संयत रहे आडवाणी और मुखर हुए यशवंत
बुधवार की शाम दिल्ली के होटल में शत्रुघ्न की आत्मकथा का विमोचन हुआ। इस मौके पर अपेक्षित किए गए वरिष्ठ भाजपा नेता मंच पर मौजूद थे और सबने अपने दर्द बांटे। लालकृष्ण आडवाणी जरूर संयत रहे, लेकिन यशवंत सिन्हा और खुद शत्रुघ्न ने यह बताने में संकोच नहीं किया कि पार्टी में चेहरे देखकर फैसले होते हैं। उन्होंने बिहार में हार के लिए खुद भाजपा नेतृत्व को जिम्मेदार ठहरा दिया। मंच पर शत्रुघ्न सिन्हा के परिवार के अलावा सिर्फ आडवाणी और यशवंत थे। नीचे आमंत्रितों में वीके सिंह और हर्षवर्धन के रूप में दो केंद्रीय मंत्री, भाजपा से निलंबित सांसद कीर्ति आजाद, सपा के पूर्व नेता अमर सिंह और कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला मौजूद थे।

आडवाणी के जरिए यशवंत ने किया पार्टी नेतृत्व पर वार
शत्रुघ्न की जिंदगी पर आधारित इस पुस्तक पर चर्चा हुई तो आडवाणी ने सार्वजनिक रूप से माफी मांग ली कि उन्होंने शत्रुघ्न को लोकसभा चुनाव लड़ने को कहा था। हालांकि, उन्होंने यह भी साफ कर दिया कि उस वक्त पार्टी में नियम था कि जो लोकसभा चुनाव लड़ने लायक हैं, उन्हें दो बार से ज्यादा राज्यसभा में न भेजा जाए। बाद में शत्रुघ्न ने आडवाणी को उनके इस फैसले के लिए धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि उस वक्त उन्हें दुख हुआ था। लेकिन वह अच्छे के लिए था। यशवंत की बारी आई तो उन्होंने इसी बिंदु को उठाकर पार्टी नेतृत्व पर हमला कर दिया। उन्होंने कहा कि शत्रुघ्न के मामले में तो दो बार ही राज्यसभा भेजने का फैसला लिया गया। लेकिन उनका क्या, जिन्हें कई बार से राज्यसभा में भेजा जा रहा है?

When BJPs senior leaders met Shatrughan Sinhas biography Anything but Khamosh launch

बिहार की हार पर शत्रुघ्न की अनोखी राय
उन्होंने मार्गदर्शक मंडल पर भी चुटकी ली और कहा कि यह ऐसा मंडल है, जो कभी नहीं मिलता है। उन्होंने 75 की आयु पार कर चुकने पर भी चुटकी ली और कहा कि 75 पार करने वाले ब्रेन डेड हो जाते हैं। शत्रुघ्न ने यूं तो अपनी फिल्मी और राजनीतिक जिंदगी पर कई बातें की, लेकिन अंत में यह दावा भी कर दिया कि उन्हें बिहार में प्रचारक न बनाए जाने का पार्टी को खामियाजा भुगतना पड़ा।

कई शहरो में होगा पुस्तक विमोचन का कार्यक्रम
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि इस पुस्तक का पटना, मुंबई, कोलकाता जैसे कई शहरों में विमोचन किया जाएगा। हर कार्यक्रम में वहीं के लोगों को आमंत्रित किया जाएगा। आडवाणी ने आखिर में कहा कि यह पुस्तक चर्चित होगी। पुस्तक में शत्रुघ्न सिन्हा ने यह भी बताया कि एक वक्त पर अटल बिहारी वाजपेयी और आडवाणी उन्हें बिहार का मुख्यमंत्री बनाना चाहते थे। लेकिन वह खुद केंद्र में मंत्री बनना चाहते थे। परोक्ष रूप से इसे बिहार भाजपा के नेता सुशील मोदी के आरोपों के जवाब के रूप में देखा जा रहा है।

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