दो अलग-अलग परिभाषाएं
दुनिया की दिग्गज कंपनी गूगल अब अपने अस्ितत्व को लेकर जूझ रही हैं। जी हां कंपनी जिस तरह से नए-नए प्रोजेक्ट्स पर वर्क कर रही है, उसको देखते हुए कंपनी का मेन बिजनेस कितना फायदेमंद साबित हो रहा। यह बड़ा सवाल है। जैसा कि अभी बताया गया कि गूगल की परिभाषा दो हिस्सों में डिवाइड हो गई है। एक हिस्सा इसे सर्च इंजन मानता है, तो वहीं दूसरा और मुख्य हिस्सा इसे एड कंपनी के रूप में ही देखना चाहता है। आंकड़ो पर नजर डालें तो इस सर्च इंजन में तकरीबन 3.5 बिलिसन क्वेरी प्रतिदिन आती हैं। वहीं बड़ी-बड़ी कंपनियां सर्च और रिजल्ट पेज पर अपना एड दिखाने के लिए अरबों रुपये खर्च करती हैं।

इनवेस्टर्स को है खतरा

गूगल भले ही सर्च इंजन के तौर पर दुनिया में पॉपुलर हो रहा हो लेकिन इसका मेन बिजनेस आज भी एडवरटाइजिंग ही है। जिसमें इनवेस्टर्स अपना करोड़ों रुपया लगाते हैं। जबकि कंपनी अपने अजीबो-गरीब प्रोजेक्ट्स के कारण मेन बिजनेस से भटक रही है। सेल्फ-ड्राइविंग वाले प्रोजेक्ट्स से शेयरहोल्डर्स तो नाराज हैं ही, साथ ही इनवेस्टर्स को भी खतरा लग रहा है। वैसे इनवेस्टर्स को इस प्रोजेक्ट से कोई आपत्ति नहीं है लेकिन वह थोड़े नर्वस जरूर नजर आते हैं। उनका मानना है कि, कंपनी के sci-fi प्रोजेक्ट कहीं गलत कदम न साबित हो जाएं। गूगल के ज्यादातर इनवेस्टर्स कंपनी के कोर बिजनेस जैसे सर्च और एडवरटाइजिंग पर फोकस्ड हैं। ऐसे में उन्हें इन प्रोजेक्ट्स से थोड़ा खतरा नजर आने लगता है।  

एड बिजनेस पर लगी सेंध

अभी कुछ दिनों पहले माइक्रोसॉफ्ट ने एनाउंसमेंट किया था कि, सर्च एंड एड कंपनी बिंग को ओवरटेक कर लिया जाएगा। यह  पहले गूगल को सर्विस दे रही थी लेकिन अब अगले 10 सालों तक गूगल इसका लाभ नहीं उठा पाएगा। यह गूगल के लिए किसी बड़े झटके से कम नहीं है। वहीं दूसरी ओर फेसबुक ने आज मार्केटर्स के लिए नया और अट्रैक्टिव बायिंग ऑप्शन इंट्रोड्यूस किया। जिसमें कि वीडियो एड आसानी से बनाया जा सकेगा और यह यू-ट्यूब से कड़ी टक्कर लेगा। अब ऐसे में गूगल के लिए यह खबर खतरे की घंटी है। आपको बताते चलें कि, गूगल का कोर बिजनेस सर्च और एडवरटाइजिंग ही है। तकरीबन 90 परसेंट रेवेन्यू इससे ही आता है।

एप्पल ने भी मुंह मोड़ा
जहां एक ओर गूगल को एडवरटाइजिंग में कड़ी टक्कर मिल रही है, वहीं एप्पल भी गूगल का साथ छोड़ने पर विचार कर रही है। दरअसल एप्पल सफारी में गूगल डिफॉल्ट ब्राउजर है। लेकिन अब कंपनी बिंग या याहू पर स्विच कर सकती है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, एप्पल अपने अगले आईओएस अपडेशन में सफारी पर आने वाले एड को ब्लॉक कर देगी। ऐसे में गूगल को सालाना करीब 10 परसेंट नुकसान उठाना पड़ सकता है।

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