-बहुत ही जल्द ही आएंगे गंगा के अच्छे दिन

-नमामि गंगे अभियान के तहत होगी प्लानिंग

-नालों और सीवरों की गंदगी को रोकना प्राथमिकता

HARIDWAR (JNN) : सेंट्रल गवर्नमेंट गंगा की निर्मलता को बनाए रखने के लिए उसमें गिर रहे सीवर व नालों को रोकने के ऐलान से धर्मनगरी में गंगा की गंदगी साफ होने की उम्मीदों को पंख लग गए हैं। गंगा की सफाई को सरकार ने 'नमामि गंगे' के लिए 53 हजार करोड़ की योजना बनाने की बात कही है। योजना में जिसमें सारा जोर पतित पावनी गंगा में नालों और सीवरों की गिर रही गंदगी को रोकने पर होगा।

बनी 53 हजार करोड़ की योजना

नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद भाजपा सरकार द्वारा पेश किए गए पहले बजट में गंगा की निर्मलता और अविरलता बनाए रखने को बजट में 'नमामि गंगे' कार्यक्रम की घोषणा की थी। इसी के तहत सरकार गंगा की निर्मलता और अविरलता को सुनिश्चित करने को योजनाबद्ध तरीके से काम करने जा रही है। केंद्रीय जल संसाधन नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्री सुश्री उमा भारती ने हरिद्वार में रहते हुए पतित पावनी मां गंगा की अविरलता, निर्मलता और पवित्रता को बनाए रखने को लंबा आंदोलन चलाया था। 26 मई 2014 को उनके केंद्रीय जलसंसाधन नदी विकास एवं गंगा संरक्षण मंत्री बनने पर धर्मनगरी में गंगा की निर्मलता व अविरलता सुधरने की उम्मीद जगी थी। उम्मीद जगी थी कि अब गंगा की हालत और हालात दोनों में सुधार आएगा। केंद्र सरकार द्वारा नमामि गंगे को लेकर 53 हजार करोड़ की योजना बनाए जाने की बात से इन उम्मीदों को पंख लग गए हैं।

40 से 50 सीवर गिरते हैं गंगा में

पहाड़ों से उतरने के बाद पहली बार मैदान (ऋषिकेश-हरिद्वार) में पहुंचते ही गंगा मैली होने लगती है। गंगा के हरिद्वार तक पहुंचते-पहुंचते 72 नालों-नालियों का पानी बिना किसी ट्रीटमेंट के इसमें मिलने लगता है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक हरिद्वार में गंगा में गिरने वाले नालों की संख्या 22, ऋषिकेश में 6, ढालवाला, मुनि की रेती में 15 और तपोवन में 7 है। पौड़ी में पड़ने वाले स्वर्गाश्रम क्षेत्र से गंगा में गिरने वाले नालों की संख्या 24 है। गंगा में गिरने वाला सीवर जल अलग है, आमतौर पर दावा किया जाता है कि शहरी क्षेत्र से निकलने वाले सीवर जल को एसटीपी (सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट) के जरिए साफ कर नदी में छोड़ा जाता है। पर, हकीकत इसके उलट है। अकेले हरिद्वार में ही सामान्य दिनों में 40 से 50 एमएलडी सीवरेज जल सीधे गंगा में डाल दिया जाता है।

बिना ट्रीटमेंट डाला जा रहा सीवर

हरिद्वार में रोजाना तकरीबन 100 से 110 एमएलडी सीवरेज जल उत्सर्जित होता है, जबकि यहां पर उसके ट्रीटमेंट यानि सफाई के लिए बने तीन सिवरेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) की कुल क्षमता मात्र 60 एमएलडी ही है। मेले और स्नान आदि के समय यहां से निकलने वाले सीवरेज जल की मात्रा 130 एमएलडी से 140 एमएलडी तक पहुंच जाती है। पर, इसके शोधन की क्षमता वहीं की वही रहती है। साफ है कि अकेले हरिद्वार में ही गंगा में रोजाना करीब 40 एमएलडी और विशेष मौकों पर करीब 60 एमएलडी सीवरेज जल बिना ट्रीटमेंट के सीधे गंगा में डाला जा रहा है।

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नहीं खर्च कर पाए पैसा

गंगा सफाई व उसकी निर्मलता को विशेष केंद्रीय वित्तीय सहायता के तहत चार वर्ष पहले गंगा प्रदूषण नियंत्रण इकाई को मिले 3830.07 लाख रुपये खर्च नहीं किए जा सके। इनसे चार योजनाएं बननी थीं। दो सीवर ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) भी बनाए जाने थे। नाला टैपिंग व सीवर लाइन भी बिछाने की योजना थी। यूपी सिंचाई विभाग से भूमि का हस्तांतरण न होने से मामला जहां का तहां रुका हुआ है।

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तीस साल से चल रहे हैं प्रयास

गंगा की स्वच्छता के लिए 1985 में पहली योजना शुरू की गई थी। गंगा की सफाई के शुरू हुई योजना के प्रथम चरण से ही हरिद्वार में गंगा प्रदूषण रोकने के लिए काम हो रहा है। गंगा प्रदूषण नियंत्रण इकाई को गंगा शुद्धिकरण के लिए गंगा में प्रवाहित हो रहे नालों को टैप करने, सीवर लाइन बिछाने, सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) बनाने के काम दिए गए। पर, यह आज तक पूरे नहीं हो पाए।

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एक और एसटीपी बनाने की मांग

हरिद्वार में 2016 में होने वाले अ‌र्द्धकुंभ की तैयारियों के मद्देनजर गंगा अनुरक्षण इकाई ने 40 एमएलडी की क्षमता वाली एक और एसटीपी बनाने का प्रस्ताव भेजा है। हालांकि, हरिद्वार में वर्ष भर लगने वाले मेलों और होने वाली धार्मिक यात्राओं के मद्देनजर इसके अतिरिक्त 25 से 30 एमएलडी की क्षमता वाली एक एसटीपी की आवश्यकता और बताई जा रही है।

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स्थापित एसटीपी व उनकी क्षमता

1:-जगजीतपुर प्रथम 27 एमएलडी

2:-जगजीतपुर द्वितीय 18 एमएलडी

3:-सराय 18 एमएलडी

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गंगा में गिरने वाले नालों की संख्या

-हरिद्वार 22

-ऋषिकेश 6

- ढालवाला, मुनि की रेती 15

-तपोवन 7

-स्वर्गाश्रम क्षेत्र (पौड़ी) 24

(सरकारी आंकड़ों के मुताबिक)