- भारतीय वन्यजीव संस्थान के विशेषज्ञों के साथ एक सितंबर को बनेगी रणनीति

DEHRADUN: राजाजी नेशनल पार्क के मोतीचूर-धौलखंड क्षेत्र में 11 दिन के भीतर दो बाघ शिफ्ट किए जा सकते हैं। इसके लिए कार्बेट नेशनल पार्क के बफर तराई पश्चिमी वन प्रभाग में बाघ चिह्नित कर लिए गए हैं, जिन पर लगातार निगरानी रखी जा रही है। इन्हें राजाजी में लाने के लिए एक सितंबर को भारतीय वन्यजीव संस्थान के विशेषज्ञों के साथ होने वाली वन्यजीव विभाग की बैठक में रणनीति तय की जाएगी।

रेडियो कॉलर से रखी जाएगी नजर

हरिद्वार, देहरादून और पौड़ी जिले के अंतर्गत 820 वर्ग किमी में फैले राजाजी नेशनल पार्क की चीला, गौहरी और रवासन रेंज के 270 वर्ग किमी के दायरे में बाघ हैं। इनकी संख्या तीन दर्जन से अधिक है। पार्क का 550 वर्ग किमी का मोतीचूर-धौलखंड क्षेत्र इस लिहाज से वीरान सा है। वहां पिछले सात साल से सिर्फ दो बाघिनें ही हैं। दरअसल, पार्क से गुजर रहे हाईवे और रेल लाइन के कारण बाघों की आवाजाही एक से दूसरे क्षेत्र में नहीं हो पाती। यही वजह है कि गंगा के दूसरी तरफ के चीला, गौहरी व रवासन से बाघ मोतीचूर-धौलखंड क्षेत्र में नहीं आ पाते। इस सबको देखते हुए वर्ष 2016 में कार्बेट अथवा दूसरे क्षेत्रों से मोतीचूर- धौलखंड क्षेत्र में बाघ शिफ्ट करने की योजना बनी। वर्ष 2017 में राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण से इसे मंजूरी मिलने के बाद अब यह मुहिम परवान चढ़ने की तरफ अग्रसर है। इस क्षेत्र में कार्बेट के बफर क्षेत्र तराई पश्चिमी वन प्रभाग समेत अन्य इलाकों से छह बाघ शिफ्ट किए जाने हैं। पहले चरण में दो बाघ तराई पश्चिमी क्षेत्र से लाए जाएंगे। राज्य के मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक जेएस सुहाग बताते हैं कि बाघ शिफ्टिंग के मद्देनजर सभी तैयारियां पूरी हो चुकी हैं। बाघों को यहां लाकर दो-तीन दिन मोतीचूर में बनाए गए बाड़े में रखा जाएगा। वहां इनके व्यवहार पर नजर रखी जाएगी और फिर इन्हें मोतीचूर-धौलखंड क्षेत्र में छोड़ा जाएगा। रेडियो कॉलर से इन पर निरंतर नजर रखी जाएगी। उन्होंने बताया कि बाघ बाड़े की हाथियों से सुरक्षा के दृष्टिगत इसके चारों तरफ सोलर पावर फेंसिंग भी की जा रही है। सुहाग के अनुसार प्रयास ये है कि प्रथम चरण में इस क्षेत्र में दो बाघ 10 सितंबर तक शिफ्ट कर दिए जाएं। इसके बाद अगले चरणों में भी दो-दो बाघ यहां लाए जाएंगे। इस पहल से मोतीचूर-धौलखंड क्षेत्र में भी बाघों का कुनबा बढ़ सकेगा।