आई एक्सक्लूसिव

- एआईसीटीई ने निजी संस्थानों की मनमानी पर लगाया ब्रेक

- अब मनमाने तरीके से नहीं कर सकेंगे फीस में बढ़ोत्तरी

- आईआईटी, आईआईएम और मेडिकल कॉलेज रहेंगे नियम से बाहर

ravi.priya@inext.co.in

DEHRADUN: जहां एक ओर आईआईटी की फीस बढ़ने से स्टूडेंट्स को झटका लगा है, वहीं दूसरी ओर इंजीनियरिंग में करियर का सपना देखने वाले कैंडिडेट्स के अच्छी खबर भी है। जल्द ही तकनीकि, फार्मा और मैनेजमेंट कोर्सेज का संचालन करने वाले संस्थानों की फीस घटाई जाएगी। एआईसीटीई ने फीस निर्धारण को बनाई गई श्री कृष्णा कमेटी की सिफारिशों को लागू करने का फैसला किया है। फैसले के लागू होने के बाद निजी संस्थानों की फीस को लेकर मनमानी पर भी लगाम लगेगी।

अगले सेशन से लागू होंगी सिफारिशें

देशभर के एनआईटी, ट्रिपल आईटी सहित टेक्निकल, मैनेजमेंट और फार्मा कॉलेजेज की फीस कम होने जा रही है। ऑल इंडिया काउंसिल फॉर टेक्निकल एजुकेशन (एआईसीटीई) ने संस्थानों की फीस सुनिश्चित करने के लिए बनाई गई श्रीकृष्णा कमेटी की सिफारिशों को अनिवार्य कर दिया है। यह सिफारिशें देश के सभी राज्यों में अगले सेशन से लागू होंगी। कमेटी की सिफारिशों के मुताबिक इंजीनियरिंग कोर्सेज के लिए जहां अधिकतम फीस क्.भ्8 लाख रुपए तय की गई है, वहीं मैनेजमेंट कोर्सेज के लिए क्.7क् लाख रुपए सालाना फीस निर्धारित की गई है। आईआईएम, आईआईटी और मेडिकल कॉलेजेज एआईसीटीई के इस नियम से बाहर रहेंगे। इन संस्थानों को छोड़कर बाकी सभी संस्थानों पर नियम लागू होंगे।

सरकारी व निजी संस्थानों में बड़ा अंतर

दरअसल देशभर में निजी संस्थान फीस को लेकर मनमानी करते हैं। यही कारण है कि सरकारी संस्थानों और प्राइवेट संस्थानों की फीस में जमीन आसमान का अंतर देखने को मिलता है। उदाहरण के तौर पर अकेले उत्तराखंड में ही दो प्राइवेट यूनिवर्सिटी में एमबीए कोर्स की फीस में बड़ा फर्क देखने को मिलता है। ग्राफिक एरा यूनिवर्सिटी में जहां एमबीए कोर्स की सालाना फीस क्.90 लाख रुपए है, वहीं आईएमएस यूनिसन यूनिवर्सिटी में फीस तकरीबन सवा दो लाख रुपए की सालाना फीस कैंडिडेट्स को चुकानी पड़ती है।

निजी संस्थान करते थे मनमानी

काउंसिल ने निजी संस्थानों की मनमानी पर रोक लगाने और फीस में एकरूपता लाने के मकसद से यह कदम उठाया है। अगर किसी प्राइवेट मैनेजमेंट या इंजीनियरिंग कॉलेज द्वारा काउंसिल के नियमों का उल्लंघन किया गया तो न सिर्फ उनकी मान्यता रद्द की जाएगी बल्कि ऐसे संस्थानों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई भी की जाएगी। काउंसिल ने साफ कहा है कि नियमों को लागू न करने की दशा में संस्थानों को बंद करने की कार्रवाई भी की जा सकती है। काउंसिल द्वारा लागू की जाने वाली सिफारिशों के अंतर्गत इंजीनियरिंग और मैनेजमेंट संस्थानों के साथ ही अन्य टेक्निकल और फार्मा कोर्सेज का संचालन कर रहे प्राइवेट संस्थानों पर भी लागू होगा।

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एमबीए के लिए क्.90 लाख रुपए सालाना फीस निर्धारित की गई है, जिसमें मैनेजमेंट सीट पर स्टेट कोटे से एडमिशन में ख्भ् परसेंट छूट दी जाती है।

----- डा। सुभाष गुप्ता, ओएसडी, ग्राफिक एरा यूनिवर्सिटी

एमबीए के साथ कुछ सर्टिफिकेट कोर्स भी जुड़े हैं। कैंडिडेट्स को एमबीए का दो साल का कोर्स साढ़े चार लाख में पड़ता है। उत्तराखंड डोमिसाइल होल्डर्स के लिए यही फीस घटकर फ्.87 लाख रुपए निर्धारित है।

--- स्वाति बिष्ट, हेड, एमबीए डिपार्टमेंट, आईएमएस यूनिसन यूनिवर्सिटी

फीस कम होने से स्टूडेंट्स के लिए प्राइवेट कॉलेजेज में पढ़ाई करना आसान हो जाएगा। कई जगह देखने में आता है कि सुविधाओं के नाम पर ही लाखों रुपए फीस रख दी जाती है। काउंसिल के इस कदम से स्टूडेंट्स को राहत मिलेगी। एनआईटी आदि में फीस कम होगी तो स्टूडेंट्स पर आर्थिक बोझ कम पड़ेगा।

-------- डा। विजय जुयाल, रजिस्ट्रार, उत्तराखंड टेक्निकल यूनिवर्सिटी