एक साल के बच्चे को भी diabetes

डायबिटीज को अलग-अलग कैटेगरीज में डिवाइड किया गया है। बच्चों में ज्यादातर टाइप-वन डायबिटीज पाई जाती है। इस तरह के डायबिटिक पेशेंट का इम्यून सिस्टम उनके अपने सेल्स के विपरीत काम करता है। किसी भी तरह का बढ़ता हुआ वेट टाइप-वन डायबिटीज में मैटर नहीं करता। हेड ऑफ मेडिसिन डिपार्टमेंड डॉ। अमित वर्मा का कहना है कि इस तरह की डायबिटीज किसी भी उम्र में पेशेंट में पाई जा सकती है। यहां तक कि इसका पेशेंट्स एक साल से कम उम्र का भी हो सकता है।

Symptoms हैं आम

जानकारों के मुताबिक, बच्चों में बढ़ रही इस प्रॉब्लम के शुरुआती लक्षण भी काफी कॉमन हैं। अगर बच्चे में इस तरह की कोई भी समस्या है तो शुरुआती दौर में वो लगातार पानी की प्यास महसूस करेगा और लगातार यूरिन रिलीज होगी। इसके साथ आपका बच्चा बहुत जल्द ही थकान महसूस करने लगेगा। ज्यादा भूख लगना और तेजी से व्हेट रिडयूस होना भी इसके मुख्य लक्षणों में से एक है। अगर इन सब चीजों के साथ उसे वॉमिटिंग हो रही है तो हाई ब्लड शुगर लेवल की समस्या भी उसे हो सकती है।

Insulin के साथ रखें ख्याल

बच्चों में पाई जाने वाली टाइप-वन डायबिटीज में ज्यादातर इंसुलिन इंजेक्शंस का ट्रीटमेंट होता है। डायबिटिक बच्चों को दिए जाने वाले इंसुलिन पंप से उनका ब्लड शुगर कंट्रोल रहता है। इसके साथ ही कई सारी ऐसी चीजें हैं, जिन्हें डायबिटिक पेशेंट बच्चे, आम बच्चों की तरह नहीं खा सकते तो ऐसे में उनके स्कूल और फ्रेंड्स को इन चीजों को लेकर अवेयर करने की जरुरत है। डॉ। अमित वर्मा कहते हैं कि साइंस काफी एडवांस हो गया है। ये रेग्यूलर इंस्सुलिन बच्चों के लिए काफी फायदेमंद है, लेकिन इनकी रेग्यूलेरेटी का ध्यान रखना बहुत जरूरी है।