-दून के अलग-अलग रिहायशी क्षेत्रों के लोग रहते हैं परेशान

-आबादी बढ़ी, पर पानी की सप्लाई नहीं बढ़ाई गयी

-करीब पांच हजार बोरिंग हैं दून सिटी के अंदर

DEHRADUN: उत्तराखंडह सरकार के लाख दावे के बाद भी राजधानी दून के लाखों लोगों को हर रोज पानी की समस्या से दो-चार होना पड़ता है। दून सिटी के कई क्षेत्र तो ऐसे भी हैं जहां रहने वाले लोगों को अपनी रोजाना की जरूरत भर का पानी सरकारी सप्लाई से नहीं मिलता तो अपनी दिनचर्या को पूरा करने के लिए टैंकर से पानी खरीदना पड़ता है।

आबादी बढ़ी, पर नहीं बढ़ी सप्लाई

प्रदेश की राजधानी दून की आबादी बीते एक दशक में तकरीबन पांच-छह लाख बढ़ चुकी है। लेकिन, सरकारी स्तर पर वाटर सप्लाई के संसाधनों में नहीं के बराबर ही इजाफा हुआ है। बात अगर सप्लाई के लिए डाली जाने वाली वाटर लाइन की करें तो सिटी के अंदर तकरीबन साठ फीसद लाइन आज भी दो दशक पुरानी पड़ी चली आ रही है। उधर, आबादी में इजाफा होने के बाद रिहायशी क्षेत्रों के लोगों के लिए सप्लाई किये जाने वाला पानी नाकाफी ही साबित हो रहा है। नतीजा, लोग पानी को लेकर दुश्वारियां झेलने को मजबूर हो रहे हैं।

टैंकर से हो रहा वाटर सप्लाई

पानी की किल्लत से लोग किस तरह से परेशान चले आ रहे हैं इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि सिटी के साठ वार्डो में से तकरीबन डेढ़ लाख से भी अधिक आबादी की दिनचर्या प्राइवेट टैंकरों पर निर्भर हो गयी है। ठाकुरपुर एरिया के रहने वाले नवीन बताते हैं कि लोगों को अपनी जरूरत के लिए टैंकरों से पानी लेना पड़ता है। एक टैंकर का पानी प्राइवेट टैंकर ओनर पांच-पांच सौ रुपये में सेल करते हैं।

लचर व्यवस्था ने बढ़ाई समर्सिबल

सरकार की ओर से किए जाने वाले वाटर सप्लाई की व्यवस्था इतनी लचर है कि लोग परेशान हो चले हैं। यही वजह है कि जो लोग थोड़े साम‌र्थ्यवान हैं, उन्होंने अपने घर की जरूरत को पूरा करने के लिए प्राइवेट लेवल पर समर्सिबल लगवा लिए हैं। सरकारी अधिकारियों और लोगों की मिलीभगत के चलते दून सिटी के अंदर तकरीबन पांच हजार समर्सिबल दिनरात जमीन के नीचे से पानी खींचने में लगी हुई हैं। जिसकी वजह से दिनोंदिन नेचुरल वाटर रिर्सोसेज भी सूखते चले जा रहे हैं।

यह है दून की स्थिति

-कुल म्0 वार्डो में बसावट है दून की

-वाटर सप्लाई के लिए सिटी में बनाए हैं ओवर हैड टैंक

-तकरीबन ख्भ् मीटर ऊंचे हैं ओवर हैड टैंक

-प्रदेश सरकार हर साल फ्00 करोड़ रुपये करती है वाटर सप्लाई पर खर्च

-लगभग भ् हजार समर्सिबल हैं दून सिटी के अंदर

-सिटी में ख्79 बड़े ट्यूबवेल हैं

-इसके अलावा क्फ्0 छोटे ट्यूबवेल भी लगाए गए हैं

-पिछले पांच सालों में ख्7 नए ट्यूबवेल लगे

-इसके साथ ही साथ फ्क् ओवर हैड टैंक भी तैयार किए गए

-इसके बाद भी राजधानी के फ् लाख लोग पानी के लिए तरस जाते हैं

वर्जन

आबादी बढ़ती जा रही है लेकिन, उस हिसाब से वाटर सप्लाई की व्यवस्था को सुचारू नहीं किया जा रहा है।

नवीन बिस्ट, नामित पार्षद बसंत विहार

वाटर सप्लाई के लिए हर माह दो-तीन सौ रुपये का बिल आता है। लेकिन, सप्लाई प्रॉपर नहीं की जा रही।

सचिन, बसंत विहार

सप्लाई के लिए बिछाई गयी लाइन पुरानी है। आबादी दिनोंदिन बढ़ती जा रही है। आज के हिसाब से वाटर सप्लाई की व्यवस्था होनी चाहिए।

नवीन शर्मा, ठाकुरपुर

एरिया के लोग टैंकर से पानी खरीदने को मजबूर हैं। उधर, सरकारी बिल भी हर माह भरना ही पड़ रहा है। यह बहुत दिक्कतपूर्ण है।

पीएल नौटियाल, ठाकुरपुर

वाटर सप्लाई का काम बढ़ती आबादी के साथ बढ़ना चाहिए। तब ही समस्या का कुछ निस्तारण हो सकेगा।

बाबा, रेस्ट कैम्प

अगर सरकारी स्तर पर थोड़ा गंभीरता दिखाई जाए तो लोगों को वाटर सप्लाई प्रॉपर नसीब हो सकेगी।

रंजीत, रेस्ट कैम्प

सप्लाई तो होती है लेकिन, वह जिस हिसाब से होनी चाहिए वैसी नहीं है। तभी दिक्कत दूर हो सकेगी।

लक्ष्मण, चुक्खूवाला

नलों में पानी कम समय के लिए आता है। कभी-कभी तो लोगों को काफी दिक्कत झेलनी पड़ती है।

सालिगराम, चुक्खूवाला

वाटर सप्लाई की डिमांड और सप्लाई में थोड़ा सा अंतर है। इसकी वजह से कुछ क्षेत्रों में दिक्कत हो सकती है। हालांकि वाटर सप्लाई प्रॉपर करने की पूरी कोशिश रहती है।

एलके अदलखा, अधीक्षण अभियंता जल संस्थान