- मांग पूरी होने तक अनिश्चितकालीन कार्य बहिष्कार

- छह सूत्रीय मांगों को लेकर किया सचिवालय का घेराव

- देर शाम नाराज कर्मचारियों ने किया कैबिनेट मंत्री आवास का घेराव

DEHRADUN: हटाए गए कर्मियों की शीघ्र बहाली सहित छह सूत्रीय मांगों को लेकर प्रदेशभर के उपनल कर्मचारी बुधवार को सचिवालय पर जमकर गरजे। इस दौरान पुलिस के साथ हल्की नोकझोंक भी हुई। बाद में सीमए से वार्ता कराने के आश्वासन पर प्रदर्शनकारी सहमत हो गए। शाम को ख्0 सदस्यीय प्रतिनिधि मंडल को बीजापुर गेस्ट हाउस में सीएम से वार्ता का न्योता दिया गया। लेकिन, वार्ता नहीं हो पाई। कर्मचारियों ने आरोप लगाया कि वार्ता के लिए ले जाते हुए गेस्ट हाउस से पहले ही गाड़ी घुमा ली गई। पूछने पर पुलिस-प्रशासन ने कहा कि मुख्यमंत्री यहां नहीं हैं। जिसके बाद नाराज कर्मचारियों ने देर शाम सैनिक कल्याण मंत्री डा। हरक सिंह रावत के निवास का घेराव किया। खबर लिखे जाने तक कर्मचारी वहीं डटे रहे। आंदोलन के तहत कर्मचारी आज विधानसभा का घेराव करेंगे।

उपनल कर्मी परेड मैदान से कनक चौक होते हुए सचिवालय कूच किया। पुलिस महानिदेशक कार्यालय के पास पुलिस ने बैरिकेडिंग लगा आंदोलनकारियों को रोक लिया। मुख्यमंत्री के ओएसडी आनंद बहुगुणा ने एक प्रतिनिधि मंडल की विधानसभा में सीएम से वार्ता कराने को कहा, लेकिन कर्मचारी नहीं माने। जिसके बाद शाम तक उपनल कर्मी सचिवालय पर ही डटे रहे। वहीं, बुधवार से उपनल कर्मचारियों ने प्रदेशभर में अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू कर दी है। कर्मचारियों ने कहा कि साल ख्0क्फ् से वेतन में कोई बढ़ोत्तरी नहीं हुई। महंगाई लगातार बढ़ रही है, ऐसे में परिवार को पालना मुश्किल हो रहा है। पर, सरकार को कोई फिक्र नहीं। उपनल कर्मचारियों के मुद्दे पर विपक्ष भी खामोश है। कैबिनेट में फैसला हुआ था कि हटाए गए कर्मचारियों को बहाल किया जाएगा, लेकिन अभी तक इसका शासनादेश जारी नहीं हुआ। सरकार और शासन में बैठे अफसरों के रवैये के चलते अब उपनल कर्मचारियों के सब्र का बांध टूट चुका है। इस दौरान राजधानी की यातायात व्यवस्था भी खासी प्रभावित दिखी।

बीच रास्ते से लाए वापस

महासंघ के महासचिव महेश भट्ट ने बताया कि सीएम से वार्ता के लिए पुलिस-प्रशासन के अधिकारियों ने सचिवालय के सामने चल रहे प्रदर्शन को खत्म करने के लिए कहा, जिसे कर्मचारियों ने मान लिया। लेकिन इसके बाद वार्ता कराए बिना ही रास्ते से वापस ले आए। उन्होंने इसे पुलिस-प्रशासन की सोची समझी चाल बताई। उन्होंने कहा कि अब आरपार की लड़ाई लड़ी जाएगी। उधर, सिटी मजिस्ट्रेट ललित नारायण मिश्रा ने बताया कि मुख्यमंत्री ने चार बजे का समय दिया था। लेकिन, उपनल कर्मचारी साढ़े पांच बजे चलने को तैयार हुए। इसके बाद मुख्यमंत्री दूसरे कार्यो में व्यस्त हो गए। वार्ता का प्रयास किया जा रहा है। इस मौके पर महासंघ के उपनल कर्मचारी महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष भावेश जगूड़ी, उपाध्यक्ष कुशाग्र जोशी, प्रदेश सचिव कैलाश चंद्र, पंकज पालीवाल, आशुतोष पुरोहित, विजयराम खंकरियाल, धीरज कांडपाल, दीपक चौहान, अंकित नेगी, सोबन सिंह आदि मौजूद रहे।

उपनल कर्मचारियों की प्रमुख मांगें

-समस्त उपनल कर्मचारियों को नियमित किया जाए और वेतन में बढ़ोत्तरी हो।

-उपनल कर्मचारियों को कर्मचारी चयन आयोग की परिधि से बाहर रखा जाए।

-शासकीय एवं आशासकीय कर्मचारियों की भांति वेतन निर्धारित किया जाए।

-उपनल कर्मचारियों को नहीं हटाने संबंधित कैबिनेट के फैसले का शासनादेश जारी हो।

-महिला कर्मचारियों को मातृत्व अवकाश दिया जाए।

-हटाए गए कर्मियों की शीघ्र बहाली हो।

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