- राज्य में मानसिक स्वास्थ्य नियमावली का होगा कड़ाई से पालन, नियमों का उल्लंघन करने पर 2 साल की जेल व 5 लाख तक जुर्माना

देहरादून (ब्यूरो): स्वास्थ्य विभाग का जिम्मा संभालने के बाद से मंत्री डॉ धन सिंह रावत इस पर गंभीरता से काम कर रहे थे। केन्द्र में कई बार उन्होंने इसकी पैरवी की। स्वास्थ्य सचिव डॉ आर राजेश कुमार ने पूरी टीम के साथ इस पर गंभीरता से काम किया और केन्द्र की मुहर के बाद राज्य कैबिनेट ने भी इस पर अपनी मुहर लगा दी।

समाजिक कार्यों से जुड़े लोगों की राय ली गई
दरअसल, स्वास्थ्य सचिव बनने के बाद से डॉ आर राजेश कुमार ने राज्य में स्वास्थ्य सेवाओं को पटरी पर लाने के साथ केन्द्र की योजनाओं को राज्य में तेजी से धरातल पर उतारने में कामयाबी हासिल की है। राज्य में स्वास्थ्य सेवाओं और केन्द्रीय स्वास्थ्य योजनाओं की प्रगति पर केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री के साथ ही समय-समय पर केन्द्र सरकार से आये अधिकारियों ने भी तारीफ की है। स्वास्थ्य सचिव डॉ आर राजेश कुमार ने इस उपलब्धि के लिए महानिदेशक स्वास्थ्य डॉ विनीता शाह सहित पूरी टीम को बधाई दी। कहा, मानसिक स्वास्थ्य नियमावली के गठन से पहले इसके लिए सरकारी और गैरसरकारी, बुद्वजीवी वर्ग, समाजिक कार्यों से जुड़े लोगों की राय ली गई। जिसके बाद इसके फाइनल ड्राफट पर मुहर लगी।

पंजीकरण करना अनिवार्य होगा
स्वास्थ्य सचिव डॉ आर राजेश कुमार ने बताया कि मानसिक स्वास्थ्य नियमावली की मंजूरी के बाद राज्य में अब नशा मुक्ति केंद्र, मानसिक स्वास्थ्य संस्थान के साथ मानसिक रोग विशेषज्ञ, नर्सों, मनोचिकित्सकीय सामाजिक कार्यकर्ताओं को पंजीकरण करना अनिवार्य होगा। लेकिन, मानसिक रोग विशेषज्ञों से पंजीकरण शुल्क नहीं लिया जाएगा। केंद्र सरकार ने 2017 में मानसिक स्वास्थ्य देखरेख अधिनियम लागू किया था। साथ ही राज्यों को भी इस अधिनियम के तहत मानसिक स्वास्थ्य नीति और नियमावली बनाने के निर्देश दिए गए थे। अधिनियम के तहत 2019 में सरकार ने राज्य मानसिक स्वास्थ्य प्राधिकरण का गठन किया। लेकिन नियमावली न होने के कारण प्राधिकरण काम नहीं कर पा रहा था। बीते माह स्वास्थ्य विभाग की ओर से नियमावली का प्रस्ताव केंद्र सरकार की अनुमति के लिए भेजा गया था। केंद्र सरकार ने नियमावली का परीक्षण करने के बाद मंजूरी दे दी है। आज कैबिनेट में इस नियमावली को मंजूरी मिल गई।

मानसिक स्वास्थ्य संस्थानों को देना होगा पंजीकरण शुल्क
प्रदेश में संचालित नशा मुक्ति केंद्र या मानसिक स्वास्थ्य संस्थानों को अनिवार्य रूप से प्राधिकरण में पंजीकरण करना होगा। इसके लिए शुल्क भी लिया जाएगा। एक साल के अस्थायी लाइसेंस के लिए दो हजार रुपये शुल्क होगा। इसके बाद स्थायी पंजीकरण के लिए 20 हजार शुल्क देना होगा।

