1972 में शुरू:

पिन कोड को हिंदी में डाक सूचकांक संख्‍या कोड के नाम से जाना जाता है, लेकिन प्रचलन में पिन कोड शब्‍द ज्‍यादा है। पिन कोड के जरिए देश के हर स्‍थान को दी गई है। इसकी शुरूआत 15 अगस्‍त 1972 को हुई थी।

सिर्फ 6 अंकों में:

देश में पिन कोड कहीं का भी हो हर जगह इसकी संख्‍या 6 अंकों की होती है। इसके अलावा पूरे भारत देश में 9 पिन क्षेत्र हैं। इनसे ही पूरे देश के पिन कोड निर्धारित हुए हैं।

डाक छाटनें में आसानी:

पिन कोड के ये 6 अंक पूरे देश में कहीं का हो आसानी से पहुंचाने में मदद करते हैं। इन पिन कोड की मदद से डाक को छांटना काफी आसान हो जाता है।

अंकों का मतलब:

पूरे देश को आठ क्षेत्रीय और नवें फंक्शनल जोन में विभाजित किया गया है। जिसमें पहले अंक से क्षेत्र, दूसरे अंक से उप क्षेत्र, तीसरे जिले की पहचान होती है। इसके बाद के तीन अंको से उक्‍त जिले के डाकखानों की दिशा तय होती हैं।

राज्‍यों के निर्धारित कोड:

दिल्‍ली, हरियाणा, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, जम्‍मू और कश्‍मीर, चंडीगढ़     पिन कोड 1

उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड                                                              पिन कोड 2     

राजस्‍थान, गुजरात, दमन और दीव, दादर और नगर हवेली                  पिन कोड 3     

छत्तीसगढ़, महाराष्‍ट्र, मध्‍य प्रदेश, गोवा                                         पिन कोड 4     

आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, यनाम (पुडुचेरी में एक जिला)                            पिन कोड 5     

केरल, तमिनलाडू, पुडुचेरी (यमन के जिले के अलावा), लक्षद्वीप               पिन कोड 6     

पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, असम, सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड,        पिन कोड 7     

मणिपुर, मिज़ोरम, त्रिपुरा, मेघालय, अंडमान और निकोबार दीप समूह      पिन कोड 7

बिहार, झारखण्‍ड                                                                    पिन कोड 8     

सैन्‍य डाक खाना (एपीओ) और क्षेत्र डाक खाना (एफपीओ)                     पिन कोड 9

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