- लॉकडाउन के दौरान छूट गई जॉब, बुलेट पर कबाब बेचकर चुनी नई राह

- उजबेकी टेस्ट का कबाब बेचकर छू ली ऊंचाई, दूसरों के लिए बने प्रेरणा

देहरादून,

यदि कुछ करने की लगन हो और किसी भी काम को छोटा समझने की प्रवृत्ति न हो तो अच्छी नौकरी छूट जाने के बाद में कुछ बेहतर और मनपसंद काम किया जा सकता है और ऊंचाइयों तक भी पहुंचा जा सकता है। देहरादून का ईशान अग्रवाल इसका उदाहरण हैं। अपनी एनफील्ड रॉयल बुलेट पर यह युवक आपको देहरादून के राजपुर रोड पर शाम को उजबेकिस्तान का लजीज मटन बन कबाख बेचता नजर आ जाएगा।

कोरोना की भेंट चढ़ी शानदार जॉब

ईशान दिल्ली में एक बड़ी कंपनी में 20 लाख रुपये के पैकेज पर काम करते थे। लेकिन, लॉकडाउन के दौरान नौकरी छूट गई। पूरा लॉकडाउन पीरियड इसी उधेड़बुन में गुजर गया कि अब क्या करें। इस दौरान कई काम इंटरनेट के माध्यम से हो रहे थे तो ईशान ने भी पहाड़ी प्रोडक्ट्स बेचने के लिए एक ई-कॉमर्स कंपनी खोल दी। शुरुआती कठिनाइयों के बाद कंपनी चलने लगे। इसके बावजूद ईशान के पास काफी समय बच जाता था। उन्होंने कुछ और करने की सोची।

कबाब खाया तो क्लिक किया आइडिया

ईशान बताते हैं कि उनके पास उनकी पसंदीदा रॉयल एनफील्ड बाइक थी और खाना बनाने और खाने का बचपन का शौक। बस उन्होंने अपनी इन्हीं दो पसंदीदा चीजों को लेकर कुछ करने का फैसला किया। बाइक थोड़ी-बहुत मॉडिफाइड कर दी। अब सवाल था कि ऐसा क्या बनाया जाए कि लोग पसंद करें। ईशान के अनुसार कुछ साल पहले वे छुट्टियां मनाने उजबेकिस्तान गये थे। वहां एक आंटी ने उन्हें मटन बन कबाब खिलाया। उसका स्वाद उन्हें इतना भाया कि उन्होंने आंटी ने इसे बनाने की विधि सीख ली और बाद दिल्ली आकर कई बार दोस्तों को बुलाकर इसे बनाकर खिलाया। सभी इस मटन बन की खूब तारीफ करते थे।

भा गया उजबेकी टेस्ट

उन्होंने फैसला किया कि वे मटन बन कबाब ही दूनाइट्स को खिलाएंगे और बस तैयारी शुरू कर दी। ईशान कहते हैं कि यह मटन बन 85 परसेंट उजबेकिस्तानी है। सिर्फ कुछ मसाले हैं जो यहां नहीं मिलते। उनकी जगह वे दूसरा मसाला इस्तेमाल करते हैं। ईशान अब दिन में एक ई-कॉमर्स कंपनी के सीईओ के रूप में काम करते हैं और शाम 6 बजे से रात 11 बजे तक एक सामान्य वेंडर्स की तरह अपनी बाइक पर राजपुर रोड पहुंचकर मटन बन कबाब बेचते हैं।

रिस्पॉन्स अच्छा है

ईशान के अनुसार उन्हें अब दोनों कामों में अच्छा रिस्पांस मिल रहा है। ई-कॉमर्स कंपनी के माध्यम से पहाड़ी प्रोडक्ट्स की डिमांड लगातार बढ़ रही है। दूसरी तरफ मटन बन खाने आने वालों की संख्या भी बढ़ रही है। वे 6 बजे जब पहुंचते हैं तो कई लोग पहले से उनके इंतजार में मिलते हैं।

कोई काम छोटा नहीं

ईशान यंगस्टर्स को संदेश देना चाहते हैं कि कोई भी काम छोटा या बड़ा नहीं होता। इसलिए काम कोई भी हो उसमें किसी तरह की शर्म या झिझक नहीं करनी चाहिए। वे कहते हैं कि बाइक पर शुरू किये गये अपने काम को वे जल्दी ही विस्तार देंगे और ज्यादा से ज्यादा लोगों तक मटन बन कबाख का टेस्ट पहुंचाने का प्रयास करेंगे।