-परिवहन विभाग में कई कर्मचारी अधर में लटके

-ज्वॉइनिंग देने के बाद मुख्य सचिव ने रद्द कर दी थी ट्रांसफर प्रक्रिया

-उत्तराखंड मिनिस्ट्रियल कर्मचारी संघ ने लगाई थी आपत्ति

DEHRADUN: कहावत है कि अपने ही अगर गैरों वाला काम करें, तो भला गैरों से वफा की उम्मीद ही क्या करना। परिवहन विभाग में काम कर रहे कर्मचारियों और अधिकारियों को अपनों ने ही अधर में लटका दिया है। ट्रांसफर का मामला कई कर्मचारियों की गले की हड्डी बन गई है। जिसे कर्मचारी न ही निगल पा रहे हैं और न ही उगल पा रहे हैं।

पहली लिस्ट में हुए थे 8क् ट्रांसफर

परिवहन विभाग में इस साल मई के अंतिम सप्ताह में परिवहन विभाग के संभागीय स्तर पर भारी संख्या में कर्मचारी और अधिकारियों के ट्रांसफर हुए थे। शासन ने पहली बार परिवहन विभाग में 8क् अधिकारियों और कर्मचारियों को ट्रांसफर किया था। इनमें कई कर्मचारी पिछले एक दशक से अपनी जगहों पर बने हुए थे। ऐसे विभाग ने सभी जिला कार्यालयों से भ् साल से अधिक समय से डटे हुए कर्मचारियों को दूसरे जिलों में तैनात किया, लेकिन इस पर संभागीय परिवहन कर्मचारी संघ ने विरोध दर्ज किया।

संघ की आपत्ति पर मांगा प्रत्यावेदन

संघ का मानना था कि ट्रांसफर प्रक्रिया में कई लोगों के तबादले सैकड़ों किलोमीटर दूर हुए हैं, जिससे उन्हें परेशानी होगी। इस बीच कर्मचारी संघ ने कुछ दिनों तक आन्दोलन भी किया। इसके बाद ख् जून को सचिव परिवहन द्वारा कर्मचारी संघ से प्रत्यावेदन मांगा गया। कर्मचारी संघ द्वारा दिए गए प्रत्यावेदन पर विचार करने के बाद म् जुलाई को नई ट्रांसफर लिस्ट जारी की गई। जिसमें फ्0 मई को हुए 8क् कर्मचारी और अधिकारियों के ट्रांसफर में 70 प्रतिशत कर्मचारियों को राहत देते हुए उन्हें संभाग स्तर पर खाली पदों पर तैनाती दी गई। लेकिन कर्मचारी संगठन इसके बावजूद संतुष्ट नहीं हुआ और कुछ लोग मुख्य सचिव के पास चले गए। मुख्य सचिव ने इन पूरी ट्रांसफर प्रक्रिया को रद्द कर दिया।

कई लोग ले चुके थे ज्वॉइनिंग

इस बीच फ्0 मई को पहली ट्रांसफर लिस्ट के अनुसार कई कर्मचारियों ने नए कार्यालयों में ज्वॉइनिंग दे दी। ऐसे में ट्रांसफर प्रक्रिया रद्द होने के बाद यह लोग खुद को ठगा हुआ महसूस करने लगे, क्योंकि नई जगह में तैनाती के साथ ही इन कर्मचारियों ने किराए पर रूम, बच्चों के एडमिशन आदि कर दिए। इसमें से कुछ कर्मचारियों ने हाईकोर्ट में याचिका लगा दी।

हाईकोर्ट ने दी राहत

कर्मचारियों को राहत देते हुए कोर्ट ने मुख्य सचिव को ख्क् दिन के अंदर इस मामले को निपटाने के निर्देश दिए हैं। इसके तहत कर्मचारी फ् दिन के अंदर मुख्य सचिव को अपना प्रत्यावेदन देंगे। इसके बाद मुख्य सचिव एक कमेटी बनाएंगे, जो इस प्रकरण पर अपना निर्णय ख्क् दिन के अंदर देगी।

वर्जन

कुछ लोग कोर्ट गए गए थे, जिन्हें फ् दिन के अंदर मुख्य सचिव को प्रत्यावेदन देने के लिए कहा गया है। इस साल सत्र शून्य होने के बावजूद बगैर नियमावली के ट्रांसफर हुए। बाद में यूनियन के प्रत्यावेदन पर दिए गए सुझावों को परिवहन आयुक्त ने स्वीकार नहीं किया गया।

-सुषमा चौधरी, प्रदेश अध्यक्ष, उत्तराखंड मिनिस्ट्रियल कर्मचारी संघ