉल बनाएगा। ये पहली बार है जब वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया को ग्लोबल टाइगर फोरम (जीटीएफ) ने ये जिम्मेदारी सौंपी है। दरअसल इन नौ देशों में बाघों की गिनती का कोई सटीक तरीका इस्तेमाल नहीं किया जाता। यही नहीं, वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट उत्तराखंड, जम्मू-कश्मीर, सिक्किम, अरुणाचल और नेपाल में हिमालयी तेंदुओं की गिनती भी करेगा।

ऐसे होगी बाघों की गिनती

देश में बाघों की गिनती के लिए कैमरा ट्रैप, पग मार्क, गोबर और पेड़ों पर नाखूनों की खरोंचों के निशानों को लिया जाता है। इसके अलावा प्रोटोकॉल के तहत चीतल और सांभरों को भी मॉनिटर किया जाएगा।

फरवरी में शुरू होगा काम

विश्व की कुल क्फ् टाइगर रेंज में से 9 का जिम्मा वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया को दिया गया है। बाघों और हिमालयी तेंदुओं की गिनती के दोनों प्रोजेक्ट्स पर फरवरी में काम शुरू किया जाएगा। सबसे पहले ट्रैप के लिए कैमरे लगाए जाएंगे। इन प्रोजेक्ट्स पर व‌र्ल्ड बैंक की फंडिंग से काम होगा।

क्या कहते हैं वैज्ञानिक

डब्ल्यूआईआई के वैज्ञानिक वाई वी झाला के मुताबिक कई ऐसे देश हैं जहां बाघों की गिनती नहीं की जाती। यही वजह है कि वहां बाघों की संख्या का पता ही नहीं लग पाता। ये काम भारत, नेपाल, भूटान और बांग्लादेश ही कर रहे हैं। वियतनाम, मलेशिया, म्यांमार, थाइलैंड, कंबोडिया, लाओस जैसे देशों में गिनती नहीं की जाती। झाला ने बताया कि कुछ वक्त पहले बांग्लादेश में बताया गया कि वहां बाघों की संख्या फ्भ्0 है जो कुछ वक्त बाद क्0म् पर आ गई। इसी तरह मलेशिया में भ्भ्0 बाघों की तुलना में अब संख्या फ्भ्0 आंकी गई है। ऐसे में कई तरह के सवाल उठ रहे हैं कि या तो गिनती सही तरीके से नहीं हो रही है या बाघों के संरक्षण का काम ठीक से नहीं किया जा रहा है।

---------------

इन 9 देशों के लिए सेमिनार

-नेपाल

-बांग्लादेश

-भूटान

-म्यांमार

-मलेशिया

-थाइलैंड

-वियतनाम

-लाओस

-कंबोडिया

(भारत, रूस, चीन और इंडोनिशिया बाघों की गिनती के लिए अपने अलग तरीके अपनाते हैं.)

-------------

बाघों की गिनती के लिए सबसे सफल तरीके भारत में ही अपनाए जाते हैं। भारत समेत कुछ दूसरे देश इस टेकनीक को और उन्नत बनाने के लिए काम कर रहे हैं। जीटीएफ ने डब्ल्यूआईआई को जिम्मा सौंपा है कि वो बाघों की गिनती के लिए प्रोटोकॉल तैयार करे और 9 देशों की इसमें मदद करे। ताकि वे भी बाघों की गिनती के लिए सफल तरीके अपना पाएं। इसके लिए मलेशिया में सेमिनार होगा।

वाई वी झाला, वैज्ञानिक, डब्ल्यूआईआई