देहरादून (ब्यूरो) दून में एक ओर प्लांटेशन को ड्राइव चलाई जा रही है वहीं दूसरी ओर हरे-भरे पेड़ों पर खुलेआम कीलें ठोक कर पेड़ों को बर्बाद किया जा रहा है। ऐसे एक-दो नहीं, सड़क किनारे और कॉलोनियों में हजारों पेड़ हैं, जिनकी गिनती करना मुश्किल है। व्यवसाय को प्रोत्साहित करने के लिए विज्ञापनों के बोर्ड को हरे पेड़ों पर ठोंका जा रहा है। पौधरोपण की मुहिम के बीच पेड़ों को बचाने पर किसी का ध्यान नहीं है। सवाल यह है कि क्या नए पेड़ों को लगाकर पुरानों को नष्ट किया जाना चाहिए।

विज्ञापनों की भेंट चढ़ रहे हजारों पेड़
दून में तमाम एजुकेशनल इंस्टीट्यूशन, होटल, मॉल, आवासीय फ्लैट्स और स्कूल के प्रचार-प्रसार संबंधी विज्ञापनों के पर्चे-पोस्टर पेड़ों पर हर जगह टंगे हुए मिल जाएंगे। पेड़ों पर विज्ञापनों के बोर्ड टांगने का रिवाज सा आ गया है, लेकिन खास बात है कि विज्ञापनवालों के पता और नंबर समेत सभी डिटेल होने के बावजूद संबंधित विभाग कार्रवाई करने को तैयार नहीं हैं। सबसे व्यस्त रहने वाले राजपुर रोड समेत ईसी रोड, गांधी रोड, प्रेमनगर-सेलाकुई रोड हो या शहर की कोई अन्य रोड। कील ठोंके जाने से अब तक हजारों पेड़ सूख गए हैं। जबकि कुछ सूखने के कगार पर है। इस मामले में वन विभाग की लापरवाह कार्यशैली को लेकर पर्यावरण प्रेमी ने सवाल उठाए हैं।

पेड़ों को बचाने का लिया संकल्प
श्री महाकाल सेवा समिति पेड़ों को बचाने के अभियान में जी जान से जुटी हुई है। समिति के अध्यक्ष रोशन राणा का कहना है कि उनकी समिति निस्वार्थ भाव से पेड़ों को बचाने की मुहिम चला रही है। उन्होंने कहा कि उनका संकल्प है कि जहां भी पेड़ों खतरे में मिलेंगे समिति का एक-एक सदस्य उसे बचाने के लिए संकल्पित है। उन्होंने कहा कि समिति के साथ-साथ आम जन को सेल्फ अवेयरनेस की आवश्यक है। सिर्फ सरकार के भरोसे भी यह संभव नहीं है। वह सेल्फ मोटिवेशन से पेड़ों को बचाने का काम कर रहे हैं। बताया कि अब तक समिति ने शहर से 112 पेड़ों को लोहे के ट्री गार्ड से मुक्त कर चुकी है। बताया कि इस काम में उनकी टीम के सदस्य बालकिशन शर्मा, संजीव गुप्ता, हेमराज अरोड़ा, आलोक जैन, नितिन अग्रवाल, राहुल माटा, अंकुर मल्होत्रा, कृतिका राणा और अनुष्का राणा आदि विशेष योगदान दे रहे हैं।

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