टीवी पर दर्शकों को दोबारा क्रिकेट देखने के लिए मजबूर करने का काम कैप्टन कूल के यंगिस्तान ने ही किया है. इस यंगिस्तान में न ही वीरेंद्र सहवाग हैं और न ही सचिन तेंदुलकर. 2011 वर्ल्ड कप टीम का हिस्सा जहीर खान, हरभजन सिंह, गौतम गंभीर और युवराज सिंह की भी छुट्टी हो चुकी है. फिर भी यह टीम कमाल दिखा रही है.

जब 2011 में टीम इंडिया ने दूसरी बार वर्ल्ड कप जीता था तो कैप्टन धोनी के पास अनुभवी टीम इंडिया थी लेकिन चैंपियंस ट्रॉफी को जीतने के करीब पहुंची इंडियन टीम में जोश और युवा खून की भरमार है.

वर्ल्ड कप जीतने वाली टीम में शामिल धोनी, विराट और सुरेश रैना ही मौजूदा टीम का हिस्सा हैं. अब शिखर धवन, रोहित शर्मा, अश्विन, रवींद्र जडेजा, दिनेश कार्तिक, भुवनेश्वर और उमेश यादव ने माही का भरोसा जीत लिया है और यही टीम इंडिया का झंडा आगे लेकर बढ़ रहे हैं.

यह आखिरी चैंपियंस ट्रॉफी है. यही इकलौता ऐसा आइसीसी टूर्नामेंट है जो धोनी अब तक नहीं जीत पाए हैं. उनकी कैप्टेंसी में इंडियन टीम टी-20 और वनडे वर्ल्ड कप जीत चुकी है और धोनी के पास इस ट्रॉफी को अपने नाम करने का आखिरी मौका है.

जुलाई-अगस्त 2011 में इंग्लैंड दौरे पर धोनी की सेना को होस्ट टीम ने जबरदस्त पटखनी दी थी. इंडियन टीम वहां 4-0 से टेस्ट सीरीज हारने के साथ वनडे सीरीज में भी बुरी तरह हारी थी. इसी साल दिसंबर में ऑस्ट्रेलिया में भी टीम इंडिया चार टेस्ट मैचों की सीरीज के सारे मैच हारी थी.

यही नहीं वह यहां ट्राइंगुलर सीरीज के फाइनल तक भी नहीं पहुंच पाई थी लेकिन अब ऐसा नहीं है. उस समय के प्लेयर एक-एक कर बाहर जा चुके हैं और इस समय टीम में वही प्लेयर हैं जिन्हें धोनी पसंद करते हैं.  

इनको देखकर 2000 में नैरोबी में हुई चैंपियंस ट्रॉफी की याद आती है तब सौरव गांगुली नए-नए कैप्टन बने थे और उस टूर्नामेंट से पदार्पण करने वाले युवराज सिंह और जहीर खान ने इंडिया को फाइनल तक का सफर तय करवाया था. उस समय गांगुली के यंगिस्तान ने धमाल मचाया था और इस समय कैप्टन कूल धोनी के यंगिस्तान का जलवा है.

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