-भू्रण जांच पर सख्त डीएम, होगी छापेमारी

-डीएम ने अल्ट्रासाउंड सेंटर्स पर निगरानी बढ़ाने को दिए निर्देश

-जिले में संचालित हैं 100 से ज्यादा अल्ट्रासाउंड सेंटर्स

-आईनेक्स्ट पहले भी उठा चुका है गिरते लिंगानुपात का मुद्दा

>DEHRADUN: देहरादून में भू्रण जांच करने वाले अल्ट्रासाउंड सेंटर्स पर प्रशासन ने नकेल कसने की तैयारी कर ली है। ऐसे में सभी अल्ट्रासाउंड सेंटर्स को अग्निपरीक्षा देनी होगी। डीएम ने इसके लिए तहसील स्तर पर एसडीएम की अध्यक्षता में समिति का गठन किया है, जो हर छह माह में अल्ट्रासाउंड सेंटर्स का निरीक्षण करेंगी। इसके अलावा संदिग्ध अल्ट्रासाउंड सेंटर्स पर आकस्मिक छापेमारी भी की जाएगी।

पीसीपीएनडीटी का सख्ती से पालन

लगातार लिंगानुपात घट रहा है। इसका सबसे बड़ा कारण अल्ट्रासाउंड सेंटर्स को ही माना जाता है, क्योंकि चंद पैसों के लालच में अल्ट्रासाउंड सेंटर्स संचालक अपने पेशे के साथ गद्दारी कर भू्रण जांच कर देते हैं। इसी से कन्या भू्रण हत्या को बढ़ावा मिला है। इसे रोकने के लिए ही पीसीपीएनडीटी एक्ट बनाया गया है।

दून में लिंगानुपात की स्थिति

गर्भाधारण पूर्व एवं प्रसव पूर्व निदान तकनीक (लिंग चयन प्रतिषेध ) अधिनियम बनाया गया था, लेकिन भू्रण जांच पर लगाम लगाना आसान नहीं है। उत्तराखंड में वर्ष ख्00क् में प्रति एक हजार लड़कों पर 9ख्7 लड़कियों का आंकड़ा था। ख्0क्क् में यह घटकर 9क्9 रह गया। यह आंकडे़ लगातार हो रही भू्रण जांच की ओर इशारा कर रहे हैं। देहरादून की बात करें तो यहां का लिंगानुपात 889 है।

पिछले काफी समय से चल रही थी मनमानी

पीसीपीएनडीटी एक्ट की बात करें तो एक नियम यह भी है कि केवल नर्सिग होम में भर्ती मरीजों के लिए पोर्टेवल मशीनों का प्रयोग किया जाएगा। इसके अलावा क्लीनिक या अन्य सेंटर पर स्थाई मशीन रखी जाएगी। स्वास्थ्य विभाग पिछले एक साल में क्भ् पोर्टेवल मशीन सील कर चुका है। जबकि यह पिछले काफी समय से चलती आ रही थी।

आसानी से नहीं हाेगा रिन्युवल

भू्रण जांच और अल्ट्रासाउंड का दुरुपयोग रोकने के लिए डीएम ने सख्ती बढ़ा दी है। अब ऐसे अल्ट्रासाउंड सेंटर्स का रिन्युवल नहीं किया जाएगा। एसडीएम की अध्यक्षता में तहसील स्तर पर समिति का गठन किया गया है, जो हर छह माह में इनका निरीक्षण करेगी। इसके अलावा फार्म एफ भरना सभी के लिए अनिवार्य है। इनमें से खामियां मिलने पर लाइसेंस रिन्युवल नहीं किया जाएगा।

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भू्रण जांच रोकने के लिए पीसीपीएनडीटी एक्ट का सख्ती से पालन कराया जा रहा है। हर छह माह में निरीक्षण कराया जा रहा है, साथ ही सूचना मिलने पर संदिग्ध सेंटर्स पर आकस्मिक छापेमारी कराई जाएगी। इसके लिए तहसील स्तर के अधिकारियों और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की संयुक्त टीमें भी बनाई गई हैं।

--रविनाथ रमन, डीएम, देहरादून