-ओपीडी में पहुंचे औसतन कम मरीज

-जो लोग पहुंचे उन्हें होना पड़ा काफी परेशान

-अलग से ऑटो तक करना पड़ा लोगों को

DEHRADUN: सर्राफा कारोबारियों की ओर से किए बंद के आह्वान का आंशिक रूप से राजकीय देहरादून मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल की ओपीडी पर भी असर देखने को मिला। आमतौर पर हर दिन पहुंचने वाले मरीजों की संख्या में गिरावट ही रही। सुबह से दोपहर तक खचाखच रहने वाली ओपीडी में सोमवार को सामान्य दिनों से तकरीबन तीस-पैंतीस परसेंट की कम भीड़ रही। जबकि यहां हर दिन की ओपीडी करीब पच्चीस सौ तक की रहती है।

व्यवस्था कर पहुंचे

दून बंदी के अह्वान का ही असर रहा कि तमाम मरीजों और उनके तीमारदार आने-जानने के लिए विक्रम टैम्पो और बसों पर निर्भर नहीं रहकर अपनी व्यवस्था कर हॉस्पिटल पहुंचे। कई लोग सीधे ऑटे रिक्शा कर पहुंचे तो तमाम लोग दूसरों के वाहन के सहारे हॉस्पिटल पहुंचे। हालांकि दोपहर के बाद पब्लिक ट्रांसपोर्ट रोड पर सामान्य रूप से सुचारू हो गया।

ऑफिस पहुंचने वालों को भी हुई मुश्किल

मरीजों और उनके तीमारदारों के अलावा सरकारी सेवा में सेवारत लोगों को भी इस हड़ताल की वजह से परेशानी का सामना करना पड़ा। राजकीय दून मेडिकल कॉलेज में कार्यरत बीएस भंडारी हर दिन की तरह पब्लिक ट्रांसपोर्ट से नहीं आ सके। उन्होंने अपनी ड्यूटी पर पहुंचे के लिए पचास रुपये खर्च कर अलग से ऑटो की सेवा ली। स्वास्थ्य सेवा में कार्यरत भंडारी अकेले नहीं जिन्होंने ऑफिस पहुंचने के लिए अलग से ऑटो लिया, बल्कि अन्य कर्मचारियों ने भी इसी तरह से अपनी ड्यूटी पर पहुंचने में भलाई समझी। तमाम लोग लिफ्ट लेकर अपने गंतव्य तक पहुंच सके।

वर्जन

देहरादून बंद की वजह से समस्या का सामना तो करना पड़ा है। किसी तरह से हॉस्पिटल तक पहुंच पाए हैं।

सोहनलाल

सर्राफा कारोबारियों की हड़ताल से हॉस्पिटल तक पहुंचने में मुश्किल हुई। गनीमत रही कि लिफ्ट लेकर आ गए।

महेशानंद

इस तरह की हड़ताल नहीं होनी चाहिए कि बस और टैम्पो से सफर करना मुश्किल हो जाए। दिक्कत होती है इससे।

मोहित

गनीमत रही कि अपने दोस्त की गाड़ी पर बैठकर यहां तक पहुंच गया। वरना मैं तो पहुंच ही नहीं पाता।

गज्जू