आगरा (आईएएनएस)। कानपुर एनकाउंटर के मुख्य आरोपी विकास दुबे के पुलिस एनकाउंटर में मारे जाने के बाद भले ही मानवाधिकार समूह और विपक्षी नेता तमाम तरह के सवाल उठा रहे हैं लेकिन कुछ लोग इससे काफी खुश हैं। आगरा की आम जनता ने 3 जुलाई को कानपुर में 8 पुलिसकर्मियों की हत्या करने वाले खूंखार गैंगस्टर विकास दुबे के एनकाउंटर पर राहत की सांस ली है। सामाजिक कार्यकर्ता श्रवण कुमार सिंह ने कहा कि एक्सपर्ट और योगी विरोधी इलीमेंट्स कानूनी खामियों और मानवीय अधिकारों के उल्लंघन की ओर इशारा कर रहे हैं जबकि आम आदमी खुश है और राहत मिली है। इस बीच पुलिस ने सख्ती की और तीन दिनों के लॉकडाउन का उपयोग करते हुए, आगरा क्षेत्र के जिलों में हिस्ट्रीशीटरों को पकड़ने के लिए एक पूर्ण अभियान चलाया।

हिस्ट्रीशीटर के लिए कानून राज को लेकर एक संकेत

रिपोर्ट में कहा गया है कि कुछ एनकाउंटर पहले ही हो चुके हैं। मैनपुरी, एटा, फिरोजाबाद में बड़ी संख्या में अपराधियों को गिरफ्तार किया गया है। एक वकील ने दावा किया कि दबाव इतना अधिक है कि कई वांछित अपराधी अब सामने आने से बचने के लिए आत्मसमर्पण कर रहे हैं। पिछले कुछ दिनों में, पुलिस की विशेष टीमें वांछित अपराधियों को बुक करने के लिए बाहर गई हैं, जो अन्य जिलों में भाग गए थे या सीमा पार कर गए थे। विकास दुबे मुठभेड़ सभी थाना क्षेत्रों में हिस्ट्रीशीटर के लिए कानून राज को लेकर एक संकेत है। राज्य सरकार ने बड़े शार्क की पहचान करने के लिए एक फ्रेश लिस्ट तैयार करने का निर्देश दिया है।

लॉकडाउन हटाए जाने के बाद अपराध दर में उछाल आया

1 जून को लॉकडाउन हटाए जाने के बाद अपराध दर में एक गंभीर उछाल आया है। हत्याओं से लेकर एटीएम-क्रैकिंग, चोरी और रोड होल्डअप तक के मामले सामने आए हैं। ऐसे में विकास दुबे मुठभेड़ एक संदेश है। कार्यकर्ता पंडित जुगल किशोर ने कहा हम आने वाले दिनों में अपराधियों और असामाजिक तत्वों के बड़े राउंडअप की उम्मीद करते हैं, क्योंकि पुलिस अपनी छवि को फिर से बनाने की कोशिश कर रही है और योगी सरकार पर भी परिणाम दिखाने का दबाव है।

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