-अमेरिका सहित 36 देशों के वैज्ञानिकों ने भूकंप पर किए अपने शोध

-हिमाचल से बिहार के बीच धरती का अल्ट्रासाउंड कर रहे वैज्ञानिक

-वैज्ञानिकों ने मिलकर बडे़ भूकंप का पूर्वानुमान लगाने को तेज किए प्रयास

-उत्तराखंड में देहरादून सहित कई जिलों में है भूकंप का खतरा

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-अमेरिका सहित फ्म् देशों के वैज्ञानिकों ने भूकंप पर किए अपने शोध

-हिमाचल से बिहार के बीच धरती का अल्ट्रासाउंड कर रहे वैज्ञानिक

-वैज्ञानिकों ने मिलकर बडे़ भूकंप का पूर्वानुमान लगाने को तेज किए प्रयास

-उत्तराखंड में देहरादून सहित कई जिलों में है भूकंप का खतरा

rajneesh.kumar@inext.co.in

DEHRADUN: rajneesh.kumar@inext.co.in

DEHRADUN: भविष्य में बडे़ भूकंप के खतरे का पता लगाने के लिए फ्म् देशों के वैज्ञानिक एक मंच पर आ गए हैं। वाडिया हिमालय भू-विज्ञान संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिकों ने अमेरिका में हिमालय क्षेत्र में धरती में चल रही हलचलों के आंकडे़ पेश किए। इसमें हिमाचल से लेकर बिहार तक के बीच 700 किलोमीटर क्षेत्र को संवेदनशील की श्रेणी में रखा है। इसके अलावा वाडिया के वैज्ञानिक नेपाल के वैज्ञानिकों के साथ भी भूकंप के आंकड़ों का आदान-प्रदान करने की तैयारी में हैं। ताकि बडे़ भूकंप आने से पहले लोगों को अलर्ट किया जा सके।

बडे़ खतरे से पहले की शांति पर चिंता

पिछले कुछ समय में देखें तो हिमालयी क्षेत्रों में कई बार भूकंप आ चुके हैं। दो सप्ताह पहले अमेरिका में हुई कार्यशाला के दौरान वाडिया हिमालय भू-विज्ञान संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक डा। सुशील कुमार ने जो आंकडे़ पेश किए, उसमें हिमालय से बिहार तक का 700 किलोमीटर तक का एरिया चिह्नित है। इसमें बताया गया कि बिहार के एक मुख्य बिंदू से हिमालय का ऐसा क्षेत्र चिह्नित है, जहां सालों से बड़ा भूकंप नहीं आया। बिहार में क्9फ्ब् और हिमाचल में वर्ष क्90भ् में आठ रिएक्टर का भूकंप आया। ऐसे में इस क्षेत्र में धरती के नीचे एनर्जी स्टोर होने की चिंता सता रही है। इसका पता लगाने के लिए इस क्षेत्र में धरती की धड़कन नापने के लिए हाईटेक यंत्र लगाए जाएंगे।

दून पर भी कम नहीं खतरा

यूं तो उत्तराखंड के पिथौरागढ़, चमोली, रुद्रप्रयाग सहित पांच जिले जोन पांच में हैं। वहीं देहरादून जोन चार में आता है। ऐसे में पिछले एक साल में ही बीस से अधिक बार छोटे-बडे़ भूकंप के झटके आ चुके हैं। वैज्ञानिकों की मानें तो देहरादून में जिस तरह निर्माण हुए हैं, भविष्य में बड़ा भूकंप नहीं झेल पाएंगे। यहां पर भूकंप से तबाही आई तो उसका एक बड़ा कारण बेतरतीब तरीके से हुए निर्माण ही होंगे।

यहां लगाए जा चुके हैं उपकरण

वाडिया भू-विज्ञान संस्थान की ओर से गढ़वाल और हिमाचल में यह उपकरण लगाए हैं। क्भ् सेस्मोग्राफ और एक्सेलेरोग्राफ पिछले दिनों ही विदेश से मंगाए गए थे। इन्हें ब्रदीनाथ, चमोली, पिथौरागढ़, टिहरी, भटवारी, मुजफ्फराबाद, हरिद्वार सहित सभी जगह चिह्नित पर चुकी है। इनसे आंकडे़ भी आने शुरू हो गए हैं।

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हाल ही में अमेरिका में आयोजित कार्यशाला में भूकंप पर आंकडे़ पेश किए गए। इस कार्यशाला में फ्म् देशों के वैज्ञानिक शामिल थे। इसका उद्देश्य यही था कि भविष्य में बडे़ भूकंप का पूर्वानुमान लगाने का प्रयास किया जा सके। हमने हिमाचल और गढ़वाल क्षेत्र में उपकरण लगाए हैं, जिससे भूकंप के आंकडे़ ऑनलाइन एकत्रित किए जाते हैं।

--सुशील कुमार, वरिष्ठ वैज्ञानिक, वाडिया हिमालय भू-विज्ञान संस्थान