-दून में दौड़ रही करीब सात दर्जन से ज्यादा प्राइवेट एंबुलेंस

देहरादून, अब सड़कों पर फर्राटे भर कर पेशेंट्स को अस्पताल और हॉस्पिटल से घर तक पहुंचाने वाली लाइफ सेविंग एंबुलेंसेस को भी वेंटीलेटर की जरूरत पड़ गढ्र्ड है। स्थिति ये है कि तमाम कोशिशों के बावजूद एंबुलेंसेस को ऑक्सीजन नहीं मिल पा रहा है। नतीजतन, एंबुलेंस संचालक के एंबुलेंस भी हॉस्पिटलों के बाहर खड़ी हो जा रही हैं।

पटेलनगर स्थित एक एंबुलेंस संचालित ने बताया कि वेडनसडे को ऑक्सीजन न मिलने के कारण उनके पास पहुंचे पांच पेशेंट्स वापस लौटे। इनमें कुछ पेशेंट्स कई बार ऑक्सीजन की डिमांड करने लगे। एंबुलेंस संचालक ने भी कई बार ऑक्सीजन के डीलर, सप्लायर्स तक बात की। लेकिन दोपहर तीन बजे तक उन्हें कहीं से ऑक्सीजन सिलेंडर उपलब्ध नहीं हो पाया। सीएमआई चौक के पास एक एंबुलेंस संचालक दो दिनों से ऑक्सीजन की कमी के कारण खड़ी है। पेशेंट्स ऑक्सीजन वाली एंबुलेंस की डिमांड कर रहे हैं। लेकिन उन्हें ऑक्सीजन नहीं मिल पा रहा है। ऐसा ही हाल सिटी के दूसरे इलाकों में संचालित होने वाली एंबुलेंस का बताया जा रहा है।

दून में 80 से अधिक प्राइवेट एंबुलेंस

एंबुलेंस संचालकों के अनुसार दून में प्राइवेट एंबुलेंस की संख्या 80 के पार है। नाम न छापने के शर्त पर एंबुलेंस संचालकों का कहना है कि एक सप्ताह पहले तक हर एंबुलेंस में ऑक्सीजन की कोई कमी नहीं थी। अचानक डिमांड बढ़ जाने से एंबुलेंस के पहिए जाम हो गए हैं।

2020 में नहीं थी ऑक्सीजन की कमी

गत वर्ष भी कोरोना संक्रमण के मामले सामने आए थे। लेकिन जब कोरोना के केस पीक पर थे, उस दौरान दून में कभी भी ऑक्सीजन की शॉर्टेज सामने नहीं आई। लेकिन इस बार अचानक हॉस्पिटलों से लेकर एंबुलेंस तक ऑक्सीजन की कमी सामने आने लगी है। जिसका खामियाजा जरूरतमंदों को भुगतना पड़ रहा है।

एंबुलेंस के पेमेंट अब तक नहीं

प्राइवेट एंबुलेंस संचालकों का कहना है कि गत वर्ष सरकार ने कई एंबुलेंस को कोरोना संक्रमणकाल में टेकओवर किया था। आरटीओ की ओर से सीसी के हिसाब से पेमेंट किए जाने का आश्वासन दिया गया था। लेकिन अब तक एक वर्ष बीत जाने के बावजूद अधिकतर एंबुलेंस को पेमेंट नहीं हो पाया है।