- सीएम के बयान के बाद गैरसैंण का जिन्न निकला बाहर

-राजनीतिक दलों के बीच आरोप-प्रत्यारोपों का दौर शुरू

DEHRADUN: मुख्यमंत्री हरीश रावत के गैरसैंण को राजधानी बनाने की बात कभी नहीं कहने के बयान पर फिर से गैरसैंण पर सियासी गदर शुरू हो गया है। लंबे समय से शांत रहे इस मुद्दे से सियासी पारा चढ़ने लगा है। हर राजनीतिक दल एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप मढ़ रहे हैं। हालांकि सूबे के दो प्रमुख पार्टियां भाजपा व कांग्रेस बचकर बयानबाजियां करती दिख रहे हैं। लेकिन जिस प्रकार से गैरसैंण का जिन्न बाहर निकल रहा है, साफ है कि आने वाले विस चुनाव में एक बार फिर यह मुद्दा राजनीतिक दलों के लिए जवाबदेही के साथ परेशानियां खड़ी कर सकता है।

सीएम ने कहा था गैरसैंण पर हैं तीन विकल्प

गुरुवार को गैरसैंण के मुद्दे पर सीएम ने मीडिया से बातचीत में कहा था कि गैरसैंण को राजधानी बनाने की बात उन्होंने कभी नहीं कही। यह भी कहा था कि गैरसैंण में सरकार आधारभूत संरचनाओं के विकास पर कार्य कर रही है। इसके अलावा उनके पास तीन विकल्प हैं। या तो स्थाई राजधानी गैरसैंण बने, या ग्रीष्मकालीन राजधानी हो या फिर विस सत्र ही आयोजित हों। सीएम के इस बयान पर शुक्रवार को राजनीतिक बयानबाजियों का दौर जारी रहा।

गैरसैंण का मुद्दा केंद्र की तत्कालीन भाजपा सरकार ने उलझाया है। छत्तीसगढ़, झारखंड की राजधानी राज्य निर्माण के दौरान तय हुई, लेकिन उत्तराखंड की नहीं। राज्य आंदोलनकारियों व जनभावनाओं के अनुसार राजधानी निर्माण के काम हो रहे हैं।

मथुरा दत्त जोशी, मुख्य प्रवक्ता पीसीसी।

गैरसैंण स्थाई राजधानी के मुद्दे पर भाजपा व कांग्रेस चोर-चोर मौसरे भाई जैसी भूमिका क्म् सालों से निभाती आई है। जन भावनाओं व राज्य आंदोलनकारियों के भावनाओं के अनुसार गैरसैंण में ही राजधानी होनी चाहिए।

हरीश पाठक, केंद्रीय सदस्यता प्रभारी, यूकेडी।

स्थाई राजधानी के नाम पर कांग्रेस व मुख्यमंत्री जनभावनाओं के साथ खिलवाड़ कर रही है। करोड़ों रुपए राजधानी के नाम पर खर्च कर दिए हैं और सरकार स्पष्ट नहीं कर पा रही है। जबकि भाजपा तो शुरू से ही इस पक्ष्ा में है।

उमेश अग्रवाल, अध्यक्ष, महानगर भाजपा।

राजधानी गैरसैंण के हम पक्षधर हैं। सरकार प्रयासरत भी है। उससे पहले गैरसैंण के लिए आधारभूत ढ़ांचे तैयार किए जा रहे हैं। उसके बाद तो स्वत: ही राजधानी गैरसैंण हो जाएगी। सरकार का आखिरी सत्र भी गैरसैंण में हो।

डॉ.अनुसूया प्रसाद मैखुरी, विधायक कर्णप्रयाग।

हम तो पूरी तरीके से राजधानी गैरसैंण के पक्ष में हैं। पहाड़ी राज्य की राजधानी पहाड़ में ही होनी चाहिए। राज्य आंदोलनकारियों की भावनाएं भी ऐसी ही थी। तभी राज्य निर्माण का आंदोलन भी हुआ था।

प्रो.जीतराम, विधायक थराली विस।

गैरसैंण हितों से जुड़ा मुद्दा है। जनता चाहेगी राजधानी गैरसैंण बने तो आम आदमी पार्टी जनता के साथ है। इसी आधार पर पार्टी गैरसैंण को अपने चुनाव घोषणा पत्र में शामिल करेगी।

राजेश बहुगुणा, प्रदेश प्रवक्ता आप।