इन नियमों का भी करना होगा पालन
नशा मुक्ति केंद्र मानसिक रोगी को कमरे में बंधक बना कर नहीं रख सकते हैं। डॉक्टर के परामर्श पर नशा मुक्ति केंद्रों में मरीज को रखा जाएगा और डिस्चार्ज किया जाएगा। केंद्र में फीस, ठहरने, खाने का मेन्यू प्रदर्शित करना होगा। मरीजों के इलाज के लिए मनोचिकित्सक, डॉक्टर को रखना होगा। केंद्र में मानसिक रोगियों के लिए खुली जगह होनी चाहिए। जिला स्तर पर मानसिक स्वास्थ्य समीक्षा बोर्ड के माध्यम से निगरानी की जाएगी। मानसिक रोगी को परिजनों से बात करने के लिए फोन की सुविधा दी जाएगी। इसके अलावा कमरों में एक बेड से दूसरे बेड की दूरी भी निर्धारित की गई है।

13 जनपदों के 7 स्थानों पर पुनर्विलोकन बोर्डों का गठन
मानसिक स्वास्थ्य देखरेख अधिनियम-2017 को भारत सरकार द्वारा दिनांक 29 मई, 2018 को अधिसूचित कर दिया गया था, जिसको उत्तराखण्ड सरकार द्वारा मूल रूप में अधिकृत कर लिया गया है। इस अधिनियम का मूल उद्देश्य मानसिक रोग से ग्रस्त व्यक्तियों के अधिकारों, उनके उचित उपचार एवं संरक्षण करना है। इस अधिनियम के अन्तर्गत राज्य सरकार द्वारा राज्य मानसिक स्वास्थ्य प्राधिकरण एवं उत्तराखण्ड के 13 जनपदों के 07 स्थानों पर पुनर्विलोकन बोर्डों का गठन कर दिया गया है। इनमें हरिद्वार जनपद में एक, देहरादून जनपद में एक, उधमसिंह नगर जनपद के रूद्रपुर में एक, पौड़ी गढ़वाल, रूद्रप्रयाग, और चमोली जनपद का सेंटर श्रीगर ग?वाल में, टिहरी ग?वाल और उत्तरकाशी जनपद का न्यू टिहरी में और बागेश्वर, पिथौराग? व चंपावत जनपद का पिथौरागढ में बोर्ड का गठन किया गया है।

अस्थाई पंजीकरण के लिए न्यूनतम राशि 2,000 रुपए का प्राविधान
इस अधिनियम के आलोक में राज्य सरकार द्वारा मानसिक स्वास्थ्य देखरेख नियम, मानसिक स्वास्थ्य संस्थानों (नशामुक्ति केन्द्रों सहित ) के लिए नियम विनियम एवं मानसिक रोग से ग्रस्त व्यक्तियों के अधिकार इत्यादि को तैयार कर लिया गया है। वहीं, भारत से अनुमोदन प्राप्त कर मंत्री परिषद् में राज्य में प्रख्यापित करने हेतु प्रेषित किया गया, जो कि 7 जुलाई को सम्पन्न हुई मंत्री परिषद की बैठक में सभी नियमो विनियमों को प्रख्यापित करने को मंजूरी दे दी गई है। सभी मानसिक स्वास्थ्य संस्थानों (नशामुक्ति केन्द्रों सहित) मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों (नैदानिक मनोवैज्ञानिकों, मानसिक स्वास्थ्य नर्सों एवं मनशचिकित्सीय सामाजिक कार्यकर्ताओं) को राज्य मानसिक स्वास्थ्य प्राधिकरण कार्यालय में पंजीकृत होना अनिवार्य है। मानसिक स्वास्थ्य संस्थानों के अस्थाई पंजीकरण के लिए न्यूनतम राशि 2,000 रुपए का प्राविधान है। वहीं, मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों का पंजीकरण नि:शुल्क किया जाना है।

नियमों का उल्लंघन करने पर 2 साल की जेल या 50 हजार जुर्माना
नियमावली में नियमों का उल्लंघन करने पर मानसिक स्वास्थ्य संस्थानों ( नशामुक्ति केन्द्रों सहित) द्वारा प्रथम उल्लघन पर 5,000 से 50,000 रूपये, दूसरे उल्लघन पर 2,00,000 रूपये व बार-बार उल्लघन पर 5,00,000 रूपये का जुर्माना दण्ड के रूप में प्राविधान है। इन नियम विनियमों के प्रख्यापित होने से राज्य में मानसिक रोग से ग्रस्त व्यक्तियों को उच्च गुणवत्तायुक्त उचित उपचार प्राप्त हो सकेगा एवं अवैध संस्थानों पर नियंत्रण हो पायेगा। भारत सरकार एवं राज्य सरकार इस क्षेत्र में कार्य करने के लिए कृतसंकल्प है।
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