- अफसर बन गए लेकिन बच्चों को पढ़ाने का जुनून बरकरार

- शिक्षक रहे अफसरों ने आई नेक्स्ट से शेयर किए अपने अनुभव

DEHRADUN: गुरु गोविंद दोऊ खड़े, काके लागूं पाय, बलिहारी गुरुआपने, गोविन्द दियो बताए। संत कबीर का यह दोहा गुरु यानी शिक्षक की उस महत्ता के बारे में बताता है जो कि उन्हें भगवान से भी बड़ा दर्जा देता है। राजधानी दून में कई ऐसे बड़े अफसर तैनात हैं, जिन्होंने लंबे समय तक बतौर शिक्षक काम किया और आज अफसर बनने के बाद भी उनका बच्चों को पढ़ाने का जुनून बरकरार है। शिक्षक दिवस के मौके पर आई नेक्स्ट ने बात की ऐसे ही कुछ अधिकारियों से।

नहीं भूले जाते वो 7 साल

मूल रूप से देहरादून के चक्खुवाला में रहने वाली नेहा मिश्रा करीब 7 साल तक विकासनगर में माध्यमिक स्कूल में बतौर शिक्षिका पढ़ाती रहीं। एमएससी करने के बाद नेहा ख्007 में एलटी शिक्षिका के तौर पर सरकारी स्कूल में तैनात हुईं। यहां से नेहा ने कमीशन क्रैक किया और बतौर असिस्टेंट कमिश्नर सेल्स टैक्स डिपार्टमेंट को ज्वाइन किया। नेहा वर्तमान में हरिद्वार जिले में तैनात हैं, लेकिन जब भी उन्हें बच्चों को पढ़ाने का मौका मिलता है वे इस मौके को बिल्कुल नहीं गंवाती। वे कहती हैं कि उन्होंने 7 साल तक बतौर टीचर बच्चों को पढ़ाया, जिन्हें वे कभी नहीं भूल सकती।

याद करते हैं डीयू के स्टूडेंट्स

तेज तर्रार पीपीएस अधिकारियों में से एक एएसपी श्वेता चौबे उत्तराखंड पुलिस ज्वाइन करने से पहले डीयू में बतौर प्रोफेसर तैनात रहीं। मूल रूप से छत्तीसगढ़ की रहने वाली श्वेता चौबे ने ख्00क् में जेएनयू में साइकोलॉजी से एमफिल करने के बाद दिल्ली यूनिवर्सिटी में ही बतौर असिस्टेंट प्रोफेसर पढ़ाना शुरू किया। ख्00भ् में उनका सिलेक्शन उत्तराखंड में बतौर डिप्टी एसपी हुआ। श्वेता बताती हैं कि अभी भी उनके स्टूडेंट्स उन्हें याद करते हैं। इतना ही नहीं श्वेता को जब भी मौका मिलता है तो वे गेस्ट टीचर के तौर पर पढ़ाने जाती हैं।

थानेदार के साथ ही बेहतर शिक्षक भी

राजपुर थाने में तैनात थानेदार राजेश साह एक बेहतर थानेदार के साथ ही बेहतर शिक्षक भी हैं। राजेश ने एमएससी मैथ्स से करने के बाद बीएड किया। इसके बाद से राजेश लखनऊ में सीएमएस स्कूल में करीब तीन साल तक पढ़ाते रहे। राजेश साह ने ख्00ख् में बतौर सब इंस्पेक्टर उत्तराखंड पुलिस को ज्वाइन किया। इसके बाद से पुलिस विभाग के कई जिम्मेदार पदों पर रहने के बाद उन्हें राजधानी से सबसे पॉश इलाके राजपुर की कमान दी गई है। राजेश आज भी पुलिस मॉर्डन स्कूल में पढ़ाने के लिए जाते हैं।